भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947
(Indian Independence Act 1947)
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक और निर्णायक अधिनियम था, जिसने ब्रिटिश शासन के अंत और भारत तथा पाकिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम की पृष्ठभूमि
भारत पर ब्रिटिश राज लगभग 200 वर्षों तक था।भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की मुख्य विशेषताएँ
| विशेषता | विवरण | 
|---|---|
| सत्यापन और पारित होना | अधिनियम को ब्रिटिश संसद द्वारा 18 जुलाई 1947 को पारित किया गया। | 
| प्रभाव की तिथि | 15 अगस्त 1947 से लागू हुआ। | 
| देशों का निर्माण | भारत और पाकिस्तान स्वतंत्र राष्ट्र बने। पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांटा गया – पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश)। | 
| शाही प्रतिनिधित्व | ब्रिटिश क्राउन का प्रतिनिधित्व समाप्त हुआ। भारतीय स्वतंत्र देशों के रूप में पूर्ण संप्रभुता मिली। | 
| प्रशासनिक विभाजन | ब्रिटिश भारत के प्रांतों और रियासतों के नियंत्रण का अधिकार भारतीय और पाकिस्तान सरकारों को सौंपा गया। | 
| रियासतों की स्वतंत्रता | प्रिंसली स्टेट्स को अपनी स्वतंत्रता चुनने का अधिकार दिया गया – भारत में शामिल होना या पाकिस्तान में। | 
| संपत्ति और कर्ज़ का बंटवारा | ब्रिटिश सरकार और रियासतों के बीच संपत्ति, संसाधन और कर्ज़ का विभाजन निर्धारित किया गया। | 
| संबंधित कानून | ब्रिटिश संसद के तहत भारत के लिए लागू सभी पुराने कानून अब स्वतंत्र भारत और पाकिस्तान द्वारा नए संविधान के अनुसार संशोधित किए जा सकते थे। | 
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के प्रभाव
राजनीतिक प्रभाव:
- ब्रिटिश शासन समाप्त हुआ और भारत व पाकिस्तान को पूर्ण संप्रभुता प्राप्त हुई।
- भारतीय संविधान की नींव रखने का मार्ग खुला।
- पाकिस्तान का निर्माण हुआ और इसके दो हिस्से – पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (बाद में बांग्लादेश) – अस्तित्व में आए।
- विभाजन के कारण सीमा संघर्ष और आबादी के स्थानांतरण की घटनाएँ हुईं।
- बड़ी संख्या में लोगों की आव्रजन और पलायन हुई।
- संपत्ति, भूमि और संसाधनों का विभाजन हुआ।
- नए स्वतंत्र राष्ट्रों ने अपने-अपने आर्थिक और प्रशासनिक ढांचे को विकसित करना शुरू किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
15 अगस्त 1947निष्कर्ष
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 भारत के लिए एक ऐतिहासिक अधिनियम था जिसने ब्रिटिश शासन को समाप्त कर दिया और पूर्ण स्वतंत्रता दिलाई। इस अधिनियम के माध्यम से भारत और पाकिस्तान स्वतंत्र राष्ट्र बन गए और इसके बाद भारत ने अपना संविधान बनाकर लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव रखी।
 
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