न्यूनतम समर्थन मूल्य


न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

प्रस्तावना

कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है। देश की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन किसानों की आय अनिश्चितता, मौसम, बाज़ार के उतार-चढ़ाव और मध्यस्थों की पकड़ के कारण अक्सर प्रभावित होती रहती है। ऐसी परिस्थितियों में किसानों की सुरक्षा और उनकी मेहनत का उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था लागू की है। MSP किसानों के आर्थिक संरक्षण का एक महत्वपूर्ण उपकरण माना जाता है।


न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है?

न्यूनतम समर्थन मूल्य, जिसे अंग्रेज़ी में Minimum Support Price कहा जाता है, वह पूर्व निर्धारित गारंटीकृत मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से फसलों की खरीद करने के लिए तैयार रहती है।
यदि किसी फसल का बाज़ार मूल्य बहुत कम हो जाए, तो सरकार MSP पर फसल खरीदकर किसानों को घाटे से बचाती है। इसका सीधा उद्देश्य है कि किसान कम से कम लागत का लाभ अवश्य प्राप्त करें।


MSP कैसे तय होता है?

MSP को निर्धारित करने का कार्य कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा किया जाता है।
CACP विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करती है, जैसे:

  • खेती की लागत (बीज, उर्वरक, श्रम, सिंचाई आदि)
  • किसान की पारिवारिक मजदूरी
  • भूमि का किराया
  • फसल की मांग और आपूर्ति
  • अंतरराष्ट्रीय मूल्य
  • बाजार के पिछले अनुभव
  • सरकार का खाद्य सुरक्षा लक्ष्य

इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए CACP सुझाव देती है, जिसे अंततः सरकार द्वारा मंजूरी दी जाती है।


MSP का उद्देश्य

  1. किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना

    बाज़ार मूल्य गिरने पर भी किसानों को MSP पर समर्थन मिलता है।

  2. न्यायसंगत मूल्य सुनिश्चित करना

    सरकार किसानों को उनकी लागत का उचित लाभ देने का प्रयास करती है।

  3. खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाना

    सरकार MSP पर अनाज खरीदकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए भंडारण करती है।

  4. खेती को प्रोत्साहित करना

    MSP किसानों को फसल उत्पादन बढ़ाने और नई तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

  5. कृषि बाजार स्थिरता बनाए रखना

    MSP अस्थिर बाजार परिस्थितियों में किसानों की रक्षा करता है।


MSP किन फसलों के लिए घोषित होता है?

भारत सरकार साल में दो बार—खरीफ और रबी सीजन की फसलों के लिए MSP घोषित करती है। इनमें शामिल हैं:

खरीफ फसलें

  • धान
  • बाजरा, ज्वार, मक्का
  • मूंग, उड़द, अरहर
  • सोयाबीन, मूंगफली, तिल
  • कपास

रबी फसलें

  • गेहूं
  • चना, मसूर
  • सरसों, जौ
  • अलसी

इसके अतिरिक्त गन्ने के लिए सरकार FRP (Fair and Remunerative Price) घोषित करती है, जो MSP के समान ही काम करता है।


MSP के लाभ

1. किसान की आय की सुरक्षा

बाजार मंदी के समय भी किसान को MSP के रूप में आय सुनिश्चित रहती है।

2. न्यूनतम लाभ की गारंटी

सरकार प्रयास करती है कि ग्रामीण किसान को फसल लागत से ऊपर लाभ मिले।

3. फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन

विभिन्न फसलों पर MSP से किसान नई और विविध फसलें अपनाने के लिए प्रेरित होते हैं।

4. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती

किसानों की आय स्थिर होने से ग्राम स्तर पर आर्थिक गतिविधियाँ भी बढ़ती हैं।

5. खाद्य सुरक्षा प्रणाली का आधार

सरकार MSP पर खरीदकर राशन प्रणाली के लिए भंडारण करती है।


MSP की चुनौतियाँ और आलोचनाएँ

हालांकि MSP एक महत्वपूर्ण प्रणाली है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ भी हैं:

1. सीमित सरकारी खरीद

MSP सभी फसलों के लिए घोषित तो होता है, लेकिन सरकार मुख्य रूप से गेहूं और धान की खरीद करती है। अन्य फसलों के किसानों को MSP का लाभ कम मिलता है।

2. खरीद केंद्रों की कमी

कई राज्यों में खरीद केंद्र पर्याप्त नहीं हैं, जिससे किसान MSP पर बिक्री नहीं कर पाते।

3. भंडारण क्षमता की समस्या

सरकारी एजेंसियों के पास अतिरेक अनाज के लिए पर्याप्त भंडारण व्यवस्था नहीं है।

4. क्षेत्रीय असमानता

पंजाब, हरियाणा, MP जैसे राज्यों में MSP पर खरीद अधिक होती है, जबकि पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में इसका लाभ सीमित है।

5. लागत गणना पर विवाद

कई किसान संगठन मांग उठाते हैं कि सरकार C2+50% तरीके से MSP तय करे, जबकि अभी विभिन्न लागत मॉडल लागू हैं।


MSP से जुड़े प्रमुख सुधारों की जरूरत

विशेषज्ञ निम्न सुधारों की सिफारिश करते हैं:

MSP की सार्वभौमिक गारंटी

सभी किसानों को MSP का कानूनी लाभ मिले।

फसल विविधीकरण बढ़ाना

गेहूं-धान के बजाय दालों और तिलहन पर अधिक खरीद।

भंडारण और लॉजिस्टिक्स में सुधार

FCI जैसी संस्थाओं को आधुनिक बनाना।

किसानों को सीधे भुगतान

डिजिटल माध्यम से पारदर्शी लेन-देन।

निष्कर्ष

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भारतीय किसान के लिए सुरक्षा कवच की तरह है। यह उसे बाजार की अनिश्चितता और जोखिमों से बचाता है तथा उत्पादन जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करता है। हालांकि MSP प्रणाली में कई चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन उचित सुधारों और मजबूत सरकारी नीतियों के माध्यम से इसे और प्रभावी बनाया जा सकता है।
कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में MSP की भूमिका भविष्य में भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनी रहेगी।



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