लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँ 

लोकोक्तियाँ का महत्व 

हिन्दी भाषा की समृद्धि में लोकोक्तियाँ (Proverbs) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये हमारे संस्कृति, परंपरा और अनुभवों का निचोड़ होती हैं। लोकोक्तियाँ भाषा को न केवल सजीव बनाती हैं बल्कि उसमें नीतिपरकता, व्यंग्य और सटीकता भी जोड़ती हैं।


लोकोक्ति क्या है? (What is a Lokokti)

लोकोक्ति का शाब्दिक अर्थ है – 'लोक में कही गई बात'। ये ऐसी कहावतें होती हैं जो जनमानस द्वारा लंबे समय के अनुभव के आधार पर कही जाती हैं। इनका उपयोग किसी विशेष स्थिति को स्पष्ट करने, सीख देने या व्यंग्य करने के लिए किया जाता है।

📌 परिभाषा:
"लोकोक्ति वह वाक्यांश होती है जो अनुभवजन्य सत्य, नीति, उपदेश या व्यंग्य को प्रकट करती है।"


🟨 लोकोक्तियों की विशेषताएँ

  • पूर्ण वाक्य के रूप में होती हैं
  • इनका अर्थ स्पष्ट और गूढ़ होता है
  • सामाजिक जीवन, व्यवहार और नीति पर आधारित
  • साहित्य, संवाद, भाषण और लेखन में प्रमुख उपयोग
  • रोचक, शिक्षाप्रद और व्यंग्यात्मक स्वरूप


🟩 प्रमुख लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ

लोकोक्ति अर्थ
नाच न जाने आँगन टेढ़ा अपनी गलती दूसरों पर थोपना
ऊँट के मुँह में जीरा आवश्यकता की तुलना में बहुत कम
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद मूर्ख व्यक्ति वस्तु का मूल्य नहीं समझता
ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर जब काम शुरू कर लिया तो डरना व्यर्थ
घर का जोगी जोगड़ा, बाहर का सिद्ध अपने को कम और दूसरों को बड़ा मानना
जैसा करोगे वैसा भरोगे कर्मों का फल अवश्य मिलता है
दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है जिसने ठोकर खाई है वह हर कदम पर सतर्क होता है
आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे लालच करने से दोनों हाथ से नुकसान होता है
जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं केवल बोलने वाले काम नहीं करते
एक अनार सौ बीमार संसाधन कम और चाहने वाले अधिक

✍️ लोकोक्तियों के वाक्य प्रयोग

नाच न जाने आँगन टेढ़ा
अजय ने जब परीक्षा में कम अंक पाए तो कहा – पेपर ही कठिन था। नाच न जाने आँगन टेढ़ा।

ऊँट के मुँह में जीरा
इतना कम भोजन देखकर लगा जैसे ऊँट के मुँह में जीरा।

दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है
पहले धोखा खाया है, अब वो हर सौदे को बहुत सोच-समझकर करता है – सच ही है, दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है।

जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं
अजय बहुत गुस्से से चिल्ला रहा था लेकिन कुछ किया नहीं, जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं।

एक अनार सौ बीमार
उस नौकरी के लिए इतनी सारी अर्ज़ियाँ आईं कि लगा एक अनार सौ बीमार।


📘 लोकोक्तियों पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

❓ प्रश्न 1: “नाच न जाने आँगन टेढ़ा” का क्या अर्थ है?

A) आँगन टेढ़ा है
B) नाच सही नहीं आता
C) अपनी गलती दूसरों पर थोपना
D) नाच बहुत कठिन है
उत्तर: C) अपनी गलती दूसरों पर थोपना


❓ प्रश्न 2: “बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद” किसे कहते हैं?

A) जानवरों को
B) असमझ व्यक्ति को
C) डॉक्टर को
D) सज्जन को
उत्तर: B) असमझ व्यक्ति को


❓ प्रश्न 3: “ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर” का क्या आशय है?

A) डरना नहीं चाहिए
B) शुरू किए कार्य से डरना व्यर्थ है
C) मूसल चोट करेगा
D) सिर में चोट लग सकती है
उत्तर: B) शुरू किए कार्य से डरना व्यर्थ है


❓ प्रश्न 4: “दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है” का क्या अर्थ है?

A) छाछ गर्म होती है
B) छाछ स्वादिष्ट होती है
C) अनुभव से सतर्कता आती है
D) दूध पीना अच्छा नहीं
उत्तर: C) अनुभव से सतर्कता आती है


🧠 लोकोक्तियाँ याद करने के आसान तरीके

  • रोज़ 3-5 लोकोक्तियाँ पढ़कर वाक्य निर्माण करें
  • कहानियों, लेखों व अख़बारों से लोकोक्तियाँ नोट करें
  • Flashcards बनाएं और दोहराव से याद रखें
  • Quiz, Mock Test और Group Discussions से अभ्यास करें


🔚 निष्कर्ष

लोकोक्तियाँ न केवल भाषा को सजाती हैं, बल्कि उसमें गहराई, व्यंग्य और नैतिकता भी जोड़ती हैं। हिन्दी भाषा के अध्ययन में इनका ज्ञान आवश्यक है, विशेषकर निबंध लेखन, संवाद, और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए। इनके सही और उपयुक्त प्रयोग से आपकी भाषा-शैली प्रभावशाली बनती है।

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