वित्त आयोग (Finance Commission of India)
भारत एक संघीय गणराज्य है, जहाँ केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व का बँटवारा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस बँटवारे को न्यायसंगत और पारदर्शी बनाने के लिए संविधान में वित्त आयोग का प्रावधान किया गया है। वित्त आयोग न केवल राजस्व वितरण की सिफारिश करता है, बल्कि भारत के वित्तीय संघवाद को मजबूत करने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
📜 संवैधानिक आधार
- अनुच्छेद 280 : वित्त आयोग की स्थापना और कार्य।
- अनुच्छेद 281 : राष्ट्रपति द्वारा वित्त आयोग की सिफारिशों की रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत।
🏛️ गठन और संरचना
- गठन : राष्ट्रपति द्वारा हर पाँच वर्ष में।
- संरचना :
- एक अध्यक्ष
- अधिकतम चार अन्य सदस्य
- योग्यता : सदस्य ऐसे व्यक्ति होते हैं जिनके पास अर्थशास्त्र, वित्त, सार्वजनिक प्रशासन या न्यायिक मामलों का गहन अनुभव होता है।
- कार्यकाल और शर्तें : राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित।
⚖️ वित्त आयोग के कार्य
कर राजस्व का बँटवारा
केंद्र और राज्यों के बीच आयकर, उत्पाद शुल्क, GST आदि का वितरण।राज्यों के बीच बँटवारे का सूत्र।
अनुदान (Grants-in-Aid)
राज्यों को विशेष सहायता।
पिछड़े राज्यों और विशेष आवश्यकताओं वाले राज्यों के लिए अतिरिक्त अनुदान।
पिछड़े राज्यों और विशेष आवश्यकताओं वाले राज्यों के लिए अतिरिक्त अनुदान।
स्थानीय निकायों को वित्तीय सहायता
पंचायतों और नगरपालिकाओं को धन आवंटन की सिफारिश।राजकोषीय अनुशासन
वित्तीय प्रबंधन, घाटा कम करने और राजस्व बढ़ाने के सुझाव।राष्ट्रपति द्वारा संदर्भित अतिरिक्त कार्य
समय-समय पर राष्ट्रपति आयोग को अन्य वित्तीय कार्य सौंप सकते हैं।📊 प्रमुख वित्त आयोग (इतिहास)
- पहला वित्त आयोग (1951) – अध्यक्ष : के.सी. नियोगी।
- ग्यारहवाँ आयोग (2000) – स्थानीय निकायों को वित्तीय सहायता का प्रावधान।
- चौदहवाँ आयोग (2015–20) – राज्यों को कर राजस्व में 42% हिस्सेदारी।
- पंद्रहवाँ आयोग (2020–25) – अध्यक्ष : एन.के. सिंह।
- राज्यों की हिस्सेदारी 41% तय की।
✅ वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार
- जनसंख्या (2011 की जनगणना के आधार पर)।
- क्षेत्रफल।
- भौगोलिक स्थिति और संसाधन।
- आय और कर क्षमता में अंतर।
- वित्तीय प्रबंधन और प्रदर्शन।
⚠️ चुनौतियाँ
- केंद्र और राज्यों के बीच राजनीतिक तनाव।
- धनबल और ऋण पर निर्भरता।
- राज्यों में वित्तीय अनुशासन की कमी।
- महामारी (जैसे कोविड-19) जैसी आकस्मिक परिस्थितियों से वित्तीय दबाव।
🌍 महत्व
- केंद्र-राज्य संबंधों को संतुलित करना।
- संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण।
- स्थानीय शासन (पंचायत/नगरपालिका) को वित्तीय सशक्तिकरण।
- आर्थिक असमानता कम करना।
🔑 निष्कर्ष
वित्त आयोग भारतीय संघीय ढाँचे की वित्तीय रीढ़ है। यह सुनिश्चित करता है कि देश के सभी राज्यों और स्थानीय संस्थाओं को न्यायपूर्ण हिस्सेदारी मिले। पारदर्शी और न्यायसंगत बँटवारा ही लोकतांत्रिक संघीय प्रणाली को सशक्त बनाता है।
 
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