भारत में वन और वन्यजीव संसाधन संरक्षण
(Indian Forest and Wild Life Protection)
परिचय
भारत में वन और वन्यजीव संसाधन देश की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये जैव विविधता, जलवायु नियंत्रण, मृदा संरक्षण और आर्थिक संसाधन प्रदान करते हैं। लेकिन अत्यधिक शिकार, वनों की कटाई और प्रदूषण के कारण वन्यजीव और वन संसाधनों पर खतरा बढ़ा है। इसलिए भारत में इनके संरक्षण के लिए कई कानूनी, प्रशासनिक और सामुदायिक उपाय अपनाए गए हैं।
1. वन संरक्षण (Forest Conservation)
प्रमुख उपाय
- वन संरक्षण अधिनियम (Forest Conservation Act, 1980) – वन भूमि के गैर-वन उपयोग पर रोक।
- वन रोपण और पुनर्वनीकरण (Afforestation & Reforestation) – विशेषकर बंजर और कटे हुए क्षेत्रों में।
- वन प्रबंधन और निगरानी – वन क्षेत्र की रक्षा और सतत उपयोग की योजना।
- सामुदायिक वन (Community Forests) – स्थानीय लोगों की सहभागिता और जिम्मेदारी।
- वन उत्पादों का सतत उपयोग – लकड़ी, फल और औषधीय पौधों का संतुलित उपयोग।
2. वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation)
प्रमुख उपाय
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act)
शिकार और वन्यजीव व्यापार पर रोक।संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए संरक्षित क्षेत्र।
राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण्य
संकटग्रस्त प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए।
उदाहरण: Jim Corbett, Kaziranga, Gir, Sundarbans।
उदाहरण: Jim Corbett, Kaziranga, Gir, Sundarbans।
जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserves)
सतत विकास और जैव विविधता संरक्षण का संयोजन।
उदाहरण: Nilgiri, Gulf of Mannar, Nanda Devi।
उदाहरण: Nilgiri, Gulf of Mannar, Nanda Devi।
CITES और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करना।जन-जागरूकता और शिक्षा
लोगों को वन्यजीव संरक्षण के महत्व के प्रति शिक्षित करना।3. सामुदायिक और तकनीकी पहल
- इको-टूरिज्म (Eco-Tourism) – स्थानीय समुदायों को रोजगार और संरक्षण में सहयोग।
- सैटेलाइट और GIS तकनीक – वन और वन्यजीव निगरानी।
- वन्यजीव मार्ग (Wildlife Corridors) – जीव-जंतु के आवास और प्रवास के लिए।
4. महत्व
- पर्यावरणीय: पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन, कार्बन अवशोषण और वर्षा चक्र में स्थिरता।
- आर्थिक: पर्यटन, लकड़ी, औषधियाँ और रोजगार।
- सामाजिक एवं सांस्कृतिक: परंपरा, धर्म और स्थानीय समुदायों का जीवन।
- वैज्ञानिक: शोध और शिक्षा में अवसर।
निष्कर्ष
भारत में वन और वन्यजीव संसाधन संरक्षण न केवल प्राकृतिक संतुलन और जैव विविधता के लिए आवश्यक है, बल्कि यह मानव जीवन, आर्थिक विकास और सतत भविष्य के लिए भी अनिवार्य है। इसके लिए कानून, वन प्रबंधन, अभ्यारण्य, जन-जागरूकता और तकनीकी उपाय मिलकर प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
 
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