सेवा कर(Service Tax), सेस (Cess), आयात शुल्क (Import Duty) व टैरिफ (Tariff)
परिचय(Introduction)
भारत में कर व्यवस्था (Taxation System) बेहद व्यापक है और इसे विभिन्न प्रकारों में बाँटा गया है। इनमें सेवा कर (Service Tax), सेस (Cess), आयात शुल्क (Import Duty) और टैरिफ (Tariff) जैसे कर बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये न केवल सरकार के लिए राजस्व जुटाने का साधन हैं, बल्कि व्यापार, उद्योग और उपभोक्ताओं की लागत पर भी सीधा प्रभाव डालते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से इन सभी अवधारणाओं पर चर्चा करेंगे, ताकि 2025 में भी आप इनसे संबंधित नियमों और प्रभावों को अच्छी तरह समझ सकें।
सेवा कर (Service Tax)
सेवा कर क्या है?
सेवा कर (Service Tax) वह कर था, जिसे सेवा प्रदाताओं से वसूला जाता था। यह प्रत्यक्ष रूप से सेवा प्राप्तकर्ता से वसूला नहीं जाता था, बल्कि सेवा प्रदाता इसे बिल में जोड़कर सरकार को जमा कराते थे।
वर्तमान स्थिति (2025 में सेवा कर)
1 जुलाई 2017 से GST (Goods and Services Tax) लागू होने के बाद सेवा कर पूरी तरह समाप्त हो चुका है। अब सभी प्रकार की सेवाओं पर GST की दरें (5%, 12%, 18% या 28%) लागू होती हैं।
इसलिए 2025 में सेवा कर नामक कर अस्तित्व में नहीं है, लेकिन इसके स्थान पर सेवा पर GST लागू है।
सेस (Cess)
सेस क्या है?
सेस (Cess) एक अतिरिक्त कर है, जिसे सरकार विशेष उद्देश्यों (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, सड़क विकास आदि) के लिए लगाती है। यह आयकर या GST के ऊपर लगाया जाता है।
सेस की प्रमुख श्रेणियाँ
- शिक्षा सेस (Education Cess): शिक्षा क्षेत्र के लिए
- स्वास्थ्य और शिक्षा सेस (Health & Education Cess): वर्तमान में आयकर पर 4% लगाया जाता है
- स्वच्छ भारत सेस: स्वच्छता मिशन के लिए
- कृषि कल्याण सेस (Krishi Kalyan Cess): कृषि व ग्रामीण विकास के लिए
2025 में सेस की स्थिति
- व्यक्तिगत आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स पर 4% Health & Education Cess अनिवार्य रूप से लागू है।
- कुछ विशिष्ट वस्तुओं (जैसे पेट्रोल-डीजल, तंबाकू, विलासिता की वस्तुएँ) पर भी अलग-अलग सेस लगाया जाता है।
आयात शुल्क (Import Duty)
आयात शुल्क क्या है?
जब भी कोई वस्तु विदेश से भारत में लाई जाती है, तो उस पर सरकार द्वारा वसूला गया कर आयात शुल्क (Import Duty) कहलाता है। इसका उद्देश्य:
- घरेलू उद्योगों की रक्षा करना
- विदेशी वस्तुओं पर नियंत्रण रखना
- सरकार के लिए राजस्व जुटाना
आयात शुल्क के प्रकार
- बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD): वस्तु पर लगाया जाने वाला मूल शुल्क
- IGST (Integrated GST): आयातित वस्तुओं पर GST
- एंटी-डंपिंग ड्यूटी: सस्ती दर पर आयातित वस्तुओं को रोकने के लिए
- सेफगार्ड ड्यूटी: घरेलू उद्योग की सुरक्षा हेतु
- सोशल वेलफेयर सरचार्ज: बेसिक ड्यूटी पर लगाया गया अतिरिक्त शुल्क
2025 में आयात शुल्क का महत्व
भारत सरकार "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" अभियान के तहत कई वस्तुओं पर उच्च आयात शुल्क लगाकर घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित कर रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने, ऑटो पार्ट्स, प्लास्टिक और केमिकल्स पर आयात शुल्क में बदलाव देखने को मिलता है।
टैरिफ (Tariff)
टैरिफ क्या है?
टैरिफ (Tariff) एक व्यापक शब्द है, जिसमें आयात शुल्क, निर्यात शुल्क और व्यापार कर सम्मिलित होते हैं। यह मूलतः व्यापार नीति (Trade Policy) का हिस्सा है और किसी देश की अंतरराष्ट्रीय आर्थिक रणनीति को दर्शाता है।
टैरिफ के उद्देश्य
- विदेशी व्यापार संतुलित करना
- घरेलू उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करना
- अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संतुलित करना
- राजस्व में वृद्धि करना
टैरिफ के प्रकार
- आयात टैरिफ (Import Tariff): विदेश से आने वाली वस्तुओं पर कर
- निर्यात टैरिफ (Export Tariff): विदेश में वस्तु बेचते समय लगाया गया कर (भारत में कम प्रचलित)
- संरक्षणात्मक टैरिफ (Protective Tariff): घरेलू उद्योग की रक्षा हेतु
- राजस्व टैरिफ (Revenue Tariff): राजस्व जुटाने हेतु
सेवा कर, सेस, आयात शुल्क और टैरिफ में अंतर
| कर/शुल्क | परिभाषा | वर्तमान स्थिति (2025) | लागू क्षेत्र | 
|---|---|---|---|
| सेवा कर | सेवाओं पर लगाया गया कर | GST ने प्रतिस्थापित किया | सभी प्रकार की सेवाएँ | 
| सेस | अतिरिक्त कर, विशेष उद्देश्य हेतु | 4% Health & Education Cess अनिवार्य | आयकर, वस्तुएँ, सेवाएँ | 
| आयात शुल्क | विदेश से आयात पर कर | सक्रिय और प्रचलित | आयातित वस्तुएँ | 
| टैरिफ | व्यापार नीति के तहत कर | Import Duty व अन्य शुल्क सम्मिलित | अंतरराष्ट्रीय व्यापार | 
निष्कर्ष
2025 में भारतीय कर प्रणाली में:
- सेवा कर का अस्तित्व नहीं है, उसकी जगह GST ने ले ली है।
- सेस सरकार के विशेष उद्देश्यों के लिए लगाया जाने वाला अतिरिक्त कर है।
- आयात शुल्क विदेशी वस्तुओं पर लगाया जाता है ताकि घरेलू उद्योगों की रक्षा हो सके।
- टैरिफ एक व्यापक अवधारणा है, जिसमें आयात-निर्यात पर लगने वाले सभी प्रकार के शुल्क सम्मिलित हैं।
इन सभी करों और शुल्कों का उद्देश्य न केवल सरकार को राजस्व प्रदान करना है, बल्कि अर्थव्यवस्था का संतुलन बनाए रखना, घरेलू उद्योग को प्रोत्साहित करना और राष्ट्रीय विकास को गति देना भी है।
 
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