जनसंख्या वृद्धि दर

जनसंख्या वृद्धि दर और घटने के कारण

विश्व की जनसंख्या निरंतर बदलती रहती है। इसका वृद्धि दर और घटने के कारण सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक और स्वास्थ्य संबंधी कारकों पर निर्भर करते हैं। समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शहरी नियोजन, संसाधन प्रबंधन और आर्थिक नीति के लिए आधार बनाता है।


जनसंख्या वृद्धि दर (Population Growth Rate)

जनसंख्या वृद्धि दर वह अनुपात है जिसके अनुसार किसी क्षेत्र की जनसंख्या एक वर्ष में बढ़ती या घटती है। इसे जन्म दर, मृत्यु दर और प्रवास दर के आधार पर मापा जाता है।

मुख्य कारक जो वृद्धि दर बढ़ाते हैं

  1. उच्च जन्म दर – ग्रामीण और विकासशील देशों में बच्चे अधिक जन्मते हैं।
  2. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार – शिशु मृत्यु दर कम होने से जनसंख्या बढ़ती है।
  3. आर्थिक अवसर और खाद्य सुरक्षा – कृषि प्रधान और रोजगार केंद्र वाले क्षेत्र में लोग अधिक बच्चे पैदा करते हैं।
  4. सांस्कृतिक और धार्मिक कारण – कुछ समाजों में परिवार बड़ा रखने की परंपरा।
  5. आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय प्रवास – शहरों और महानगरों में रोजगार के कारण प्रवास बढ़ता है।


जनसंख्या घटने के कारण

कुछ देशों और क्षेत्रों में जनसंख्या घटती भी है। इसके कारण हैं

  1. कम जन्म दर – विकसित देशों में परिवार छोटे होते हैं।
  2. उच्च मृत्यु दर – युद्ध, महामारी और प्राकृतिक आपदाओं के कारण।
  3. आवास और जीवन शैली के कारण – शहरी और महंगे क्षेत्र में बच्चे कम जन्मते हैं।
  4. महिला शिक्षा और रोजगार – शिक्षित और कामकाजी महिलाएं बच्चे कम पैदा करती हैं।
  5. प्रवास और पलायन – लोग अन्य देशों या शहरों में चले जाते हैं।


विश्व में वृद्धि और घटाव के उदाहरण

क्षेत्र / देश जनसंख्या वृद्धि दर (%) मुख्य कारण
भारत 0.9–1.2% उच्च जन्म दर, शिशु मृत्यु दर में कमी, ग्रामीण प्रवास
चीन 0.3% परिवार नियोजन नीति, कम जन्म दर, वृद्ध जनसंख्या
जापान -0.3% कम जन्म दर, वृद्ध जनसंख्या, रोजगार कारण
अमेरिका 0.6% प्रवास, जन्म दर स्थिर, स्वास्थ्य सुधार
अफ्रीका (सब-सहारा) 2.5–3% उच्च जन्म दर, कृषि प्रधान समाज, कम स्वास्थ्य सुविधाएँ
यूरोप 0–0.2% कम जन्म दर, वृद्ध जनसंख्या, प्रवास का संतुलन

निष्कर्ष

जनसंख्या वृद्धि और घटाव सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है। उच्च वृद्धि वाले देश अत्यधिक जनसंख्या दबाव का सामना कर सकते हैं, जबकि घटती जनसंख्या वाले देश वरिष्ठ नागरिकों की संख्या बढ़ने और श्रम संकट का सामना करते हैं। इसलिए संतुलित जनसंख्या नीति और शहरी/ग्रामीण विकास योजनाएँ आवश्यक हैं।



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