जायद की फसल(jayad ki fasal)

जायद की फसल(jayad ki fasal)

परिचय(Introduction)

भारत की कृषि व्यवस्था तीन प्रमुख फसल चक्रों पर आधारित है – खरीफ, रबी और जायद। जहाँ खरीफ और रबी फसलें अधिक प्रचलित हैं, वहीं जायद की फसलें भी भारतीय किसानों के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। जायद फसलें मुख्यतः गर्मी के मौसम (मार्च से जून) में बोई जाती हैं और अपेक्षाकृत कम समय में पक जाती हैं। इनका उत्पादन किसानों की आय बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा और रोजगार में अहम योगदान देता है।

इस लेख में हम जायद की फसल की परिभाषा, प्रमुख फसलें, विशेषताएँ, भौगोलिक वितरण, महत्व, चुनौतियाँ और सरकारी प्रयासों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


1. जायद फसल क्या है?

  • जायद फसलें वे होती हैं जिन्हें रबी की कटाई (मार्च-अप्रैल) के बाद और खरीफ की बुवाई (जून-जुलाई) से पहले गर्मी के मौसम में बोया जाता है।
  • इन फसलों का जीवन चक्र छोटा होता है और ये जल्दी पक जाती हैं।
  • जायद फसलें प्रायः सिंचाई पर निर्भर होती हैं क्योंकि इस अवधि में प्राकृतिक वर्षा नगण्य होती है।


2. जायद फसलों की विशेषताएँ

  • बुवाई का समय – मार्च से अप्रैल
  • कटाई का समय – जून से जुलाई
  • वृद्धि के लिए 25°C से 40°C तक का तापमान उपयुक्त।
  • पर्याप्त सिंचाई और धूप की आवश्यकता।
  • ये फसलें किसानों को अतिरिक्त आय और जमीन के अधिकतम उपयोग का अवसर देती हैं।


3. प्रमुख जायद फसलें

3.1. खरबूजा (Muskmelon)

  • गर्मी के मौसम की प्रमुख फल फसल।
  • मुख्य राज्य – उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश।

3.2. तरबूज (Watermelon)

  • अधिक जल और गर्म जलवायु उपयुक्त।
  • मुख्य राज्य – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक।

3.3. खीरा और ककड़ी (Cucumber & Gourd)

  • गर्मी की सब्ज़ी फसलें।
  • मुख्य राज्य – बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल।

3.4. मूँग (Green Gram)

  • दलहन वर्ग की प्रमुख जायद फसल।
  • मुख्य राज्य – राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश।

3.5. उड़द (Black Gram)

  • कम अवधि में पकने वाली दलहन फसल।
  • मुख्य राज्य – उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश।

3.6. सूरजमुखी (Sunflower)

  • तिलहन फसल।
  • मुख्य राज्य – कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र।

3.7. सब्ज़ियाँ

  • लौकी, तोरई, करेला आदि भी इस मौसम में प्रचुर मात्रा में उगाई जाती हैं।

4. जायद फसलों का भौगोलिक वितरण

  • उत्तर भारत – खरबूजा, तरबूज, मूँग, उड़द।
  • पूर्वी भारत – खीरा, ककड़ी, लौकी।
  • पश्चिम भारत – मूँग, सूरजमुखी।
  • दक्षिण भारत – तरबूज, सूरजमुखी, सब्ज़ियाँ।


5. जायद फसलों का महत्व

  • खाद्य सुरक्षा – ग्रीष्मकालीन सब्ज़ियाँ और फल लोगों की आवश्यकता पूरी करते हैं।
  • पोषण – मूँग और उड़द प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं।
  • आर्थिक महत्व – ये फसलें किसानों को खरीफ और रबी के बीच अतिरिक्त आय प्रदान करती हैं।
  • रोज़गार – इस मौसम में खेती से जुड़े कार्यों से ग्रामीणों को रोज़गार मिलता है।
  • भूमि का उपयोग – खाली पड़ी भूमि का सदुपयोग।


6. जायद फसलों से जुड़ी चुनौतियाँ

  • सिंचाई पर अत्यधिक निर्भरता – क्योंकि गर्मी में वर्षा नहीं होती।
  • उच्च तापमान – फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
  • कीट और रोग – गर्मी और नमी में सब्ज़ियाँ अधिक प्रभावित होती हैं।
  • भंडारण और परिवहन – तरबूज, खरबूजा जैसी फल फसलें जल्दी खराब हो जाती हैं।
  • किसानों की जागरूकता की कमी – आधुनिक तकनीक का सीमित उपयोग।


7. सरकारी योजनाएँ और पहल

  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) – जायद फसलों के लिए सिंचाई की सुविधा।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) – दलहन उत्पादन (मूँग, उड़द) बढ़ाने हेतु।
  • राष्ट्रीय तिलहन मिशन – सूरजमुखी जैसी तिलहन फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) – किसानों को अल्पकालिक ऋण।


8. सुधार और भविष्य की दिशा

  • सूक्ष्म सिंचाई तकनीक – ड्रिप और स्प्रिंकलर का अधिक उपयोग।
  • फसल विविधीकरण – केवल सब्ज़ियों तक सीमित न रहकर दलहन और तिलहन भी बढ़ाना।
  • भंडारण और कोल्ड स्टोरेज सुविधा
  • उच्च तापमान सहनशील बीजों का विकास
  • किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता।


निष्कर्ष

जायद की फसलें भारतीय कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये न केवल किसानों को अतिरिक्त आय देती हैं, बल्कि लोगों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को भी पूरा करती हैं। मूँग, उड़द, तरबूज, खरबूजा जैसी फसलें देश की खाद्य सुरक्षा, पोषण और अर्थव्यवस्था के लिए अहम हैं।

हालाँकि, इनका उत्पादन पूरी तरह सिंचाई और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यदि हम आधुनिक सिंचाई तकनीक, उन्नत बीज और भंडारण सुविधाएँ उपलब्ध कराएँ, तो जायद फसलों का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों ही बढ़ सकते हैं।


फसल चक्र बुवाई का समय कटाई का समय प्रमुख फसलें जलवायु/स्थिति प्रमुख राज्य
खरीफ जून – जुलाई (मानसून आरंभ) सितंबर – अक्टूबर धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, कपास, गन्ना, मूँगफली अधिक वर्षा और गर्म जलवायु पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु
रबी अक्टूबर – दिसंबर (सर्दी) मार्च – अप्रैल गेहूँ, जौ, चना, मसूर, मटर, सरसों ठंडी सर्दी और शुष्क गर्मी पंजाब, हरियाणा, यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान
जायद मार्च – अप्रैल (गर्मी) जून – जुलाई मूँग, उड़द, तरबूज, खरबूजा, खीरा, सूरजमुखी गर्म और शुष्क जलवायु, सिंचाई पर निर्भर यूपी, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ