बाजरा (Millets)
विश्व परिप्रेक्ष्य में उत्पादन, उपभोग और कृषि आवश्यकताएँ
बाजरा (Millets) छोटे दाने वाले अनाजों का समूह है जिसमें प्रमुख रूप से पर्ल मिलेट (Bajra), फिंगर मिलेट (Ragi), फॉक्सटेल मिलेट, कोदो, बरनी और प्रोसो मिलेट शामिल हैं। इन्हें "सुपर फूड" भी कहा जाता है क्योंकि ये पोषक तत्वों से भरपूर, ग्लूटेन-फ्री और सूखा-प्रतिरोधी हैं। विश्व स्तर पर बाजरे की महत्ता तेजी से बढ़ रही है क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा और जलवायु सहनशीलता दोनों का समाधान प्रदान करता है।
बाजरे का वैश्विक महत्व
- बाजरा विश्व की छठी सबसे बड़ी अनाज फसल है।
- यह सूखा और गर्मी सहनशील है, इसलिए शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों की प्रमुख फसल।
- इसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और फाइबर की अधिकता होने से यह स्वास्थ्यवर्धक आहार है।
- संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को "अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष" घोषित किया।
बाजरे की खेती के लिए आवश्यक शर्तें (तालिका)
कारक | आवश्यक स्थिति | विवरण |
---|---|---|
तापमान (Temperature) | 20°C – 35°C | अंकुरण के लिए न्यूनतम 20°C और वृद्धि के लिए 27°C–32°C आदर्श। |
वर्षा (Rainfall) | 40 – 80 सेमी | कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। |
मृदा (Soil) | रेतीली, हल्की और जल निकासी वाली मिट्टी | गरीब और शुष्क मिट्टी में भी उगती है। |
कृषि क्षेत्र (Type of Region) | शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्र | अफ्रीका (नाइजर, माली, नाइजीरिया), एशिया (भारत, चीन), और कुछ यूरोपीय व अमेरिकी क्षेत्र। |
ऊँचाई (Altitude) | 200 – 1500 मीटर | समतल और पठारी क्षेत्रों में अच्छी उपज। |
विश्व में बाजरे का उत्पादन
प्रमुख उत्पादक देश
- भारत – विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक (लगभग 40% हिस्सा)।
- नाइजर और नाइजीरिया – अफ्रीका के प्रमुख उत्पादक।
- चीन और माली – एशिया और अफ्रीका में बड़े पैमाने पर उत्पादन।
- सूडान और इथियोपिया – स्थानीय उपभोग के लिए प्रमुख।
महाद्वीपवार उत्पादन
- अफ्रीका – नाइजर, नाइजीरिया, माली, सूडान।
- एशिया – भारत, चीन, नेपाल।
- यूरोप और अमेरिका – सीमित, परंतु स्वास्थ्य खाद्य बाजार में मांग बढ़ रही है।
बाजरे का उपभोग
- भारत और अफ्रीका – रोटी, खिचड़ी, दलिया, पारंपरिक व्यंजन।
- यूरोप और अमेरिका – स्वास्थ्य खाद्य और ग्लूटेन-फ्री डाइट में।
- शराब और पेय पदार्थों के निर्माण में भी उपयोग।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
- प्रमुख निर्यातक: भारत, नाइजर, यूक्रेन।
- प्रमुख आयातक: यूएई, सऊदी अरब, यूरोपीय देश और अमेरिका (स्वास्थ्य खाद्य बाजार के लिए)।
- भारत सबसे बड़ा निर्यातक है और अफ्रीका सबसे बड़ा उपभोक्ता।
वैश्विक चुनौतियाँ
- कम उपज (Low Productivity): गेहूँ और चावल की तुलना में।
- बाजार में कम पहचान: कई जगह इसे गरीबों का भोजन समझा जाता है।
- भंडारण और प्रसंस्करण की समस्या।
- जलवायु परिवर्तन: यद्यपि सहनशील, लेकिन अत्यधिक अनियमित मौसम उत्पादन को प्रभावित करता है।
बाजरा और भविष्य
- वैश्विक स्वास्थ्य खाद्य उद्योग में तेजी से मांग बढ़ रही है।
- सूखा-ग्रस्त क्षेत्रों की खाद्य सुरक्षा में सहायक।
- पोषण सुरक्षा (Nutrition Security) में महत्वपूर्ण भूमिका।
- संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न सरकारें बाजरे की खेती को प्रोत्साहित कर रही हैं।
बाजरे का विश्व परिप्रेक्ष्य: सारणीबद्ध जानकारी
पहलू | विवरण |
---|---|
सबसे बड़ा उत्पादक | भारत (~40% विश्व उत्पादन) |
दूसरे प्रमुख उत्पादक | नाइजर, नाइजीरिया, माली |
प्रमुख निर्यातक | भारत, नाइजर, यूक्रेन |
प्रमुख आयातक | यूएई, सऊदी अरब, यूरोप और अमेरिका |
मुख्य उपभोग क्षेत्र | अफ्रीका (भोजन), भारत (भोजन), यूरोप/अमेरिका (स्वास्थ्य खाद्य) |
आवश्यक जलवायु | 20°C – 35°C तापमान, 40–80 सेमी वर्षा |
भविष्य की चुनौती | कम उपज, बाजार में पहचान की कमी, भंडारण समस्या |
निष्कर्ष
बाजरा न केवल स्वास्थ्यवर्धक और पोषण से भरपूर है, बल्कि यह सूखा-प्रतिरोधी फसल भी है, जो भविष्य में बदलती जलवायु परिस्थितियों में वैश्विक खाद्य सुरक्षा की कुंजी साबित हो सकती है। आने वाले वर्षों में बाजरा का महत्व केवल एशिया और अफ्रीका तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह विश्व स्तर पर सुपर फूड के रूप में स्थापित होगा।
0 टिप्पणियाँ