शक और कुषाण साम्राज्य
भारत के इतिहास में विदेशी
शासकों का योगदान
परिचय
भारत के प्राचीन
इतिहास में शक और कुषाण शासकों का विशेष
महत्व है। ये दोनों शासक वर्ग विदेशी मूल के थे,
लेकिन इन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में
शासन स्थापित कर भारतीय संस्कृति, धर्म, कला, और व्यापार को समृद्ध
किया। इनका कालक्रम मुख्यतः
प्रथम से तीसरी शताब्दी ईस्वी के मध्य माना जाता
है।
शक
साम्राज्य
1. शक कौन थे?
शक (Sakas) मूलतः मध्य एशिया के
यायावर समुदाय से थे, जिन्हें
चीन ने पश्चिम की ओर खदेड़ दिया। उन्होंने भारत में प्रवेश कर पश्चिमी भारत, विशेषकर सौराष्ट्र, मालवा और महाराष्ट्र क्षेत्रों पर अधिकार
कर लिया।
2. शक शासन का आरंभ
शक शासकों ने लगभग ईसा पूर्व पहली
शताब्दी में
भारत पर आक्रमण करना शुरू किया। इनमें सबसे प्रसिद्ध शक शासक था मालव के क्षत्रप
रुद्रदामन। रुद्रदामन को उसकी प्रशासनिक दक्षता, जलसिंचन कार्यों, और संस्कृत भाषा के
संरक्षण के लिए जाना जाता है।
3. शक शासनों की
विशेषताएँ
- द्वि-भाषीय शिलालेख: संस्कृत
और प्राकृत में लिखे गए।
- क्षत्रप प्रणाली: शासन
व्यवस्था में प्रमुख अधिकारी ‘क्षत्रप’ कहलाते थे।
- सुदर्शन झील का पुनर्निर्माण: रुद्रदामन
का यह कार्य प्रसिद्ध है।
कुषाण
साम्राज्य
1. कुषाणों की उत्पत्ति
कुषाण वंश का उदय यूए-ची (Yuezhi) जनजाति से हुआ,
जो मूलतः मध्य एशिया के मंगोल नस्ल के
लोग थे। उन्होंने भारत के
उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में आकर शासन स्थापित
किया।
2. कनिष्क: महान कुषाण
सम्राट
कनिष्क कुषाण साम्राज्य का
सबसे प्रसिद्ध शासक था, जिसने 78 ईस्वी में शक संवत की
शुरुआत की। उसकी राजधानी पुरुषपुर (वर्तमान पेशावर) थी और उसने भारत, अफगानिस्तान, ईरान तक अपने
साम्राज्य का विस्तार किया।
3. कनिष्क का बौद्ध धर्म
में योगदान
- कनिष्क महायान
बौद्ध धर्म का महान संरक्षक था।
- उसने कुशीनगर
में चौथी बौद्ध महासभा
का आयोजन कराया।
- उसकी मुद्रा पर बुद्ध, शिव, सूर्य
और यूनानी देवताओं की छवियाँ मिलती हैं,
जो धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाती
हैं।
शक
और कुषाणों का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव
1. कला और स्थापत्य
- इस काल में गांधार
और मथुरा कला शैली
का विकास हुआ, जिसमें
बुद्ध की मूर्तियाँ विशेष प्रसिद्ध हुईं।
- यूनानी और भारतीय शैली का सम्मिलन
इन कलाओं की विशेषता थी।
2. व्यापार और सिक्का
प्रणाली
- शक और कुषाण व्यापार के लिए सिल्क रूट
का उपयोग करते थे, जिससे
चीन, रोमन साम्राज्य और मध्य एशिया से व्यापारिक संबंध बने।
- इन्होंने सोने, चांदी
और तांबे के सुंदर और व्यवस्थित सिक्कों का निर्माण किया।
3. प्रशासनिक व्यवस्था
- शक और कुषाण दोनों ही कुशल प्रशासक
थे।
- उन्होंने सुदृढ़
राजस्व प्रणाली, सैनिक संगठन,
और प्रांतीय
शासन प्रणाली को लागू किया।
शक
और कुषाणों का पतन
- शक साम्राज्य का अंत गुप्त शासकों
के उदय के साथ हुआ।
- कुषाण साम्राज्य धीरे-धीरे स्थानीय राजाओं और
बाद में गुप्त साम्राज्य के
प्रभाव में समाप्त हुआ।
निष्कर्ष
शक और कुषाण शासकों ने भारत के
इतिहास में एक महत्वपूर्ण
स्थान अर्जित
किया है। उन्होंने न केवल शासन किया बल्कि भारतीय समाज, धर्म, कला और संस्कृति में
भी गहरे योगदान दिए। उनके शासन काल को भारत के सांस्कृतिक एवं आर्थिक समृद्धि के
युग के रूप में देखा जाता है।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले
प्रश्न
1. शक कौन थे और
उन्होंने कहाँ शासन किया?
उत्तर: शक मध्य एशिया से आए
यायावर लोग थे जिन्होंने भारत के पश्चिमी भागों जैसे सौराष्ट्र, मालवा और महाराष्ट्र
में शासन किया।
2. कुषाण साम्राज्य का
सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था?
उत्तर: कुषाण साम्राज्य का
सबसे प्रसिद्ध शासक कनिष्क
था,
जिसने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया और शक
संवत की शुरुआत की।
3. गांधार कला किस युग
की देन है?
उत्तर: गांधार कला का विकास कुषाण काल में हुआ, विशेषकर कनिष्क के
शासनकाल में।
4. शक और कुषाण सिक्कों
की विशेषता क्या थी?
उत्तर: उनके सिक्के धातु में
बने होते थे और उन पर देवताओं, राजाओं और धार्मिक प्रतीकों की छवियाँ होती थीं।
5. शक और कुषाणों का
भारत की संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: इन शासकों ने भारतीय
संस्कृति, धर्म, कला और व्यापार को
समृद्ध किया और विदेशी तत्वों को भारतीय समाज में समाहित किया।
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