प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन

 प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के परिणाम

(Result of Natural Resources Exploitation)

परिचय

प्राकृतिक संसाधन जैसे जल, वन, खनिज और ऊर्जा मानव जीवन और विकास के लिए आवश्यक हैं। लेकिन अत्यधिक दोहन (Overexploitation) से इन संसाधनों का संतुलन बिगड़ता है। इसका प्रभाव पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक सभी स्तरों पर देखने को मिलता है।


1. जल संसाधनों पर प्रभाव

  • भूजल स्तर में गिरावट – अत्यधिक जल निकासी से भूमिगत जल स्तर कम होता है।
  • सिंचाई और पीने के पानी की कमी – कृषि और उद्योग प्रभावित होते हैं।
  • प्राकृतिक आपदाएँ – सूखा, बाढ़ और जल संकट बढ़ना।
  • जल प्रदूषण का बढ़ना – अपशिष्ट जल का अनियंत्रित प्रवाह।


2. वन संसाधनों पर प्रभाव

  • वनस्पति और जीव-जंतु की विविधता में कमी
  • मृदा कटाव और भूमि क्षरण – वन की कमी से मिट्टी का क्षरण।
  • कार्बन अवशोषण कम होना – वैश्विक तापन बढ़ता है।
  • स्थानीय जलवायु में बदलाव – वर्षा पैटर्न और तापमान असंतुलित।


3. खनिज संसाधनों पर प्रभाव

  • संसाधनों का शीघ्र समाप्त होना – कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस जैसी सीमित वस्तुएँ।
  • पर्यावरणीय नुकसान – खनन से भूमि, जल और वायु प्रदूषण।
  • आर्थिक अस्थिरता – खनिज पर आधारित उद्योगों और रोजगार में कमी।


4. ऊर्जा संसाधनों पर प्रभाव

  • फॉसिल ईंधनों का शीघ्र समाप्त होना
  • ऊर्जा संकट – बिजली और ईंधन की कमी।
  • वातावरणीय प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन – CO₂ और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ना।


5. पारिस्थितिकी तंत्र पर व्यापक प्रभाव

  • जैव विविधता में कमी – भोजन श्रृंखला और प्राकृतिक संतुलन बिगड़ना।
  • प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि – बाढ़, सूखा, तूफान।
  • मानव जीवन और स्वास्थ्य पर असर – पानी, भोजन और स्वच्छ वायु की कमी।


निष्कर्ष

प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन स्थायी विकास और मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा है। इसके परिणामस्वरूप संसाधनों की कमी, पर्यावरणीय असंतुलन और आर्थिक संकट उत्पन्न होता है। इसलिए हमें सतत उपयोग, पुनर्चक्रण, संरक्षण नीतियाँ और जन-जागरूकता को अपनाना आवश्यक है।


यहाँ प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन पर आधारित 10 महत्वपूर्ण FAQ दिए जा रहे हैं, जो प्रतियोगी परीक्षाओं और सामान्य अध्ययन के लिए उपयोगी हैं:


FAQ

Q1. प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन क्या है?

➡️ जब संसाधनों का मानव आवश्यकताओं से अधिक उपयोग किया जाता है और उनकी प्राकृतिक पुनरुत्पत्ति क्षमता से अधिक खपत होती है।

Q2. अत्यधिक दोहन का सबसे बड़ा कारण क्या है?

➡️ जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकीकरण, कृषि विस्तार, ऊर्जा और खनिजों की बढ़ती मांग।

Q3. जल संसाधनों पर अत्यधिक दोहन के क्या प्रभाव हैं?

➡️ भूजल स्तर में गिरावट, पीने और सिंचाई के पानी की कमी, सूखा और जल संकट।

Q4. वन संसाधनों पर अत्यधिक दोहन से क्या नुकसान होते हैं?

➡️ जैव विविधता में कमी, मृदा कटाव, कार्बन अवशोषण में कमी और स्थानीय जलवायु परिवर्तन।

Q5. खनिज संसाधनों पर अत्यधिक दोहन के परिणाम क्या हैं?

➡️ संसाधनों की शीघ्र समाप्ति, पर्यावरणीय प्रदूषण और आर्थिक अस्थिरता।

Q6. ऊर्जा संसाधनों का अत्यधिक दोहन किस प्रकार पर्यावरण को प्रभावित करता है?

➡️ फॉसिल ईंधनों की कमी, CO₂ उत्सर्जन में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन।

Q7. अत्यधिक दोहन से पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या असर पड़ता है?

➡️ जैव विविधता में कमी, भोजन श्रृंखला का असंतुलन और प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि।

Q8. अत्यधिक दोहन को रोकने के उपाय क्या हैं?

➡️ सतत उपयोग, पुनर्चक्रण, संरक्षण नीतियाँ, वनों और जल संसाधनों की रक्षा।

Q9. कौन से कानून प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में मदद करते हैं?

➡️ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, जल नीति और खनन नियमन कानून, राष्ट्रीय पर्यावरण नीति

Q10. अत्यधिक दोहन मानव जीवन को कैसे प्रभावित करता है?

➡️ पानी, भोजन और स्वच्छ वायु की कमी, आर्थिक संकट और स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ती हैं।



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