शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies)
परिचय(Introduction)
भारत केवल गाँवों का देश नहीं है, बल्कि यहाँ तीव्र गति से शहरीकरण (Urbanization) हो रहा है। शहरों में बढ़ती आबादी, सेवाओं की माँग और आधारभूत ढाँचे की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संविधान में शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies – ULBs) का प्रावधान किया गया। ये निकाय शहरी क्षेत्रों की “जनता की सरकार” के रूप में कार्य करते हैं।
📜 संवैधानिक आधार
- 74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992
- भाग IX-A (अनुच्छेद 243-P से 243-ZG तक) – नगर निकायों से संबंधित प्रावधान।
- बारहवीं अनुसूची – नगर निकायों के लिए 18 विषय।
🏛️ शहरी स्थानीय निकायों के प्रकार
नगर निगम (Municipal Corporation)
बड़े शहरों (10 लाख से अधिक जनसंख्या)।प्रमुख: महापौर (Mayor)।
उदाहरण: दिल्ली नगर निगम, मुंबई महानगरपालिका।
नगर पालिका (Municipality)
मध्यम आकार के शहरों (1 लाख – 10 लाख की जनसंख्या)।
प्रमुख: अध्यक्ष/अध्यक्ष नगर पालिका।
प्रमुख: अध्यक्ष/अध्यक्ष नगर पालिका।
नगर पंचायत (Nagar Panchayat)
छोटे शहर या कस्बे (शहरीकरण की ओर बढ़ते क्षेत्र)।
प्रमुख: नगर पंचायत अध्यक्ष।
प्रमुख: नगर पंचायत अध्यक्ष।
⚖️ प्रमुख प्रावधान
- सीधे चुनाव – सभी सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा।
- आरक्षण – महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों के लिए सीटें आरक्षित।
- कार्यकाल – 5 वर्ष।
- राज्य निर्वाचन आयोग – नगर निकाय चुनावों का संचालन।
- राज्य वित्त आयोग – नगर निकायों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने हेतु सिफारिशें।
📊 बारहवीं अनुसूची (नगर निकायों के 18 कार्य)
- शहरी योजना एवं भूमि उपयोग।
- सड़क, जलापूर्ति, स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा।
- शहरी गरीबी उन्मूलन।
- पर्यावरण संरक्षण और उद्यान।
- शहरी परिवहन और यातायात प्रबंधन।
✅ महत्व
- शहरी लोकतंत्र को सशक्त बनाना।
- नागरिकों को निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में शामिल करना।
- शहरों में आधारभूत सेवाओं (पानी, सफाई, परिवहन) की आपूर्ति।
- महिला और पिछड़े वर्गों का सशक्तिकरण।
- सतत शहरी विकास को बढ़ावा।
⚠️ चुनौतियाँ
- वित्तीय संसाधनों की भारी कमी।
- शहरीकरण की तेज़ गति और अव्यवस्थित विकास।
- ठोस अपशिष्ट और प्रदूषण जैसी पर्यावरणीय समस्याएँ।
- भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता।
- राज्य सरकारों पर अत्यधिक निर्भरता।
🌍 उदाहरण
- मुंबई महानगरपालिका (BMC) – भारत की सबसे समृद्ध नगर निगम।
- दिल्ली नगर निगम (MCD) – 2.5 करोड़ से अधिक जनसंख्या के लिए सेवाएँ।
- इंदौर नगर निगम – भारत का सबसे स्वच्छ शहर (2023 तक लगातार 7 वर्षों से)।
🔑 निष्कर्ष
शहरी स्थानीय निकाय भारत के शहरी लोकतंत्र की रीढ़ हैं। ये निकाय जनता को प्रशासन में भागीदार बनाते हैं और शहरों की आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं। हालाँकि वित्तीय और संरचनात्मक चुनौतियाँ बनी हुई हैं, फिर भी ये संस्थाएँ भारत के सतत और समावेशी शहरी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
 
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