🏭 मेक इन इंडिया (Make in India)
आत्मनिर्भर भारत की औद्योगिक क्रांति
परिचय: मेक इन इंडिया क्या है?
इस पहल का नारा है:
“Zero Defect, Zero Effect” – अर्थात् ऐसे उत्पाद बनाना जिनमें कोई दोष न हो और जिनका पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
मेक इन इंडिया केवल एक आर्थिक नीति नहीं, बल्कि यह भारत के आत्मनिर्भरता (Self-reliance) और रोजगार सृजन (Employment Generation) की दिशा में उठाया गया क्रांतिकारी कदम है।
मेक इन इंडिया का उद्देश्य (Objectives of Make in India)
इस योजना के प्रमुख उद्देश्यों को निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है:
भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाना
ताकि विदेशी और घरेलू दोनों कंपनियाँ भारत में उत्पादन करें।रोजगार के अवसर बढ़ाना
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए रोजगार सृजित करना।आर्थिक विकास को तेज करना
GDP में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाना (लक्ष्य: 25%)।विदेशी निवेश आकर्षित करना (FDI Promotion)
नीति सुधारों और ‘Ease of Doing Business’ के माध्यम से निवेशकों को प्रोत्साहन देना।नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देना
आधुनिक तकनीकों और कौशल विकास के जरिए प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना।मेक इन इंडिया के तहत चयनित 25 क्षेत्र (25 Sectors under Make in India)
- ऑटोमोबाइल
- ऑटो कंपोनेंट्स
- एविएशन (विमानन)
- बायोटेक्नोलॉजी
- रक्षा निर्माण (Defence Manufacturing)
- इलेक्ट्रॉनिक्स
- आईटी और बीपीओ
- फार्मास्यूटिकल्स
- रेलवे
- टेक्सटाइल और गारमेंट
- खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing)
- निर्माण (Construction)
- खनन (Mining)
- रिन्यूएबल एनर्जी
- पोर्ट्स और शिपिंग
- पर्यटन और आतिथ्य (Tourism & Hospitality)
- रसायन उद्योग (Chemicals)
- चिकित्सा उपकरण (Medical Devices)
- चमड़ा उद्योग (Leather Industry)
- मीडिया और एंटरटेनमेंट
- ऑयल और गैस
- अंतरिक्ष (Space)
- सड़क परिवहन
- थर्मल पावर
- कृषि एवं सहायक उद्योग
इन क्षेत्रों में सुधार और निवेश से भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chain) में शामिल करना लक्ष्य था।
मेक इन इंडिया के प्रमुख सुधार (Key Reforms under Make in India)
🔹 1. FDI नीति में सुधार
- कई क्षेत्रों में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की अनुमति दी गई।
- रक्षा, रेलवे, बीमा और एविएशन में निवेश सीमा बढ़ाई गई।
🔹 2. व्यवसाय करने में आसानी (Ease of Doing Business)
- औद्योगिक लाइसेंस प्रक्रिया को सरल बनाया गया।
- सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया।
- भारत की रैंकिंग 2014 में 142 से बढ़कर 2020 में 63वें स्थान पर पहुँची।
🔹 3. इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास
- औद्योगिक कॉरिडोर (Industrial Corridors) और स्मार्ट सिटीज़ का निर्माण।
- दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) जैसी परियोजनाएँ।
🔹 4. डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया से तालमेल
- डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से निवेश प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया।
- नवाचार और स्टार्टअप्स को मेक इन इंडिया के साथ जोड़ा गया।
मेक इन इंडिया के प्रमुख लाभ (Benefits of Make in India)
रोजगार के अवसरों में वृद्धि
लाखों नए रोजगार सृजित हुए, विशेषकर उत्पादन और निर्माण क्षेत्रों में।विदेशी निवेश में वृद्धि
FDI प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई — भारत 2021 में विश्व के शीर्ष 5 FDI गंतव्यों में शामिल हुआ।विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि
इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ा।निर्यात में बढ़ोतरी
मेड-इन-इंडिया उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ी।तकनीकी नवाचार और स्किल डेवलपमेंट
उद्योगों में आधुनिक तकनीक अपनाई गई, जिससे भारत में कौशल-आधारित रोजगार बढ़े।मेक इन इंडिया की प्रमुख उपलब्धियाँ (Major Achievements)
FDI रिकॉर्ड:
वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने $83.6 बिलियन FDI आकर्षित किया।मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में क्रांति:
भारत आज विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता:
DRDO और HAL जैसे संगठनों ने स्वदेशी हथियार, विमान और मिसाइलें विकसित कीं।रेलवे में मेक इन इंडिया:
वंदे भारत ट्रेनें, LHB कोच और सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों का निर्माण भारत में हुआ।इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में प्रगति:
टाटा, महिंद्रा और ओला जैसी कंपनियाँ भारत में EV निर्माण को गति दे रही हैं।मेक इन इंडिया से जुड़ी चुनौतियाँ (Challenges of Make in India)
हालाँकि इस योजना ने कई सफलताएँ अर्जित की हैं, फिर भी कुछ चुनौतियाँ मौजूद हैं:
इन्फ्रास्ट्रक्चर की सीमाएँ
सड़कों, बंदरगाहों और बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है।कौशल की कमी (Skill Gap)
उद्योगों की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी बनी हुई है।ब्यूरोक्रेसी और नीतिगत देरी
निवेशकों को अभी भी कई अनुमति प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता है।वैश्विक प्रतिस्पर्धा
चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा।अनुसंधान और विकास (R&D) में कमी
भारत को अनुसंधान पर अधिक निवेश की आवश्यकता है।मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का संबंध
मेक इन इंडिया के माध्यम से:
- घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिला,
- विदेशी निर्भरता कम हुई,
- स्थानीय उद्योगों को शक्ति मिली,
- और भारत की वैश्विक छवि एक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरी।
शासन, समाज और अर्थव्यवस्था में भूमिका
🔸 शासन (Governance)
🔸 समाज (Society)
🔸 अर्थव्यवस्था (Economy)
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points for Exams)
- मेक इन इंडिया की शुरुआत: 25 सितंबर 2014
- आरंभकर्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
- नारा: Zero Defect, Zero Effect
- संवर्धित क्षेत्र: 25 उद्योग क्षेत्र
- नोडल मंत्रालय: उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT)
- FDI में वृद्धि: 2021-22 में $83.6 बिलियन
- मुख्य उद्देश्य: भारत को विनिर्माण हब बनाना
- संबंधित अभियान: डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग: 142 से 63 तक सुधार (2014–2020)
- मोबाइल निर्माण: भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश
निष्कर्ष (Conclusion)
हालाँकि चुनौतियाँ अभी भी हैं, लेकिन यदि भारत अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर, नीति स्थिरता और कौशल विकास को मजबूत करता है, तो वह अगले दशक में वैश्विक विनिर्माण शक्ति (Global Manufacturing Power) बन सकता है।
 
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