नेहरू रिपोर्ट

नेहरू रिपोर्ट (Nehru Report) 1928

भारत में संविधान और स्वशासन का प्रारूप

नेहरू रिपोर्ट 1928 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। यह रिपोर्ट भारत में स्वशासन (Self-Government) और संविधान निर्माण के लिए एक प्रारंभिक प्रयास थी।


नेहरू रिपोर्ट की पृष्ठभूमि

  • साल: 1928
  • संपादक/अध्यक्ष: पंडित जवाहरलाल नेहरू
  • निर्माणकर्ता समिति: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं द्वारा गठित समिति
  • प्रेरणा: ब्रिटिश सरकार की संतोषजनक संवैधानिक सुधार की मांग और भारत में स्वशासन की दिशा में पहल।
  • संदर्भ: अंग्रेजी सरकार ने सिंधिया और सुल्तान की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए भारत में संवैधानिक सुधारों की मांग उठाई थी।


नेहरू रिपोर्ट के मुख्य उद्देश्य

  1. स्वशासन की रूपरेखा प्रस्तुत करना – भारत के लिए पूर्ण स्वशासन की दिशा तय करना।
  2. संविधान का प्रारूप तैयार करना – भारत में स्थायी संविधान और संसदीय प्रणाली के लिए मार्गदर्शन।
  3. समान नागरिक अधिकार सुनिश्चित करना – धर्म, जाति और लिंग के आधार पर समान अधिकार।
  4. संवैधानिक सुधार – ब्रिटिश शासन से न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाना।


नेहरू रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ

विशेषता विवरण
संवैधानिक स्वरूप भारत को संसदीय प्रणाली के तहत स्वशासन देना।
धार्मिक और जातीय समानता सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करना।
संकट और विवाद समाधान प्रांतों और केंद्र के बीच सत्ता का संतुलन।
भाषा और शिक्षा स्थानीय भाषाओं और शिक्षा प्रणाली को संवैधानिक अधिकार देना।
शासन की संरचना ब्रिटिश शासन से पूर्ण रूप से अलग, स्वतंत्र भारत के लिए शासन की रूपरेखा।

नेहरू रिपोर्ट के प्रभाव

राजनीतिक प्रभाव:

  • कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच मतभेद स्पष्ट हुए।
  • मुस्लिम नेताओं ने रिपोर्ट को अस्वीकार किया, जिससे बाद में मोशन फॉर ऑटोमोमी और पाकिस्तान की मांग उभरी।

सामाजिक प्रभाव:

  • समाज में समान नागरिक अधिकार और जातीय समानता के विचार को बढ़ावा।

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:

  • यह रिपोर्ट भारत में स्वशासन और संविधान निर्माण की दिशा में पहला महत्वपूर्ण दस्तावेज़ थी।
  • स्वतंत्रता आंदोलन के लिए राजनीतिक दिशा और आधार तैयार किया।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • कांग्रेस और मुस्लिम लीग के मतभेद: मुस्लिम नेताओं ने इसे अस्वीकार किया और अलग संविधान की मांग उठाई।
  • अगला कदम: 1931 का पुणे अधिवेशन और फिर 1935 का भारत सरकार अधिनियम।
  • नेहरू रिपोर्ट का महत्व: यह स्वतंत्र भारत के लिए संविधान निर्माण की नींव रखती है।


निष्कर्ष

नेहरू रिपोर्ट 1928 भारतीय इतिहास में संवैधानिक सुधार और स्वशासन की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम था। इसने राजनीतिक चेतना बढ़ाई और स्वतंत्रता संग्राम में कानूनी और संवैधानिक दिशा प्रदान की। यह रिपोर्ट आज भी भारतीय संविधान निर्माण के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण स्रोत मानी जाती है।



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