पोखरण परमाणु परीक्षण(pokharan Nuclear Test)
भारत की सामरिक शक्ति का प्रतीक
प्रस्तावना
भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और चर्चित घटनाओं में से एक है पोखरण परमाणु परीक्षण। यह परीक्षण न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमता और रणनीतिक सोच का प्रतीक है, बल्कि इसने भारत को विश्व राजनीति में एक नई पहचान भी दी। राजस्थान के पोखरण परीक्षण स्थल पर दो बार परमाणु परीक्षण हुए – 1974 (पोखरण-I) और 1998 (पोखरण-II)।
परमाणु परीक्षण की पृष्ठभूमि
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद परमाणु तकनीक शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई।
- भारत ने हमेशा परमाणु ऊर्जा को शांतिपूर्ण उपयोग के लिए अपनाने पर बल दिया।
- लेकिन पड़ोसी देशों (चीन, पाकिस्तान) की गतिविधियों और बदलते अंतरराष्ट्रीय हालात ने भारत को परमाणु क्षमता हासिल करने के लिए प्रेरित किया।
पोखरण-I (1974) – “स्माइलिंग बुद्धा”
घटनाक्रम
- 18 मई 1974 को राजस्थान के पोखरण परीक्षण रेंज में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया।
- इस परीक्षण को कोड नाम दिया गया – “स्माइलिंग बुद्धा”।
- इसका नेतृत्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. होमी सेठना और डॉ. राजा रमन्ना ने किया।
परिणाम
भारत दुनिया का छठा परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बना।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाए।
- यह परीक्षण पूरी तरह से “शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट” के रूप में प्रस्तुत किया गया।
पोखरण-II (1998) – “ऑपरेशन शक्ति”
घटनाक्रम
- 11 और 13 मई 1998 को भारत ने दूसरी बार राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किए।
- इस बार पांच विस्फोट किए गए –
- एक फ्यूजन बम (हाइड्रोजन बम)
- चार फिशन बम
- यह परीक्षण तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हुआ।
- वैज्ञानिकों में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और डॉ. आर. चिदंबरम की प्रमुख भूमिका रही।
परिणाम
- भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह एक परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र है।
- पाकिस्तान ने भी कुछ ही समय बाद अपने परमाणु परीक्षण किए।
- अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए, लेकिन बाद में भारत की रणनीतिक महत्ता को स्वीकार किया।
पोखरण परीक्षण का महत्व
- सुरक्षा और रक्षा – चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के मद्देनज़र भारत की सुरक्षा मजबूत हुई।
- वैज्ञानिक क्षमता – भारतीय वैज्ञानिकों की दक्षता और आत्मनिर्भरता सिद्ध हुई।
- कूटनीतिक प्रभाव – भारत विश्व राजनीति में एक परमाणु शक्ति के रूप में उभरा।
- राष्ट्रीय गौरव – इन परीक्षणों ने भारतवासियों के आत्मविश्वास और गर्व को बढ़ाया।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- अमेरिका और पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत ने अपनी नीति पर कायम रहते हुए आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।
- रूस और फ्रांस जैसे देशों ने भारत के साथ सहयोग जारी रखा।
- बाद में अमेरिका ने भी भारत के साथ न्यूक्लियर डील (2008) पर सहमति जताई।
पोखरण से मिले सबक
- आत्मनिर्भर भारत – कठिन प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने अपनी क्षमता साबित की।
- रणनीतिक स्वायत्तता – भारत ने किसी दबाव के आगे झुके बिना अपनी नीति बनाई।
- शांति और शक्ति का संतुलन – भारत ने हमेशा कहा कि उसकी परमाणु नीति “नो फर्स्ट यूज” (पहले प्रयोग न करने की नीति) पर आधारित है।
निष्कर्ष
पोखरण परमाणु परीक्षण भारत की वैज्ञानिक प्रगति, सामरिक सोच और राष्ट्रीय संकल्प का प्रतीक है।
1974 का “स्माइलिंग बुद्धा” और 1998 का “ऑपरेशन शक्ति” केवल परमाणु विस्फोट नहीं थे, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता, सुरक्षा और वैश्विक मंच पर पहचान की गूंज थे।
आज जब भारत दुनिया की अग्रणी शक्तियों में गिना जाता है, तो उसकी नींव पोखरण की रेत में हुए उन ऐतिहासिक विस्फोटों ने ही रखी थी।
 
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