भारत में गन्ना कृषि
भारत में गन्ना (Sugarcane) सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है। यह केवल चीनी उत्पादन का मुख्य स्रोत नहीं है बल्कि इससे गुड़, खांडसारी, शीरा और एथेनॉल भी तैयार किया जाता है। गन्ना कृषि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है और लाखों किसानों की आजीविका का आधार है।
गन्ना का महत्व
- चीनी उद्योग का आधार: भारत विश्व का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है।
- गुड़ और खांडसारी: पारंपरिक मिठास का मुख्य साधन।
- औद्योगिक उपयोग: एथेनॉल, शराब, सिरका, कागज और बोर्ड उद्योग।
- पशु चारा: गन्ने का पुआल (बैगास) और शीरा पशुपालन में उपयोगी।
- रोज़गार: लाखों किसानों और मजदूरों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार।
गन्ना उत्पादन की उपयुक्त परिस्थितियाँ
जलवायु
- गन्ना उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय फसल है।
- उपयुक्त तापमान: 20°C से 30°C।
- वर्षा: 100–150 से.मी., लेकिन अधिक वर्षा से जलभराव हानिकारक।
- अधिक धूप और लंबी अवधि की फसल अवधि लाभकारी।
मिट्टी
- गहरी, उपजाऊ और जल निकासी वाली दोमट व जलोढ़ मिट्टी सर्वश्रेष्ठ।
- काली मिट्टी और लाल मिट्टी वाले क्षेत्र भी उपयुक्त।
- pH मान 6.5 से 8.0 आदर्श।
गन्ना की बुवाई और कटाई
बुवाई का समय:
- उत्तरी भारत – फरवरी से मार्च
- दक्षिण भारत – सितंबर से अक्टूबर (अधिकतर दो फसल चक्र)
कटाई का समय:
- बुवाई के 10–18 महीने बाद।
- औसतन एक हेक्टेयर में 40,000 से 60,000 गन्ने की कलमें लगाई जाती हैं।
भारत में गन्ना उत्पादक क्षेत्र
1. उत्तरी भारत
- उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब
- यहाँ गन्ने की अवधि छोटी (10–12 महीने) होती है।
- उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है (40% से अधिक उत्पादन)।
2. दक्षिण भारत
- महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना
- लंबी अवधि की फसल (15–18 महीने) और अधिक उपज।
- महाराष्ट्र चीनी उत्पादन में प्रथम स्थान पर।
भारत में गन्ना उत्पादन की स्थिति
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक (ब्राजील के बाद)।
- उत्पादन: लगभग 400 मिलियन टन प्रति वर्ष।
- प्रमुख राज्य: उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार।
गन्ना की किस्में
- सक्केरम ऑफिसिनेरम (Saccharum officinarum): अधिक शर्करा वाली किस्म।
- सक्केरम बार्बेरी (Saccharum barberi): उत्तरी भारत में प्रचलित।
- सक्केरम स्पोंटेनियम (Saccharum spontaneum): दक्षिण भारत में उगाई जाती है।
खेती की पद्धति
- गहरी जुताई और खेत की तैयारी।
- कतारों में गन्ने की कलम की बुवाई।
- 10–12 सिंचाइयाँ आवश्यक।
- गोबर खाद, यूरिया और डीएपी का प्रयोग।
- समय-समय पर निराई, गुड़ाई और मिट्टी चढ़ाना।
गन्ना कृषि से जुड़ी चुनौतियाँ
- जल की अधिक आवश्यकता – सूखा प्रभावित क्षेत्रों में उत्पादन प्रभावित।
- फसल अवधि लंबी – अन्य नकदी फसलों की तुलना में।
- कीट और रोग – टॉप बोरर, पायरिला और लाल सड़न।
- शर्करा प्रतिशत की कमी – उत्तरी भारत में कम मिठास।
- भुगतान की समस्या – किसानों को समय पर गन्ना मूल्य नहीं मिलता।
नवीन प्रवृत्तियाँ और सुधार
- संकर किस्मों का विकास (अधिक शर्करा और जल्दी पकने वाली)।
- ड्रिप सिंचाई द्वारा जल की बचत।
- एथेनॉल उत्पादन में गन्ने का बढ़ता उपयोग।
- कृषि यंत्रीकरण से श्रम लागत में कमी।
- चीनी सहकारी समितियाँ किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करती हैं।
निष्कर्ष
भारत में गन्ना कृषि का महत्व केवल चीनी और गुड़ उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एथेनॉल आधारित हरित ऊर्जा, ग्रामीण रोजगार और किसानों की आय बढ़ाने का भी प्रमुख साधन है। यदि जल प्रबंधन, उन्नत बीज और आधुनिक तकनीक अपनाई जाए तो भारत गन्ना उत्पादन और चीनी निर्यात में और भी बड़ी सफलता प्राप्त कर सकता है।
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