भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग

 भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग 

(National Waterways of India)

भारत एक नदी प्रधान देश है और यहाँ जल परिवहन प्राचीन काल से ही व्यापार और आवागमन का महत्त्वपूर्ण साधन रहा है। आधुनिक समय में भी यह साधन सस्ता, पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा-कुशल माना जाता है। इसी कारण भारत सरकार ने राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways) के विकास को प्राथमिकता दी है।


🚢 राष्ट्रीय जलमार्ग का परिचय

  • राष्ट्रीय जलमार्ग वे नदी, नहर या बैकवॉटर मार्ग हैं जिन्हें भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया है।
  • इनका विकास और रखरखाव अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI – Inland Waterways Authority of India, स्थापना 1986) करता है।
  • 2025 तक भारत में कुल 111 राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किए जा चुके हैं।


📜 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • 1982 : अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) को अलग क्षेत्र के रूप में मान्यता।
  • 1986 : IWAI का गठन।
  • 1988 : राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम के अंतर्गत प्रथम राष्ट्रीय जलमार्ग (NW-1) की स्थापना।
  • 2016 : राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत 106 नए जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया।


🌊 प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग

1. राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (NW-1)

  • मार्ग : गंगा नदी (इलाहाबाद/प्रयागराज से हल्दिया, पश्चिम बंगाल)।
  • लंबाई : 1620 किमी
  • महत्त्व : भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय जलमार्ग, “गंगा-ब्रह्मपुत्र-बराक” परियोजना का हिस्सा।
  • प्रमुख टर्मिनल : वाराणसी, पटना, गाज़ीपुर, हल्दिया।

2. राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (NW-2)

  • मार्ग : ब्रह्मपुत्र नदी (सादिया से धुबरी, असम)।
  • लंबाई : 891 किमी
  • महत्त्व : पूर्वोत्तर भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण जलमार्ग।

3. राष्ट्रीय जलमार्ग-3 (NW-3)

  • मार्ग : पश्चिमी तटवर्ती नहर, केरल।
  • लंबाई : 205 किमी
  • महत्त्व : पर्यटन और यात्री परिवहन के लिए प्रसिद्ध।

4. राष्ट्रीय जलमार्ग-4 (NW-4)

  • मार्ग : गोदावरी और कृष्णा नदी डेल्टा, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु।
  • लंबाई : 1078 किमी
  • महत्त्व : दक्षिण भारत का सबसे बड़ा जलमार्ग, कृषि उत्पादों की ढुलाई।

5. राष्ट्रीय जलमार्ग-5 (NW-5)

  • मार्ग : ब्राह्मणी नदी और महानदी डेल्टा, ओडिशा–पश्चिम बंगाल।
  • लंबाई : 588 किमी
  • महत्त्व : खनिज और कोयले की ढुलाई।


📊 आँकड़े (2025 तक)

  • कुल राष्ट्रीय जलमार्ग : 111
  • कुल संभावित लंबाई : 20,275 किमी
  • परिचालन में : लगभग 25 राष्ट्रीय जलमार्ग
  • सबसे लंबा जलमार्ग : NW-1 (1620 किमी)
  • सबसे छोटा जलमार्ग : कुछ बैकवॉटर जलमार्ग (10–20 किमी)।


✅ राष्ट्रीय जलमार्गों के लाभ

  1. कम लागत – सड़क और रेल की तुलना में लगभग 30–40% सस्ता।
  2. पर्यावरण अनुकूल – ईंधन खपत और कार्बन उत्सर्जन कम।
  3. भारी माल परिवहन में सक्षम – कोयला, सीमेंट, लौह अयस्क, अनाज आदि।
  4. पर्यटन और रोजगार के अवसर – क्रूज़ और हाउसबोट उद्योग।
  5. ग्रामीण–शहरी संपर्क – छोटे बंदरगाहों को जोड़ना।


⚠️ प्रमुख चुनौतियाँ

  • नदी मार्गों में पानी की गहराई (ड्राफ्ट) की कमी।
  • बरसात और गर्मियों में जल स्तर में उतार-चढ़ाव
  • नौवहन के लिए आधुनिक टर्मिनल और जहाजों की कमी
  • नौकरशाही विलंब और राज्यों के बीच समन्वय की कमी


🌱 सरकार की पहल

  • जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) – विश्व बैंक सहायता से गंगा (NW-1) का विकास।
  • सागरमाला परियोजना – बंदरगाह आधारित विकास और जल परिवहन को बढ़ावा।
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति (2022) – जलमार्गों को माल ढुलाई का प्रमुख साधन बनाने की योजना।
  • ग्रीन शिपिंग नीति (2023) – पर्यावरण अनुकूल जहाजों का प्रयोग।


🏗️ भविष्य की दिशा (2025 और आगे)

  • 2030 तक 40 से अधिक जलमार्गों को पूर्णत: संचालन में लाने का लक्ष्य।
  • जलमार्गों को रेल और सड़क नेटवर्क से जोड़ने (मल्टीमॉडल हब) पर ज़ोर।
  • डिजिटल निगरानी प्रणाली और GPS आधारित नेविगेशन।
  • जल पर्यटन और क्रूज़ इंडस्ट्री को प्रोत्साहन।


निष्कर्ष

भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग देश की लॉजिस्टिक लागत को कम करने, पर्यावरणीय प्रदूषण घटाने और ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने का एक बड़ा साधन हैं। 2025 तक भारत ने कई जलमार्गों को सक्रिय कर लिया है और आने वाले वर्षों में ये देश की अर्थव्यवस्था के लिए हरित परिवहन क्रांति का आधार बनेंगे।



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