सम्राट हर्षवर्धन (Samrat Harshwardhan)
परिचय
सम्राट हर्षवर्धन (606–647 ई.) वर्धन वंश के महान शासक थे। उनके पिता प्रभाकरवर्धन और भाई राज्यवर्धन थे। भाई की मृत्यु के बाद हर्ष ने कन्नौज को राजधानी बनाकर उत्तर भारत में विशाल साम्राज्य स्थापित किया। प्रारंभ में वे शैव धर्मानुयायी थे, परंतु बाद में बौद्ध धर्म से प्रभावित हुए। उन्होंने प्रयाग में पांच वर्ष पर विशाल धर्मसभा आयोजित की। कवि बाणभट्ट उनके दरबार के प्रमुख विद्वान थे, जिन्होंने हर्षचरित लिखा। ह्वेनसांग ने उनके शासन का वर्णन किया। हर्ष स्वयं भी नाटककार थे और रत्नावली, प्रियदर्शिका तथा नागानंद की रचना की। वे गुप्तकाल के बाद अंतिम महान शासक माने जाते हैं।
👑 सम्राट हर्षवर्धन (7वीं शताब्दी)
| विषय | विवरण | 
|---|---|
| पूरा नाम | सम्राट हर्षवर्धन | 
| कालखंड | 606 ईस्वी – 647 ईस्वी | 
| वंश | वर्धन वंश (पुष्यभूति वंश) | 
| पिता | प्रभाकरवर्धन | 
| भाई | राज्यवर्धन | 
| राजधानी | कन्नौज (Kannauj) | 
| साम्राज्य | उत्तर भारत का विशाल साम्राज्य (पंजाब से लेकर बंगाल तक) | 
| धर्म | प्रारंभ में शैव धर्म के अनुयायी, बाद में बौद्ध धर्म से प्रभावित | 
| महान कार्य | - कन्नौज को राजधानी बनाना - बौद्ध धर्म के संरक्षण और प्रसार में योगदान - इलाहाबाद (प्रयाग) में हर पांच वर्ष में महाधर्म परिषद (महामोक्ष परिषद) का आयोजन | 
| विद्वानों से संबंध | प्रसिद्ध संस्कृत कवि बाणभट्ट उनके दरबार में थे (जिन्होंने हर्षचरित और कादंबरी लिखी) | 
| विदेशी यात्री का वर्णन | चीनी यात्री ह्वेनसांग (Xuanzang) उनके शासनकाल में भारत आया और हर्ष के शासन, धर्म और प्रशासन का विस्तृत वर्णन किया। | 
| मृत्यु | लगभग 647 ईस्वी (मृत्यु के बाद उनका साम्राज्य कमजोर पड़ गया) | 
⚔️ विशेषताएँ:
- हर्षवर्धन अंतिम महान हिंदू सम्राटों में से एक माने जाते हैं।
- उनका साम्राज्य गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद उत्तरी भारत की एकता का प्रतीक था।
- वे कवि, लेखक और कला-प्रेमी शासक थे। उन्होंने संस्कृत नाटक रत्नावली, प्रियदर्शिका और नागानंद की रचना भी की।
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