गरीबी(Poverty)
सामाजिक, आर्थिक और मानव विकास की सबसे जटिल चुनौती
प्रस्तावना
हम गरीबी को केवल आर्थिक अभाव की स्थिति नहीं, बल्कि एक ऐसी बहुआयामी सामाजिक समस्या मानते हैं, जो व्यक्ति की जीवन-स्तर, शिक्षा, स्वास्थ्य, अवसरों की उपलब्धता, सम्मानजनक जीवन, और मानव अधिकारों तक को प्रभावित करती है। किसी भी राष्ट्र का समग्र विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक समाज के कमजोर वर्ग गरीबी के दुष्चक्र से बाहर नहीं निकलते। इसलिए, गरीबी का समाधान केवल आर्थिक वृद्धि से नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समान अवसर और सशक्तिकरण के माध्यम से ही संभव है।
गरीबी का अर्थ और परिभाषा
गरीबी का मूल अर्थ है — आवश्यक संसाधनों की कमी, जैसे:
- पर्याप्त भोजन
- सुरक्षित आवास
- शिक्षा
- स्वास्थ्य सेवाएँ
- रोजगार और आय
- सामाजिक सुरक्षा
पूर्ण गरीबी और सापेक्ष गरीबी, दोनों ही समाज के विकास को प्रभावित करती हैं। पूर्ण गरीबी वह स्थिति है जब व्यक्ति अपनी बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाता, जबकि सापेक्ष गरीबी में व्यक्ति समाज के औसत जीवन स्तर से काफी पीछे होता है।
गरीबी के प्रमुख कारण
1. बेरोजगारी और कम आय
रोजगार की कमी और कम आय गरीबी के सबसे बड़े कारण हैं। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को:
- न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती
- सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है
- स्थायी नौकरियों की कमी होती है
2. शिक्षा और कौशल की कमी
शिक्षा की कमी व्यक्ति को बेहतर आय वाले रोजगार से वंचित कर देती है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में:
- स्कूलों की कमी
- शिक्षकों का अभाव
- डिजिटल शिक्षा का न होना
गरीबी को और बढ़ाता है।
3. स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता
बीमारियों के कारण आय में कमी और उपचार के खर्च से परिवार गरीबी में धकेले जाते हैं। यह एक स्वास्थ्य-गरीबी दुष्चक्र बनाता है।
4. सामाजिक और लैंगिक असमानता
महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अन्य हाशिए पर स्थित समूहों को संसाधनों और अवसरों तक कम पहुंच मिलती है। इससे गरीबी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है।
5. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और जलवायु चुनौतियाँ
भारत में कई ग्रामीण परिवार कृषि पर निर्भर हैं, लेकिन:
- मानसून पर निर्भरता
- सिंचाई की कमी
- प्राकृतिक आपदाएँ
- कम बाजार मूल्य
किसानों की आय को प्रभावित करते हैं।
गरीबी के प्रभाव
1. कुपोषण और स्वास्थ्य संकट
गरीबी का सबसे बड़ा असर कुपोषण पर पड़ता है। गरीब परिवार पर्याप्त और संतुलित भोजन नहीं ले पाते जिसके कारण:
- बच्चों में स्टंटिंग
- एनीमिया
- मानसिक विकास में कमी
जैसी समस्याएँ बढ़ती हैं।
2. शिक्षा में बाधा
गरीबी के कारण बच्चे स्कूल छोड़कर काम करने लगते हैं। इससे:
- बाल मजदूरी
- अशिक्षा
- जीवन भर कम आय
की समस्या उत्पन्न होती है।
3. सामाजिक असमानता और अपराध
आर्थिक असमानता बढ़ने से समाज में:
- अपराध
- नशे की समस्या
- सामाजिक तनाव
जैसी समस्याएँ बढ़ती हैं।
4. आर्थिक विकास में रुकावट
गरीबी देश की:
- उत्पादकता
- मानव पूँजी
- आर्थिक वृद्धि
को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
भारत में गरीबी की स्थिति
भारत ने पिछले वर्षों में गरीबी कम करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, लेकिन अब भी लाखों लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का स्तर शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है।
मुख्य चुनौतियाँ:
- ग्रामीण बेरोजगारी
- कृषि संकट
- शहरी झुग्गियों का विस्तार
- कुपोषण
गरीबी उन्मूलन के सरकारी प्रयास
1. मनरेगा (MGNREGA)
यह दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार योजनाओं में से एक है, जो ग्रामीण गरीबों को 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करती है।
2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)
गरीब परिवारों को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है।
3. प्रधानमंत्री जन-धन योजना
बैंकिंग सेवाओं तक गरीबों की पहुंच बढ़ाने के लिए यह योजना अत्यंत सफल रही है।
4. प्रधानमंत्री आवास योजना
गरीब परिवारों को पक्का घर प्रदान करने के लिए यह योजना चल रही है।
5. आयुष्मान भारत योजना
गरीब परिवारों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा कवच प्रदान करती है।
6. स्किल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया
गरीब और बेरोजगार युवाओं को कौशल प्रशिक्षण और उद्यमिता के अवसर दिए जाते हैं।
गरीबी हटाने के लिए प्रभावी उपाय
1. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच
हर बच्चे को डिजिटल और आधुनिक शिक्षण संसाधन उपलब्ध कराना गरीबी उन्मूलन की पहली शर्त है।
2. स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है।
3. रोजगार सृजन और कौशल विकास
उद्योगों, MSME क्षेत्र और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित किए जा सकते हैं।
4. कृषि सुधार
बेहतर सिंचाई, आधुनिक तकनीक और न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगे।
5. सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार
वृद्धावस्था पेंशन, मातृत्व लाभ और बीमा योजनाएँ गरीबों को सुरक्षा देती हैं।
निष्कर्ष
गरीबी केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय चुनौती है। इसे मिटाने के लिए आर्थिक वृद्धि, सामाजिक न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और समान अवसर—सभी को साथ लेकर चलना होगा। जब समाज के सबसे कमजोर लोग सशक्त होंगे, तभी देश वास्तविक अर्थों में विकसित हो सकेगा। हमारा लक्ष्य उन परिस्थितियों को बदलना है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी गरीबी को बनाए रखती हैं, ताकि हर व्यक्ति सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जी सके।
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