मृदा क्षरण और संरक्षण

मृदा क्षरण और संरक्षण

कारण, प्रभाव और उपाय

परिचय

मृदा क्षरण (Soil Erosion) वह प्रक्रिया है जिसमें हवा, पानी या मानव गतिविधियों के कारण मृदा की ऊपरी उपजाऊ परत बह जाती है या नष्ट हो जाती है। यह न केवल कृषि उत्पादन को प्रभावित करता है, बल्कि पर्यावरणीय असंतुलन और जलवायु परिवर्तन को भी बढ़ावा देता है। मृदा संरक्षण (Soil Conservation) इन क्षरण प्रक्रियाओं को रोकने और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने की वैज्ञानिक और व्यावहारिक विधि है।


मृदा क्षरण के कारण

प्राकृतिक कारण

  • जल अपवाह: भारी वर्षा और बाढ़ के कारण मिट्टी बह जाती है।
  • वायु अपरदन: शुष्क क्षेत्रों में तेज हवाएँ मिट्टी के कण उड़ाकर ले जाती हैं।
  • ढलान का प्रभाव: पहाड़ी क्षेत्रों में गुरुत्वाकर्षण के कारण मिट्टी का खिसकना।

मानवजनित कारण

  • वनों की अंधाधुंध कटाई
  • अत्यधिक चराई
  • अनुचित खेती के तरीके
  • खनन और निर्माण कार्य


मृदा क्षरण के प्रकार

शीट अपरदन

पानी की पतली परत द्वारा मृदा का समान रूप से बह जाना।

रिल अपरदन

पानी के प्रवाह से छोटी-छोटी नालियाँ बनना और मिट्टी का बह जाना।

गली अपरदन

गहरी खाइयों का बनना, जैसे चंबल क्षेत्र की बीहड़ भूमि

वायु अपरदन

रेगिस्तानी और शुष्क क्षेत्रों में हवाओं द्वारा मिट्टी का उड़ जाना।


मृदा क्षरण के प्रभाव

कृषि पर प्रभाव

  • उपजाऊ परत का नष्ट होना
  • फसल उत्पादन में गिरावट
  • सिंचाई क्षमता में कमी

पर्यावरण पर प्रभाव

  • जल स्रोतों में गाद जमना
  • बाढ़ की तीव्रता बढ़ना
  • जैव विविधता का ह्रास


मृदा संरक्षण के उपाय

यांत्रिक उपाय

  • सीढ़ीदार खेती: पहाड़ी ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाकर पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना।
  • नालियों का निर्माण: वर्षा जल को सही दिशा में मोड़ना।
  • बांध और चेक डैम: पानी के वेग को कम कर मृदा कटाव रोकना।

जैविक उपाय

  • वृक्षारोपण: पेड़-पौधे लगाकर मिट्टी को पकड़ना।
  • घास और झाड़ियों का रोपण: वायु अपरदन को रोकना।
  • फसल चक्र और आवरण फसलें: मिट्टी की संरचना और उर्वरता बनाए रखना।

कृषि तकनीकी उपाय

  • समोच्च जुताई: ढलान के समानांतर जुताई करके पानी के बहाव को कम करना।
  • मल्चिंग: मिट्टी की नमी बनाए रखने और कटाव कम करने के लिए पौध अवशेष बिछाना।


भारत में मृदा संरक्षण कार्यक्रम

  • समान्यीकृत भूमि उपयोग नीति
  • राष्ट्रीय जलग्रहण विकास कार्यक्रम
  • रेगिस्तान विकास कार्यक्रम
  • चंबल घाटी विकास योजना


निष्कर्ष

मृदा क्षरण एक गंभीर समस्या है जो कृषि, पर्यावरण और आर्थिक विकास को सीधे प्रभावित करती है। सतत भूमि प्रबंधन, वृक्षारोपण और आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग करके मृदा क्षरण को रोका जा सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए उपजाऊ भूमि संरक्षित की जा सकती है।



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