थार मरुस्थल(Thar Desert)
भूगोल, जीवन और महत्व
भारत का थार मरुस्थल (Thar Desert) जिसे प्रायः महान भारतीय मरुस्थल भी कहा जाता है, देश का सबसे बड़ा और विश्व का 17वाँ सबसे बड़ा मरुस्थल है। यह मरुस्थल केवल रेगिस्तानी बालू के टीले ही नहीं, बल्कि मानव जीवन, संस्कृति और अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। राजस्थान का अधिकांश भाग इसी मरुस्थल में आता है, इसलिए इसे राजस्थान मरुस्थल भी कहा जाता है।
थार मरुस्थल का विस्तार
- यह मरुस्थल मुख्य रूप से राजस्थान राज्य में फैला है।
- इसका कुछ हिस्सा हरियाणा, पंजाब और गुजरात में भी जाता है।
- यह लगभग 2,00,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है।
- पश्चिम में पाकिस्तान के सिंध प्रदेश तक इसका विस्तार है।
थार मरुस्थल की उत्पत्ति
- यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से अपेक्षाकृत नया माना जाता है।
- माना जाता है कि यहाँ पहले कभी सिंधु और सरस्वती जैसी नदियाँ बहती थीं।
- नदियों के सूखने और जलवायु परिवर्तन के कारण यह क्षेत्र धीरे-धीरे शुष्क होता गया और आज मरुस्थल के रूप में जाना जाता है।
थार मरुस्थल की भौगोलिक विशेषताएँ
- जलवायु – यहाँ की जलवायु अत्यधिक शुष्क और उष्ण है। गर्मियों में तापमान 50°C तक पहुँच जाता है और सर्दियों में रातें बेहद ठंडी होती हैं।
- वर्षा – यहाँ औसत वर्षा मात्र 100 से 500 मिमी होती है।
- वनस्पति – यहाँ कंटीली झाड़ियाँ, बबूल, कीकर और खेजड़ी जैसे पौधे पाए जाते हैं।
- भूमि – रेतीली मिट्टी, जो नमी नहीं रोक पाती।
- भू-आकृति – यहाँ बालू के विशाल टीले (Sand Dunes) और समतल रेतीले मैदान पाए जाते हैं।
थार मरुस्थल की नदियाँ
- यहाँ स्थायी नदियाँ बहुत कम हैं।
- लूणी नदी मरुस्थल की प्रमुख नदी है, लेकिन यह भी शुष्क क्षेत्रों में ही बहती है।
- कुछ नदियाँ बरसात के मौसम में ही जल प्रवाह करती हैं, जिन्हें बाढ़नदी (ephemeral rivers) कहा जाता है।
थार मरुस्थल का जीवन
- यहाँ का जीवन कठिन है, फिर भी यह क्षेत्र घनी आबादी वाला है।
- प्रमुख शहर – जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर और जोधपुर।
- लोग पशुपालन (ऊँट, भेड़, बकरी) और कृषि पर निर्भर रहते हैं।
- यहाँ के गाँवों में कच्चे मकान और हवेलियाँ पारंपरिक वास्तुकला के उदाहरण हैं।
थार मरुस्थल की कृषि
- मरुस्थल की भूमि शुष्क है, लेकिन इंदिरा गाँधी नहर परियोजना (राजस्थान नहर) के कारण यहाँ खेती संभव हुई।
- गेहूँ, जौ, बाजरा, मूंगफली, तिलहन और कपास जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
- नहर के पानी से मरुस्थल का बड़ा हिस्सा हरा-भरा हो गया है।
थार मरुस्थल का आर्थिक महत्व
- खनिज संपदा – यहाँ जिप्सम, चूना पत्थर, फॉस्फोराइट और पेट्रोलियम जैसी खनिज संपदा पाई जाती है।
- पर्यटन – जैसलमेर का स्वर्णिम किला, ऊँट सफारी और रेगिस्तानी मेले पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
- ऊर्जा उत्पादन – यह क्षेत्र सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयुक्त है।
- पशुपालन – राजस्थान के ऊँट, जिसे "मरुस्थल का जहाज" कहा जाता है, यहाँ के जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
थार मरुस्थल की संस्कृति
- थार की संस्कृति रंगीन और लोकधुनों से भरपूर है।
- कालबेलिया और घूमर नृत्य, लोकगीत और कठपुतली नृत्य प्रसिद्ध हैं।
- यहाँ के लोग रंग-बिरंगे वस्त्र पहनते हैं, जिससे मरुस्थल की नीरसता में जीवन का उल्लास झलकता है।
- जैसलमेर का मरु उत्सव विश्व प्रसिद्ध है।
थार मरुस्थल की चुनौतियाँ
- जल की कमी – यहाँ पेयजल की समस्या बहुत गंभीर है।
- रेगिस्तानीकरण – हर साल खेती योग्य भूमि रेगिस्तानी क्षेत्र में बदल रही है।
- अत्यधिक तापमान – गर्मियों में जीवन कठिन हो जाता है।
- आर्थिक पिछड़ापन – शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी।
निष्कर्ष
थार मरुस्थल केवल भारत का शुष्क क्षेत्र नहीं, बल्कि यह संस्कृति, पर्यटन, खनिज और कृषि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। नहरों और तकनीक के कारण यह क्षेत्र अब रेगिस्तान से हरा-भरे क्षेत्र में बदल रहा है। यदि जल प्रबंधन और टिकाऊ विकास की दिशा में और प्रयास किए जाएँ, तो थार मरुस्थल भारत की अर्थव्यवस्था में और भी बड़ी भूमिका निभा सकता है।
 
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