भारत-पाक युद्ध(Indo Pak Wars)
संघर्ष, विजय और सबक
प्रस्तावना
भारत और पाकिस्तान का संबंध 1947 के विभाजन के बाद से ही तनावपूर्ण रहा है। दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध हुए, जिनका प्रभाव न केवल दक्षिण एशिया की राजनीति पर पड़ा बल्कि विश्व राजनीति को भी प्रभावित किया। भारत-पाक युद्ध केवल सीमाओं का संघर्ष नहीं था, बल्कि यह राष्ट्रीय अस्मिता, सुरक्षा और आत्मसम्मान का प्रश्न भी था। इस लेख में हम क्रमवार रूप से 1947, 1965, 1971 और 1999 (कारगिल युद्ध) का विश्लेषण करेंगे।
पहला भारत-पाक युद्ध (1947-48) – कश्मीर का प्रश्न
पृष्ठभूमि
- स्वतंत्रता के समय जम्मू-कश्मीर एक रियासत था।
- महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे, लेकिन पाकिस्तान समर्थित कबीलाइ हमलावरों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया।
घटनाक्रम
- महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी।
- भारत ने सशर्त सहायता दी और कश्मीर का भारत में विलय (Instrument of Accession) हुआ।
- भारतीय सेना ने हमलावरों को पीछे धकेला।
- जनवरी 1949 में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से युद्धविराम हुआ और कश्मीर दो भागों (PoK और जम्मू-कश्मीर) में बंट गया।
परिणाम
- यह युद्ध कश्मीर विवाद की नींव बना।
- भारत ने लोकतांत्रिक तरीके से कश्मीर को साथ जोड़ा, जबकि पाकिस्तान ने बल प्रयोग का रास्ता अपनाया।
दूसरा भारत-पाक युद्ध (1965) – ऑपरेशन जिब्राल्टर
पृष्ठभूमि
- पाकिस्तान ने सोचा कि भारत 1962 के चीन युद्ध के बाद कमजोर है।
- उसने कश्मीर में घुसपैठ कराकर “ऑपरेशन जिब्राल्टर” चलाया।
घटनाक्रम
- भारतीय सेना ने घुसपैठियों को खदेड़ दिया।
- सितंबर 1965 में दोनों देशों के बीच बड़ा युद्ध छिड़ गया।
- भारत ने लाहौर और सियालकोट तक मोर्चा खोल दिया।
परिणाम
- 22 दिन तक चले इस युद्ध में पाकिस्तान को भारी क्षति हुई।
- सोवियत संघ की मध्यस्थता से ताशकंद समझौता (1966) हुआ।
- प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस समझौते के बाद अचानक निधन हो गया, जो देश के लिए गहरा आघात था।
तीसरा भारत-पाक युद्ध (1971) – बांग्लादेश का जन्म
पृष्ठभूमि
- पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) में बंगाली जनता पर अत्याचार हो रहे थे।
- 1970 के चुनावों में शेख मुजीबुर रहमान की जीत के बावजूद उन्हें सत्ता नहीं दी गई।
- पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेशी जनता पर दमन शुरू किया।
- लाखों शरणार्थी भारत में आए।
घटनाक्रम
- 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारतीय हवाई ठिकानों पर हमला किया।
- भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पूर्वी मोर्चे पर निर्णायक युद्ध छेड़ा।
- केवल 13 दिनों में भारतीय सेना ने ढाका में विजय प्राप्त की।
परिणाम
- पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण किया और 93,000 सैनिक भारतीय सेना के कैदी बने।
- बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया।
- यह भारत की सबसे बड़ी सैन्य और राजनीतिक जीत मानी जाती है।
कारगिल युद्ध (1999) – आधुनिक काल का संघर्ष
पृष्ठभूमि
- 1998 में भारत और पाकिस्तान दोनों ने परमाणु परीक्षण किए।
- इसी के बाद पाकिस्तान ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ कर दी।
घटनाक्रम
- भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चलाया।
- जवानों ने कठिन परिस्थितियों में ऊँचाई पर लड़ते हुए दुश्मन को पीछे धकेला।
- जुलाई 1999 तक भारत ने कारगिल से सभी घुसपैठियों को बाहर कर दिया।
परिणाम
- भारत ने सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर जीत दर्ज की।
- पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठे।
- यह युद्ध भारत की सेना की वीरता और जनता के एकजुट समर्थन का प्रतीक बना।
भारत-पाक युद्धों से मिले सबक
- कश्मीर विवाद की जटिलता – हर युद्ध की जड़ में यही समस्या रही।
- सेना की शक्ति और जनता का मनोबल – भारतीय सेना ने हर बार अदम्य साहस दिखाया।
- कूटनीतिक महत्व – युद्ध केवल मोर्चे पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लड़े जाते हैं।
- शांति की आवश्यकता – युद्ध से केवल जान-माल की हानि होती है, समाधान संवाद से ही संभव है।
निष्कर्ष
भारत-पाक युद्ध केवल सैन्य संघर्ष नहीं थे, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, लोकतंत्र और आत्मसम्मान की रक्षा के युद्ध थे।
भारत ने हर बार यह साबित किया कि वह शांति का पक्षधर है, लेकिन अपनी सुरक्षा और अखंडता से कभी समझौता नहीं कर सकता।
आज भी जब हम 1947, 1965, 1971 और 1999 के युद्धों को याद करते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत की ताकत उसकी सेना, जनता और लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित है।
 
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