सविनय अवज्ञा आंदोलन
(Civil Disobedience Movement)
भारत की आज़ादी की ओर एक निर्णायक कदम
सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसकी शुरुआत महात्मा गांधी द्वारा 1930 में की गई थी। यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के अन्यायपूर्ण कानूनों के अहिंसक उल्लंघन के माध्यम से भारत को स्वतंत्रता दिलाने का संगठित प्रयास था।
✊ सविनय अवज्ञा आंदोलन की पृष्ठभूमि
1929 के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) को अपना लक्ष्य घोषित किया। इसके साथ ही 26 जनवरी 1930 को भारत का पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसके बाद ब्रिटिश शासन के खिलाफ सीधा संघर्ष आरंभ करने का निर्णय लिया गया।
🧂 नमक सत्याग्रह और आंदोलन की शुरुआत
महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के नमक कानून को चुनौती देने का निर्णय लिया, क्योंकि यह गरीबों के जीवन को सीधे प्रभावित करता था। 12 मार्च 1930 को गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक 24 दिनों की यात्रा की, जिसे दांडी यात्रा कहा गया।
🔹 दांडी यात्रा की विशेषताएँ:
- कुल दूरी: लगभग 240 मील (385 किमी)
- प्रारंभ: 12 मार्च 1930
- समापन: 6 अप्रैल 1930
- गांधीजी ने समुद्र से नमक बनाकर कानून तोड़ा, और यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन का आगाज हुआ।
📜 मुख्य मांगे और विरोध के तरीके
सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत भारतीय जनता ने ब्रिटिश सरकार के कई कानूनों और नीतियों का अहिंसक विरोध किया। आंदोलन के अंतर्गत:
- नमक कानून का उल्लंघन
- भूमिकर और चौथ करों का बहिष्कार
- विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार और खादी का प्रचार
- सरकारी स्कूलों, अदालतों, सेवाओं का बहिष्कार
- प्रजा मंडलों और ग्राम स्वराज का समर्थन
👥 जनसमर्थन और नेतृत्व
यह आंदोलन पूरे भारतवर्ष में फैला और इसे हर वर्ग, जाति, लिंग और धर्म के लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ। इसमें विशेष रूप से निम्नलिखित ने सक्रिय भूमिका निभाई:
- महिलाएं: सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू, अरुणा आसफ अली
- छात्र और युवक: विदेशी वस्त्रों की होली जलाना, जुलूस और सभा
- ग्रामीण और किसान वर्ग: करों का बहिष्कार और जमीन खाली करना
🪖 ब्रिटिश प्रतिक्रिया और दमनचक्र
ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए:
- हजारों आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया
- गांधीजी को 5 मई 1930 को गिरफ्तार किया गया
- पुलिस द्वारा लाठीचार्ज, गोलीबारी और संपत्ति जब्त करने जैसे कठोर कदम उठाए गए
🤝 गांधी-इरविन समझौता (1931)
मार्च 1931 में गांधीजी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसके अनुसार:
- आंदोलन बंद किया गया
- राजनीतिक बंदियों को रिहा किया गया
- गांधीजी दूसरे गोल मेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए लंदन गए
हालाँकि सम्मेलन में कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ और आंदोलन पुनः शुरू किया गया।
📉 आंदोलन की समाप्ति और प्रभाव
1934 तक यह आंदोलन कमजोर पड़ गया और कांग्रेस ने इसे स्थगित कर दिया, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण रहा:
✅ प्रमुख प्रभाव:
- भारत की जनता में राजनैतिक चेतना और आत्मविश्वास का संचार
- अंग्रेजों को यह आभास हुआ कि भारतीय अब शांत नहीं बैठेंगे
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम को वैश्विक पहचान मिली
📚 निष्कर्ष
सविनय अवज्ञा आंदोलन ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को जन-आंदोलन का रूप दे दिया। यह एक ऐसा आंदोलन था, जिसने अहिंसा और सत्याग्रह की ताकत से भारत की जनता को ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध एकजुट किया और स्वतंत्रता की नींव को मजबूत किया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1: सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरू हुआ था?
उत्तर: सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी द्वारा दांडी यात्रा के साथ की गई थी। यह यात्रा 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुँचकर समाप्त हुई।
प्रश्न 2: सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर: इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कानूनों, विशेष रूप से नमक कानून का अहिंसात्मक उल्लंघन करना और स्वराज्य की माँग को मजबूती से रखना था।
प्रश्न 3: दांडी यात्रा क्या थी?
उत्तर: दांडी यात्रा एक नमक सत्याग्रह थी, जिसमें गांधीजी और उनके अनुयायी साबरमती आश्रम से दांडी (गुजरात) तक 240 मील पैदल चले और वहाँ समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया।
प्रश्न 4: गांधी-इरविन समझौता क्या था?
उत्तर: यह एक राजनीतिक समझौता था जो मार्च 1931 में महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हुआ। इसमें आंदोलन को स्थगित करने और राजनीतिक कैदियों की रिहाई जैसे बिंदु तय हुए।
प्रश्न 5: इस आंदोलन में महिलाओं की क्या भूमिका थी?
उत्तर: इस आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी अभूतपूर्व रही। सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू, और अरुणा आसफ अली जैसी महिलाओं ने आंदोलन का नेतृत्व किया और जेल भी गईं।
प्रश्न 6: ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन के प्रति क्या रुख अपनाया?
उत्तर: ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए गिरफ्तारियाँ, लाठीचार्ज, गोलियाँ चलाना और अन्य दमनकारी नीतियाँ अपनाईं। गांधीजी को भी 5 मई 1930 को गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रश्न 7: सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन में क्या अंतर है?
उत्तर:
- असहयोग आंदोलन (1920): सरकार के साथ सहयोग खत्म करने पर बल देता था।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930): सरकार के कानूनों का अहिंसात्मक उल्लंघन कर उन्हें चुनौती देता था।
प्रश्न 8: आंदोलन का प्रभाव क्या पड़ा?
उत्तर: आंदोलन ने भारतीयों में स्वराज्य के लिए विश्वास और एकजुटता पैदा की। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती साबित हुआ।
प्रश्न 9: क्या आंदोलन पूरी तरह सफल रहा?
उत्तर: यद्यपि आंदोलन तत्काल स्वतंत्रता नहीं दिला पाया, परंतु इसने स्वतंत्रता संग्राम को जनांदोलन का रूप दिया और आगे की लड़ाइयों की आदर्श भूमि तैयार की।
प्रश्न 10: आंदोलन कब और क्यों समाप्त हुआ?
उत्तर: आंदोलन 1934 में औपचारिक रूप से महात्मा गांधी द्वारा स्थगित कर दिया गया क्योंकि तत्कालीन परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं थीं और ब्रिटिश दमन लगातार बढ़ता जा रहा था।
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