राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy)
आधुनिक भारत के सामाजिक सुधारक
राजा राम मोहन राय भारतीय समाज के एक महान सुधारक, चिंतक और विचारक थे। उन्हें आधुनिक भारत का जनक भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक सुधार के माध्यम से भारतीय समाज को नई दिशा दी।
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: 22 मई 1772, राधनपुर, बंगाल (अब वेस्ट बंगाल)
- पिता: रामकृष्ण राय
- शिक्षा: संस्कृत, फारसी, अरबी और पश्चिमी ज्ञान
- प्रेरणा: भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों और धार्मिक अंधविश्वासों को सुधारने की।
राजा राम मोहन राय की प्रमुख उपलब्धियाँ
1. सती प्रथा का विरोध
- राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा को एक सामाजिक अपराध माना।
- उन्होंने ब्रिटिश सरकार के समक्ष सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई।
- उपलब्धि: 1829 में ब्रिटिश शासन ने सती प्रथा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।
2. धार्मिक सुधार आंदोलन
- उन्होंने वेदों और शास्त्रों का अध्ययन करके धार्मिक अंधविश्वासों का विरोध किया।
- ब्रह्म समाज (Brahmo Samaj) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था ईश्वर में विश्वास और सामाजिक सुधार।
- उन्होंने हिंदू धर्म में सुधार और धार्मिक समानता की दिशा में काम किया।
3. शिक्षा का प्रचार
- पश्चिमी और आधुनिक शिक्षा के समर्थक।
- महिला शिक्षा और विज्ञान शिक्षा का प्रचार किया।
- नई शिक्षा प्रणाली के माध्यम से समाज में जागरूकता बढ़ाई।
4. सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता
- भारतीयों में सामाजिक और राजनीतिक चेतना पैदा की।
- ब्रिटिश शासन के प्रशासनिक और कानूनी सुधारों की मांग की।
राजा राम मोहन राय के विचार
- सत्य और अहिंसा – समाज में सुधार और न्याय के लिए।
- धार्मिक समानता – सभी धर्मों का समान आदर और समान अधिकार।
- सामाजिक सुधार – सती प्रथा, जातिवाद, बाल विवाह और अन्य कुरीतियों का विरोध।
- शिक्षा – महिलाओं और पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा का अधिकार।
महत्वपूर्ण योगदान का सार
| क्षेत्र | योगदान | 
|---|---|
| सामाजिक सुधार | सती प्रथा का विरोध, बाल विवाह और विधवा विवाह के लिए संघर्ष | 
| धार्मिक सुधार | ब्रह्म समाज की स्थापना, धार्मिक अंधविश्वासों का विरोध | 
| शिक्षा | आधुनिक शिक्षा का प्रचार, महिलाओं और पिछड़े वर्गों को शिक्षा का अवसर | 
| राजनीतिक जागरूकता | ब्रिटिश शासन के खिलाफ सुधार की मांग और जनता में जागरूकता | 
निष्कर्ष
राजा राम मोहन राय भारतीय समाज के पहले और सबसे प्रभावशाली सुधारक थे। उन्होंने सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक सुधारों के माध्यम से आधुनिक भारत की नींव रखी। उनका योगदान न केवल स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में, बल्कि समाज में समानता और न्याय के लिए भी अनमोल है।
उनके प्रयासों ने भारत को आधुनिक, शिक्षित और जागरूक समाज बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 
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