भारत में चावल की कृषि

भारत में चावल की कृषि

भारत को धान्यागार (Granary of the World) कहा जाता है और यहाँ की चावल कृषि का विशेष महत्व है। चावल भारत की मुख्य खाद्य फसल है और देश की लगभग 65% जनसंख्या इसका उपभोग करती है। उत्पादन की दृष्टि से भारत, चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है।


चावल का महत्व

  • मुख्य खाद्य स्रोत: अधिकांश भारतीयों का प्रमुख भोजन।
  • आर्थिक योगदान: चावल उत्पादन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत।
  • निर्यात: भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है (विशेषकर बासमती चावल)।
  • उद्योग में उपयोग: चावल से तेल, शराब, भूसी और पशु-चारे का निर्माण।


चावल उत्पादन की आवश्यक शर्तें

जलवायु

  • चावल उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाया जाता है।
  • औसत तापमान 20°C से 35°C आवश्यक।
  • 150 से 300 से.मी. वर्षा उपयुक्त मानी जाती है।

मिट्टी

  • चावल के लिए जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी और दलदली भूमि उपयुक्त।
  • सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र: गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान

सिंचाई

  • धान की खेती के लिए पर्याप्त पानी आवश्यक।
  • सिंचाई के अभाव में वर्षा आधारित क्षेत्रों में भी इसकी खेती होती है।


भारत में चावल उत्पादन क्षेत्र

1. उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्र

  • पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश – सिंचाई और हरित क्रांति के कारण उच्च उत्पादकता।

2. परंपरागत क्षेत्र

  • पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम, झारखंड – सदियों से चावल उत्पादन का केंद्र।

3. दक्षिण भारत

आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक – सिंचाई और मानसून पर आधारित।

4. उत्तर-पूर्व भारत

  • असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम – उच्च वर्षा वाले क्षेत्र, पारंपरिक धान उत्पादन।

भारत में चावल की प्रमुख किस्में

1. बासमती चावल

  • सुगंधित और लंबा दाना।
  • उत्तर भारत (हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश) में प्रसिद्ध।
  • निर्यात की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण।

2. गैर-बासमती चावल

  • मोटे दाने वाले, आम उपभोग के लिए।
  • पूर्वी और दक्षिणी भारत में प्रमुख।

3. उन्नत किस्में (HYV - High Yielding Varieties)

  • हरित क्रांति के बाद विकसित।
  • उदाहरण: IR-8, स्वर्ण, संकर किस्में।


धान की कृषि पद्धतियाँ

1. नर्सरी पद्धति (Transplantation Method)

  • पौध पहले नर्सरी में उगाए जाते हैं और बाद में खेतों में रोपे जाते हैं।
  • पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल में प्रचलित।

2. सीधी बुआई (Broadcasting Method)

  • बीज सीधे खेत में बो दिए जाते हैं।
  • कम श्रम और लागत वाली पद्धति।

3. झूम खेती (Shifting Cultivation)

  • पूर्वोत्तर भारत में पारंपरिक पद्धति।

भारत में चावल से संबंधित चुनौतियाँ

  1. जल संसाधनों पर दबाव: अत्यधिक पानी की आवश्यकता।
  2. कीट व रोग: धान की फसल रोगों से प्रभावित होती है।
  3. उर्वरक पर निर्भरता: HYV बीजों के लिए अधिक खाद चाहिए।
  4. विपणन और भंडारण समस्या: उत्पादन के बाद उचित संग्रहण का अभाव।
  5. जलवायु परिवर्तन: असमान वर्षा और बाढ़/सूखे का प्रभाव।


भारत में चावल का उत्पादन और निर्यात

  • भारत प्रतिवर्ष लगभग 120 मिलियन टन चावल का उत्पादन करता है।
  • प्रमुख निर्यातक देश: सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, अफ्रीका और यूरोपीय देश।
  • भारत का बासमती चावल निर्यात अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे प्रसिद्ध है।


निष्कर्ष

चावल कृषि भारतीय जीवन का अभिन्न अंग है। यह न केवल खाद्य सुरक्षा का आधार है बल्कि विदेशी मुद्रा अर्जन का भी प्रमुख साधन है। यदि भारत जल प्रबंधन, उन्नत बीज, आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों का अधिक प्रयोग करे तो आने वाले समय में चावल उत्पादन और निर्यात दोनों में नई ऊँचाइयाँ हासिल कर सकता है।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ