स्वदेशी आंदोलन

स्वदेशी आंदोलन 

(Swadeshi Andolan or Movement)

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आर्थिक क्रांति

स्वदेशी आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण और निर्णायक चरण था, जिसने न केवल ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, बल्कि भारतीय जनता में आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीयता और आत्मसम्मान की भावना को भी जाग्रत किया। यह आंदोलन 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में आरंभ हुआ और आगे चलकर पूरे देश में एक जन-आंदोलन के रूप में फैल गया। इसने देश की राजनीतिक चेतना को नई दिशा दी और स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग तथा विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार को राष्ट्रीय गौरव से जोड़ा।


🔷 स्वदेशी आंदोलन की पृष्ठभूमि

बंगाल विभाजन (1905):

  • ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन ने बंगाल को धार्मिक आधार पर दो भागों में बाँटने की योजना बनाई — पूर्वी बंगाल (मुस्लिम बहुल) और पश्चिम बंगाल (हिंदू बहुल)
  • यह विभाजन “फूट डालो और राज करो” की नीति का हिस्सा था।
  • इससे राष्ट्रवादियों में भारी आक्रोश उत्पन्न हुआ और स्वदेशी आंदोलन की चिंगारी भड़की।


🔶 स्वदेशी आंदोलन का आरंभ और प्रमुख उद्देश्य

7 अगस्त 1905 को कोलकाता के टाउन हॉल में एक विशाल जनसभा आयोजित की गई, जहाँ से आंदोलन की शुरुआत हुई।

मुख्य उद्देश्य:

  • ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार
  • भारतीय हस्तशिल्प और उत्पादों को अपनाना
  • राष्ट्रीय शिक्षा का प्रचार-प्रसार
  • राजनीतिक चेतना और स्वावलंबन को बढ़ावा देना


🔷 आंदोलन की प्रमुख गतिविधियाँ

1. विदेशी वस्त्रों की होली:

  • लोगों ने सार्वजनिक रूप से विदेशी कपड़ों और वस्तुओं को जलाया
  • कपड़े, साबुन, दवाइयाँ आदि स्वदेशी विकल्पों से बदले गए।

2. स्वदेशी संस्थानों की स्थापना:

  • राष्ट्रीय शिक्षा परिषद (National Council of Education) की स्थापना की गई।
  • बंगाल टेक्निकल इंस्टीट्यूट जैसे शैक्षणिक संस्थानों की शुरुआत हुई।

3. स्वदेशी उद्योगों का विकास:

  • हथकरघा, खादी, साबुन, लोहा, कागज जैसे उद्योगों को प्रोत्साहित किया गया।
  • आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे और जमशेदजी टाटा जैसे उद्योगपतियों ने योगदान दिया।

4. गीतों और नारों का उपयोग:

  • रवीन्द्रनाथ ठाकुर का गीत “आमार सोनार बांग्ला” आंदोलन का प्रेरक गीत बना।
  • स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ” जैसे नारे जन-जन में गूंजने लगे।


🔶 आंदोलन के प्रमुख नेता

नेता का नाम योगदान
बाल गंगाधर तिलक आंदोलन को महाराष्ट्र और देश के अन्य भागों में फैलाया
बिपिन चंद्र पाल स्वदेशी शिक्षा और उद्यमों का समर्थन किया
लाला लाजपत राय पंजाब में आंदोलन को जन-आंदोलन बनाया
अरविंद घोष क्रांतिकारी विचारों और स्वदेशी साहित्य का प्रचार किया
रवींद्रनाथ ठाकुर गीत, कविताओं और भाषणों के माध्यम से प्रेरणा दी

🔷 ब्रिटिश प्रतिक्रिया

  • ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए कड़े कदम उठाए

सार्वजनिक सभाओं पर रोक

आंदोलित छात्रों को निष्कासित करना

नेताओं की गिरफ्तारी
  • आंदोलनकारियों को “देशद्रोही” करार दिया गया


🔶 स्वदेशी आंदोलन का प्रभाव

1. राष्ट्रीय एकता में वृद्धि:

  • आंदोलन ने भारतवासियों को एक झंडे के नीचे ला खड़ा किया
  • हिंदू-मुस्लिम एकता को बल मिला (हालांकि बाद में इसमें गिरावट आई)।

2. आर्थिक आत्मनिर्भरता का संदेश:

  • भारतीयों में घरेलू उद्योगों के प्रति विश्वास जगा।
  • “मेक इन इंडिया” की भावना का प्रारंभिक स्वरूप यही था।

3. शिक्षा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण:

  • राष्ट्रीय शिक्षा आंदोलन शुरू हुआ
  • साहित्य, संगीत, नाटक, कविता आदि के माध्यम से आंदोलन का प्रचार हुआ

4. भविष्य के आंदोलनों की नींव:

  • गांधीजी के नेतृत्व वाले असहयोग और खादी आंदोलनों की प्रेरणा इसी आंदोलन से मिली

🔷 आंदोलन की सीमाएँ

  • यह आंदोलन मुख्यतः शहरी, शिक्षित वर्ग तक सीमित रहा
  • किसानों और मजदूरों की भागीदारी कम रही
  • राजनीतिक विभाजन भी हुआ—उग्रवादी और नरमपंथी गुटों में मतभेद उभरे


🔶 निष्कर्ष

स्वदेशी आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का पहला राष्ट्रव्यापी और जनभागीदारी से युक्त आंदोलन था, जिसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के आर्थिक ढांचे को चुनौती दी। यह आंदोलन आज भी ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों का प्रेरणा स्रोत है। स्वदेशी आंदोलन न केवल आर्थिक स्वतंत्रता, बल्कि सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया।


स्वदेशी आंदोलन – FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)


प्रश्न 1: स्वदेशी आंदोलन कब शुरू हुआ?

उत्तर: स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत 7 अगस्त 1905 को कोलकाता में एक जनसभा से हुई थी। यह आंदोलन बंगाल विभाजन के विरोध में प्रारंभ हुआ था।


प्रश्न 2: स्वदेशी आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?

उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार कर भारतीय (स्वदेशी) उत्पादों का समर्थन करना था। साथ ही, यह आंदोलन राष्ट्रीय शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक चेतना को बढ़ावा देने के लिए भी था।


प्रश्न 3: स्वदेशी आंदोलन की प्रेरणा किस घटना से मिली?

उत्तर: लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल विभाजन (1905) की योजना ने स्वदेशी आंदोलन को जन्म दिया। यह विभाजन साम्प्रदायिक आधार पर किया गया था, जिसे राष्ट्रवादियों ने स्वीकार नहीं किया।


प्रश्न 4: स्वदेशी आंदोलन के प्रमुख नेता कौन थे?

उत्तर: इस आंदोलन का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविंद घोष और रवींद्रनाथ ठाकुर जैसे नेताओं ने किया।


प्रश्न 5: आंदोलन के दौरान कौन-कौन सी गतिविधियाँ हुईं?

उत्तर: आंदोलन के अंतर्गत विदेशी वस्त्रों की होली, स्वदेशी उद्योगों की स्थापना, राष्ट्रीय शिक्षा संस्थानों की शुरुआत, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के ज़रिए जन-जागरण जैसे कार्य किए गए।


प्रश्न 6: स्वदेशी आंदोलन का सामाजिक प्रभाव क्या पड़ा?

उत्तर: इससे लोगों में देशभक्ति, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक गर्व की भावना जगी। साथ ही भारतीय उद्योगों और हस्तशिल्प को प्रोत्साहन मिला।


प्रश्न 7: क्या स्वदेशी आंदोलन पूरे भारत में फैला था?

उत्तर: हां, यह आंदोलन शुरुआत में बंगाल तक सीमित था, लेकिन बाद में महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, और अन्य हिस्सों में भी फैल गया।


प्रश्न 8: स्वदेशी आंदोलन के दौरान कौन-सा गीत प्रसिद्ध हुआ?

उत्तर: रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित गीत "आमार सोनार बांग्ला" इस आंदोलन का प्रेरणास्रोत बना, जो बाद में बांग्लादेश का राष्ट्रगान बना।


प्रश्न 9: क्या स्वदेशी आंदोलन पूरी तरह सफल रहा?

उत्तर: यद्यपि इस आंदोलन ने राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया, लेकिन यह ग्रामीण जनता और मजदूर वर्ग तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंच सका। यह एक शहरी आंदोलन बना रहा।


प्रश्न 10: स्वदेशी आंदोलन की विरासत क्या है?

उत्तर: स्वदेशी आंदोलन ने भविष्य में गांधीजी के असहयोग आंदोलन, खादी आंदोलन, और आत्मनिर्भर भारत जैसे आंदोलनों की नींव रखी। आज भी यह ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों की प्रेरणा है।



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