दक्षिणी महासागर (Southern Ocean)
भूगोल, इतिहास और महत्व
दक्षिणी महासागर (Southern Ocean), जिसे अंटार्कटिक महासागर भी कहा जाता है, पृथ्वी का पाँचवाँ और सबसे नया मान्यता प्राप्त महासागर है। यह महासागर अंटार्कटिका महाद्वीप को चारों ओर से घेरता है और अपनी ठंडी हवाओं, विशाल हिमखंडों और विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र के लिए प्रसिद्ध है।
दक्षिणी महासागर का परिचय
- स्थान: अंटार्कटिका को चारों ओर से घेरे हुए
- सीमा: 60° दक्षिण अक्षांश के नीचे का जल क्षेत्र
- क्षेत्रफल: लगभग 2.03 करोड़ वर्ग किलोमीटर
- औसत गहराई: 3,270 मीटर
- अधिकतम गहराई: लगभग 7,236 मीटर (साउथ सैंडविच ट्रेंच)
- विशेषता: यहाँ अंटार्कटिक परिक्रामी धारा (Antarctic Circumpolar Current - ACC) बहती है, जो दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेज महासागरीय धारा है।
नामकरण और मान्यता
- "Southern Ocean" शब्द का प्रयोग प्राचीन मानचित्रकारों द्वारा किया जाता था।
- आधिकारिक रूप से 2000 में अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोग्राफिक संगठन (IHO) ने इसे पृथ्वी का पाँचवाँ महासागर घोषित किया।
भौगोलिक विशेषताएँ
अंटार्कटिक परिक्रामी धारा (ACC)
- यह धारा पृथ्वी की सबसे शक्तिशाली महासागरीय धारा है।
- यह अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर को जोड़ती है।
हिमखंड और आइस शेल्फ
- विशाल बर्फ की चादरें जैसे रॉस आइस शेल्फ और रोन्ने आइस शेल्फ यहीं स्थित हैं।
जलवायु
- यहाँ का तापमान अक्सर -2°C से 10°C के बीच रहता है।
- दुनिया की सबसे ठंडी और तेज हवाएँ यहीं बहती हैं।
समुद्री जीवन
- सम्राट पेंगुइन (Emperor Penguins)
- सील (Seals)
- व्हेल (Whales)
- क्रिल (Krill) – जो समुद्री खाद्य श्रृंखला का आधार है
- दुर्लभ ठंडे पानी की मछलियाँ
ऐतिहासिक महत्व
प्रारंभिक अन्वेषण
18वीं और 19वीं शताब्दी में खोजकर्ताओं ने इस महासागर को पार किया।अर्नेस्ट शेकलटन का अभियान (1914-1917)
उनकी ऐतिहासिक Endurance यात्रा का संबंध दक्षिणी महासागर से था।वैज्ञानिक अनुसंधान
अंटार्कटिका संधि प्रणाली (Antarctic Treaty System) के तहत यहाँ वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।आर्थिक और सामरिक महत्व
मत्स्य संसाधन
क्रिल और टूथफिश यहाँ सबसे अधिक पकड़ी जाती हैं।वैज्ञानिक अध्ययन
जलवायु परिवर्तन, बर्फ पिघलने और समुद्री धाराओं पर शोध के लिए यह महासागर अत्यंत महत्वपूर्ण है।सामरिक दृष्टि से
यद्यपि यहाँ सैन्य गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं, फिर भी यह क्षेत्र भू-राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर को जोड़ता है।पर्यावरणीय चुनौतियाँ
- जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों का पिघलना – वैश्विक समुद्र स्तर पर सीधा असर।
- मत्स्य उद्योग का अधिक शोषण – पारिस्थितिकी संतुलन पर खतरा।
- मानव गतिविधियों से प्रदूषण – अनुसंधान स्टेशनों और पर्यटन के कारण।
निष्कर्ष
दक्षिणी महासागर (Southern Ocean) पृथ्वी का सबसे ठंडा, कठोर लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण महासागर है। यह न केवल वैश्विक जलवायु संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है बल्कि जैव विविधता और समुद्री संसाधनों का भी केंद्र है। आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन और वैश्विक राजनीति के कारण इसका महत्व और भी बढ़ेगा।
 
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