भारत की राजभाषा

 भारत की राजभाषा(Indian Official Language)

परिचय (Introduction)

भारत एक बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक देश है। यहाँ सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं। इस भाषाई विविधता के बावजूद संविधान में एक राजभाषा (Official Language) का प्रावधान किया गया है ताकि प्रशासनिक कार्यों और शासन में एकरूपता लाई जा सके।


📜 संवैधानिक आधार

  • अनुच्छेद 343 से 351 तक – राजभाषा और उससे संबंधित प्रावधान।
  • आठवीं अनुसूची – भारत की मान्यता प्राप्त भाषाएँ (वर्तमान में 22 भाषाएँ)।


🏛️ अनुच्छेद 343 : राजभाषा का प्रावधान

  • भारत की राजभाषा – हिंदी (देवनागरी लिपि में)
  • अंतरराष्ट्रीय और व्यावसायिक कार्यों के लिए अंग्रेज़ी का प्रयोग भी मान्य।
  • मूल रूप से अंग्रेज़ी का प्रयोग केवल 15 वर्ष (1965 तक) के लिए था, परंतु बाद में इसे बढ़ा दिया गया।


⚖️ अन्य संबंधित प्रावधान

  1. अनुच्छेद 344 – राजभाषा आयोग और संसद की समितियाँ।
  2. अनुच्छेद 345 – राज्यों की राजभाषा का निर्धारण।
  3. अनुच्छेद 346 – राज्यों के बीच संचार की भाषा।
  4. अनुच्छेद 347 – किसी भाषा को मान्यता देने हेतु विशेष प्रावधान।
  5. अनुच्छेद 348 – उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और विधायी कार्यों की भाषा – अंग्रेज़ी।
  6. अनुच्छेद 350 – भाषा संबंधी शिकायतों के निवारण के लिए विशेष अधिकारी।
  7. अनुच्छेद 351 – हिंदी भाषा के विकास और प्रोत्साहन का निर्देश।


📊 आठवीं अनुसूची की भाषाएँ (2025 तक – 22 भाषाएँ)

असमिया, बंगला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू।


✅ राजभाषा से जुड़ी समितियाँ और आयोग

  • राजभाषा आयोग (1955) – हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए।
  • राजभाषा संसदीय समिति – संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल।
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय का राजभाषा विभाग – हिंदी के प्रयोग की प्रगति की निगरानी।

⚠️ विवाद और चुनौतियाँ

  • हिंदी बनाम अन्य भाषाएँ : कई राज्यों में हिंदी थोपे जाने के विरोध में आंदोलन।
  • अंग्रेज़ी पर निर्भरता : न्यायपालिका, उच्च शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अभी भी अंग्रेज़ी प्रमुख है।
  • भाषाई विविधता : सभी भाषाओं को समान महत्व देना कठिन।


🌍 वर्तमान स्थिति (2025 तक)

  • हिंदी देश की राजभाषा है।
  • अंग्रेज़ी भी सहायक राजभाषा के रूप में प्रयोग हो रही है।
  • सभी राज्यों को अपनी राजभाषा चुनने का अधिकार है (जैसे – तमिलनाडु में तमिल, कर्नाटक में कन्नड़)।
  • केंद्र सरकार द्वारा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ (जैसे – राजभाषा पुरस्कार, हिंदी पखवाड़ा, ई-गवर्नेंस में हिंदी का प्रयोग)।


🔑 निष्कर्ष

भारत की राजभाषा नीति बहुभाषीय और संतुलित है। हिंदी को बढ़ावा देने के साथ-साथ अंग्रेज़ी और अन्य भाषाओं को भी महत्व दिया गया है। यही कारण है कि भारत की भाषाई विविधता एकता में बंधकर “विविधता में एकता” का अनोखा उदाहरण प्रस्तुत करती है।



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