आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25

भारत का आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25

(Indian Economic Survey 2024-25)

परिचय(Introduction)

भारत सरकार ने 31 जनवरी 2025 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। यह दस्तावेज़ वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति, वृद्धि दर, क्षेत्रीय प्रदर्शन, वित्तीय स्वास्थ्य और नीति सिफारिशों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है। आर्थिक सर्वेक्षण का उद्देश्य न केवल सरकार को नीतिगत निर्णय लेने में मदद करना है, बल्कि निवेशकों और नागरिकों को भी आर्थिक परिदृश्य का सटीक चित्र देना है।


आर्थिक सर्वेक्षण का उद्देश्य न केवल सरकार को नीतिगत निर्णय लेने में मदद करना है, बल्कि निवेशकों, अर्थशास्त्रियों और आम नागरिकों को भी देश की आर्थिक स्थिति का वास्तविक और सटीक चित्र प्रदान करना है।


वास्तविक जीडीपी और आर्थिक वृद्धि

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत की वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.4% रही। सकल मूल्य वर्धित (GVA) की वृद्धि भी 6.4% दर्ज की गई।

सेवा क्षेत्र में 7.3% की उच्च वृद्धि हुई, जबकि उद्योग क्षेत्र में 6.2% और कृषि क्षेत्र में 3.8% की वृद्धि दर रही। यह आंकड़ा यह संकेत देता है कि सेवा क्षेत्र और निजी उपभोग भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्य चालकों में शामिल हैं।


क्षेत्रीय और क्षेत्रवार प्रदर्शन

कृषि क्षेत्र

कृषि क्षेत्र में 3.8% की वृद्धि दर्ज हुई। किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने कई उपाय किए, जैसे नई बीज योजनाएँ, सिंचाई परियोजनाएँ और तकनीकी सहायता

औद्योगिक क्षेत्र

औद्योगिक क्षेत्र में 6.2% की वृद्धि हुई। निर्माण, विनिर्माण और खनन क्षेत्रों में निवेश और उत्पादन में वृद्धि मुख्य कारण रहे।

सेवा क्षेत्र

सेवा क्षेत्र ने 7.3% की वृद्धि दिखाई। इसमें आईटी, वित्तीय सेवाएँ, पर्यटन और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रमुख योगदान देती हैं।

निजी अंतिम उपभोग व्यय

निजी अंतिम उपभोग व्यय में भी 7.3% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे घरेलू उपभोग और निवेश में स्थिरता का संकेत मिलता है।


वित्तीय और बजटीय स्थिति

आर्थिक सर्वेक्षण में वित्तीय और बजटीय स्थिति पर विशेष ध्यान दिया गया।

  • राजकोषीय घाटा नियंत्रण में और सतत सुधार के प्रयास जारी।
  • मुद्रास्फीति जुलाई 2024 में 1.6% रही।
  • कर सुधार: GST दरों में कटौती और आयकर में राहत के कारण लगभग ₹3 लाख करोड़ की अतिरिक्त उपभोग क्षमता निर्मित हुई।
  • निष्कर्ष: वित्तीय सुधारों और कर राहत से घरेलू उपभोग और निवेश में सकारात्मक वृद्धि हुई।


वैश्विक और आंतरिक चुनौतियाँ

वैश्विक जोखिम

भारत की अर्थव्यवस्था पर भूराजनीतिक तनाव, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतियों में अनिश्चितता और वैश्विक ऊर्जा कीमतों का प्रभाव पड़ता है।

आंतरिक जोखिम

आंतरिक रूप से जलवायु परिवर्तन, तकनीकी बदलाव और संरचनात्मक बाधाएँ अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं।

नीति सिफारिशें

सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया है कि सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए संरचनात्मक सुधार और विनियामक लचीलापन जरूरी हैं।


दीर्घकालिक दृष्टिकोण और विकसित भारत 2047

आर्थिक सर्वेक्षण ने विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में भी मार्गदर्शन दिया। इसके अनुसार:

  • प्रति वर्ष 8% की वास्तविक GDP वृद्धि आवश्यक होगी।
  • निवेश में वृद्धि, उपभोक्ता विश्वास को मजबूत करना और डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रोत्साहन प्रमुख रणनीति हैं।
  • अवसंरचना, ऊर्जा, कृषि, डिजिटल सेवाएँ और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।


रोजगार और निवेश

आर्थिक सर्वेक्षण ने रोजगार सृजन और निवेश पर भी जोर दिया।

  • निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विशेष योजनाएँ लागू कीं, जैसे मेक इन इंडिया और PLI स्कीम
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप इकोसिस्टम में निवेश ने रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए।
  • सेवा क्षेत्र में रोजगार वृद्धि प्रमुख रही, जबकि उद्योग और कृषि में भी सुधार देखा गया।


डिजिटल अर्थव्यवस्था और तकनीकी सुधार

सर्वेक्षण में डिजिटल अर्थव्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया।

  • डिजिटल भुगतान और ई-कॉमर्स ने व्यापार और उपभोग को आसान और सुरक्षित बनाया।
  • सरकारी डिजिटल पहल जैसे DigiLocker, UPI और Co-Win प्लेटफॉर्म ने प्रशासनिक और वित्तीय सुधार में योगदान दिया।
  • तकनीकी सुधार और नवाचार ने निवेशक विश्वास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि की।


नीति सिफारिशें और सुधार

आर्थिक सर्वेक्षण में दी गई मुख्य नीति सिफारिशें इस प्रकार हैं:

  • संरचनात्मक सुधार और विनियामक लचीलापन बढ़ाना।
  • कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार और निवेश बढ़ाना।
  • ऊर्जा और अवसंरचना में निवेश बढ़ाना।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करना।
  • शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार सृजन पर ध्यान देना।


निष्कर्ष

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 दर्शाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर और संतुलित स्थिति में है।

  • सेवा क्षेत्र और निजी उपभोग में मजबूत प्रदर्शन।
  • वित्तीय घाटा और मुद्रास्फीति नियंत्रित।
  • नीति सुधार और निवेश प्रोत्साहन से दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित।
  • वैश्विक और आंतरिक जोखिमों के बावजूद अर्थव्यवस्था सशक्त और सतत बनी हुई है।


 (FAQ)

Q1. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 कब संसद में प्रस्तुत किया गया?

➡️ 31 जनवरी 2025

Q2. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 का मुख्य उद्देश्य क्या है?

➡️ भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति, क्षेत्रीय प्रदर्शन, वित्तीय स्वास्थ्य और नीति सिफारिशों का विश्लेषण प्रस्तुत करना।

Q3. वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत की वास्तविक GDP वृद्धि दर कितनी रही?

➡️ 6.4% (प्रथम अग्रिम अनुमान)

Q4. कृषि, औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर क्या रही?

➡️ कृषि: 3.8%, औद्योगिक: 6.2%, सेवा क्षेत्र: 7.3%।

Q5. आर्थिक सर्वेक्षण में मुद्रास्फीति का क्या विवरण दिया गया?

➡️ जुलाई 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति 1.6% रही।

Q6. आर्थिक सर्वेक्षण में कर सुधार और GST का क्या उल्लेख है?

➡️ GST दरों में कटौती और आयकर में राहत से लगभग ₹3 लाख करोड़ की अतिरिक्त उपभोग क्षमता निर्मित हुई।

Q7. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में दीर्घकालिक दृष्टिकोण क्या बताया गया है?

➡️ विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के लिए प्रति वर्ष 8% की वास्तविक GDP वृद्धि आवश्यक।

Q8. आर्थिक सर्वेक्षण में वैश्विक और आंतरिक जोखिम कौन-कौन से बताए गए?

➡️ वैश्विक: भू-राजनीतिक तनाव, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीति में अनिश्चितता।
आंतरिक: जलवायु परिवर्तन, तकनीकी बदलाव, संरचनात्मक बाधाएँ।

Q9. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के प्रमुख नीति सुझाव क्या हैं?

➡️ संरचनात्मक सुधार, निवेश प्रोत्साहन, डिजिटल अर्थव्यवस्था और सतत विकास पर जोर।

Q10. आर्थिक सर्वेक्षण किन परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है?

➡️ UPSC, SSC, बैंकिंग, राज्य PCS और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण।



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