उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र

उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र

भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामरिक महत्व

परिचय

भारत का उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र अपनी अद्वितीय भौगोलिक संरचना, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व के कारण विशेष पहचान रखता है। यह क्षेत्र हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं से लेकर अरावली पर्वत श्रृंखला के उत्तर-पश्चिमी विस्तार तक फैला हुआ है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, जलवायु विविधता और ऐतिहासिक महत्व इसे भारत के प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में शामिल करते हैं।


1. भौगोलिक विस्तार

स्थान: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का पश्चिमी भाग।


सीमाएँ:


उत्तर में चीन और अफगानिस्तान।
पश्चिम में पाकिस्तान।
दक्षिण में पंजाब और हरियाणा के मैदानी क्षेत्र।


मुख्य पर्वत श्रेणियाँ:


कराकोरम पर्वत – सियाचिन ग्लेशियर सहित।
लद्दाख श्रृंखला – ठंडी मरुस्थलीय जलवायु वाला क्षेत्र।
जास्कर और पीर पंजाल श्रृंखला – बर्फ से ढके पर्वत और ऊँचे दर्रे।

2. जलवायु और वनस्पति

जलवायु प्रकार: ऊँचाई के अनुसार – ठंडी मरुस्थलीय, हिमालयी शीत जलवायु, समशीतोष्ण।
वर्षा: पश्चिमी विक्षोभ के कारण सर्दियों में बर्फबारी।

वनस्पति


ऊँचाई के अनुसार वनस्पति परिवर्तन।
निचले भाग – चीड़, देवदार, बाँज के वन।
ऊँचे भाग – बर्फीला टुंड्रा।

3. नदियाँ और जल संसाधन

मुख्य नदियाँ: सिंधु और इसकी सहायक नदियाँ – झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज।

महत्व:


सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन।
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जीवनरेखा।

4. सांस्कृतिक विशेषताएँ

  • जनजातियाँ और लोग: डोगरा, लद्दाखी, गद्दी, गूजर-बकरवाल।
  • भाषाएँ: डोगरी, लद्दाखी, कश्मीरी, हिमाचली बोलियाँ।
  • धार्मिक स्थल: अमरनाथ, वैष्णो देवी, हेमकुंड साहिब।
  • हस्तशिल्प: पश्मीना शॉल, ऊनी कालीन, लकड़ी की नक्काशी।


5. कृषि और अर्थव्यवस्था

  • मुख्य फसलें: गेहूँ, मक्का, जौ, बागवानी फसलें (सेब, अखरोट, खुबानी)।
  • पशुपालन: ऊन उत्पादन के लिए भेड़ और बकरी पालन।
  • अन्य गतिविधियाँ: पर्यटन, जलविद्युत, हस्तशिल्प निर्यात।


6. पर्यटन का महत्व

  • प्राकृतिक स्थल: गुलमर्ग, सोनमर्ग, पांगोंग झील, रोहतांग दर्रा।
  • साहसिक पर्यटन: ट्रेकिंग, रिवर राफ्टिंग, स्कीइंग।
  • सांस्कृतिक आयोजन: हेमिस उत्सव, लोसार पर्व, फगली मेला।


7. सामरिक महत्व

  • चीन और पाकिस्तान की सीमाओं से सटे होने के कारण यह क्षेत्र रक्षा दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है।
  • सियाचिन ग्लेशियर और कारगिल जैसे सामरिक ठिकाने भारत की सुरक्षा नीति के केंद्र में हैं।
  • यहाँ भारतीय सेना की महत्वपूर्ण चौकियाँ और वायुसेना के ठिकाने स्थित हैं।


निष्कर्ष

उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र अपनी भौगोलिक विविधता, सांस्कृतिक समृद्धि और सामरिक महत्व के कारण भारत के लिए अपरिहार्य है। यहाँ की पर्वत श्रृंखलाएँ, नदियाँ, जलवायु और प्राकृतिक संसाधन इसे न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। यह क्षेत्र भारत की संस्कृति, पर्यटन और रक्षा का एक मजबूत स्तंभ है।



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