जी.एस.टी.(GST) 2.0
सितंबर 2025 से लागू नई दरों की पूरी गाइड
रूपरेखा (Outline)
क्रमांक | शीर्षक |
---|---|
1 | GST 2.0 का परिचय |
2 | GST 2.0 में मुख्य बदलाव |
3 | 0% GST वाले आइटम |
4 | 5% GST वाले आइटम |
5 | 18% GST वाले आइटम |
6 | 40% GST (लक्ज़री और डिमेरिट गुड्स) |
7 | उपभोक्ताओं पर असर |
8 | उद्योग और बाजार पर असर |
9 | सरकार का उद्देश्य |
10 | FAQs |
11 | निष्कर्ष |
GST 2.0 का परिचय
सितंबर 2025 से भारत सरकार ने जीएसटी में बड़े बदलाव किए हैं। पुराने 4 स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को घटाकर सरल 2-स्तरीय ढाँचा बनाया गया है—5% और 18%। इसके अलावा आवश्यक वस्तुओं और बीमा को 0% स्लैब में रखा गया है, और लक्ज़री व डिमेरिट वस्तुओं पर 40% दर तय की गई है।
GST 2.0 में मुख्य बदलाव
GST 2.0 में सबसे बड़ा बदलाव कर स्लैब्स के सरलीकरण का है। अब केवल चार दरें हैं—0%, 5%, 18% और 40%। बीमा, दूध, अनाज जैसी ज़रूरी चीज़ें टैक्स फ्री हैं, जबकि साबुन, टूथपेस्ट जैसी दैनिक वस्तुएँ केवल 5% पर आएंगी। टीवी, एसी और गाड़ियाँ 18% स्लैब में आ गईं जिससे उनकी कीमतें घटीं। वहीं तंबाकू, शराब, कार्बोनेटेड पेय और महंगी कारों पर टैक्स बढ़कर 40% हो गया। इससे कर प्रणाली सरल हुई और उपभोक्ताओं को राहत मिली।
- 0% स्लैब: बीमा, दूध, दाल, चावल जैसी अनिवार्य वस्तुएँ
- 5% स्लैब: दैनिक उपयोग की वस्तुएँ (साबुन, मसाले, दवा आदि)
- 18% स्लैब: इलेक्ट्रॉनिक्स, रेस्टोरेंट सेवाएँ, वाहन
- 40% स्लैब: लक्ज़री कारें, तंबाकू, हाई-एंड आइटम्स
0% GST वाले आइटम
0% स्लैब को खास तौर पर आम जनता को राहत देने के लिए बनाया गया है। अब जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा दोनों पूरी तरह टैक्स फ्री हो गए हैं। इसके अलावा दाल, चावल, गेहूँ, दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे पनीर और रोटी पर भी कोई GST नहीं लगेगा। पहले इन पर 5% से 18% तक का टैक्स लगता था, जिससे आम परिवार की जेब पर असर पड़ता था। अब यह बदलाव रोज़मर्रा की ज़िंदगी को सस्ता और किफायती बना रहा है।
वस्तु/सेवा | पुरानी दर | नई दर |
---|---|---|
जीवन बीमा | 18% | 0% |
स्वास्थ्य बीमा | 18% | 0% |
दाल, चावल, गेहूँ | 5% | 0% |
रोटी, पराठा, पनीर | 5–12% | 0% |
दूध और दूध उत्पाद | 5% | 0% |
5% GST वाले आइटम
5% स्लैब में वे वस्तुएँ रखी गई हैं जिनका उपयोग लगभग हर घर में होता है। इसमें साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट जैसे पर्सनल केयर आइटम शामिल हैं। मसाले, सूखे मेवे, पैकेज्ड फूड, दवा और कृषि उपकरण भी इस श्रेणी में आते हैं। पहले इन पर 12% या 18% टैक्स लगता था। अब टैक्स घटने से FMCG सेक्टर में मांग बढ़ने की उम्मीद है और उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी। किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों को भी कृषि उपकरण सस्ते होने का लाभ मिलेगा।
वस्तु/सेवा | पुरानी दर | नई दर |
---|---|---|
साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट | 12–18% | 5% |
पैकेज्ड खाद्य सामग्री | 12% | 5% |
मसाले और सूखे मेवे | 12% | 5% |
घरेलू फर्नीचर और खिलौने | 12–18% | 5% |
कृषि उपकरण, ट्रैक्टर पार्ट्स | 12% | 5% |
दवा और मेडिकल उपकरण | 12% | 5% |
18% GST वाले आइटम
18% स्लैब में वे उत्पाद और सेवाएँ शामिल हैं जो आवश्यक तो हैं लेकिन विलासिता की श्रेणी में नहीं आते। इसमें टीवी, एसी, फ्रिज, छोटी कारें, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। पहले इन पर 28% तक टैक्स लगता था। होटल, रेस्टोरेंट, वित्तीय और टेलीकॉम सेवाएँ भी इसी स्लैब में आती हैं। इससे उपभोक्ताओं को सामान और सेवाओं की कीमतों में कमी दिखेगी और उद्योगों को बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद है। यह दर सरकार और व्यापार दोनों के लिए संतुलित है।
वस्तु/सेवा | पुरानी दर | नई दर |
---|---|---|
टीवी, एसी, फ्रिज | 28% | 18% |
छोटी और मिड-सेगमेंट कारें | 28% | 18% |
मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स | 18–28% | 18% |
होटल और रेस्टोरेंट सेवाएँ | 18% | 18% |
वित्तीय सेवाएँ, बैंकिंग चार्जेज | 18% | 18% |
टेलीकॉम सेवाएँ | 18% | 18% |
40% GST (लक्ज़री और डिमेरिट गुड्स)
40% स्लैब उन वस्तुओं पर लागू किया गया है जिन्हें लक्ज़री या हानिकारक माना जाता है। इसमें महंगी कारें (1500cc से ऊपर), हाई-एंड बाइक, तंबाकू उत्पाद, गुटखा, शराब, पैकेज्ड मीठे और कार्बोनेटेड पेय शामिल हैं। पहले इन पर 28% टैक्स और सेस लगता था, जिसे अब सीधे 40% कर दिया गया है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को हानिकारक वस्तुओं से दूर रखना और लक्ज़री उत्पादों से राजस्व बढ़ाना है। इससे सरकार की आय बढ़ेगी और सामाजिक संतुलन बना रहेगा।
वस्तु/सेवा | पुरानी दर | नई दर |
---|---|---|
महंगी कारें (1500cc+) | 28%+सेस | 40% |
हाई-एंड बाइक | 28%+सेस | 40% |
गुटखा, तंबाकू, सिगरेट | 28%+सेस | 40% |
पैकेज्ड मीठे और कार्बोनेटेड पेय | 28%+सेस | 40% |
यॉट्स और प्राइवेट एयरक्राफ्ट | 28%+सेस | 40% |
सिनेमा टिकट (₹100 से अधिक) | 28% | 40% |
उपभोक्ताओं पर असर
GST 2.0 ने आम जनता को काफी राहत दी है। अब बीमा प्रीमियम और रोजमर्रा की ज़रूरी वस्तुएँ सस्ती हो गई हैं। पैकेज्ड फूड, साबुन और मसाले पर टैक्स घटने से परिवारों के खर्च में बचत होगी। इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहनों की कीमतें कम होने से मध्यम वर्ग के लिए इन्हें खरीदना आसान होगा। हालाँकि, तंबाकू, शराब और लक्ज़री वस्तुओं पर टैक्स बढ़ने से इन्हें खरीदना महंगा हो जाएगा। कुल मिलाकर उपभोक्ताओं को नए ढाँचे से बड़ी राहत और संतुलन दोनों मिल रहा है।
- सस्ती वस्तुएँ: बीमा, दूध, अनाज, पैकेज्ड फूड, पर्सनल केयर
- महंगे उत्पाद: लक्ज़री कारें, सिगरेट, शक्करयुक्त पेय
- स्थिर कीमतें: इलेक्ट्रॉनिक्स और सामान्य वाहन
उद्योग और बाजार पर असर
GST 2.0 का उद्योगों पर सीधा प्रभाव पड़ा है। FMCG सेक्टर में कर घटने से मांग बढ़ेगी। ऑटोमोबाइल उद्योग को भी फायदा होगा क्योंकि छोटी कारों और इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतें घटी हैं। बीमा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में टैक्स हटने से इनकी पहुँच आम आदमी तक और आसान होगी। वहीं लक्ज़री और हानिकारक वस्तुओं की कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा। कुल मिलाकर यह सुधार बाज़ार में संतुलन लाने और घरेलू खपत बढ़ाने के लिए सकारात्मक साबित हो रहा है।
- ऑटोमोबाइल: छोटे वाहन सस्ते हुए, बिक्री में तेजी
- बीमा क्षेत्र: 18% टैक्स हटने से बीमा प्रीमियम किफायती
- FMCG: दैनिक उपयोग के सामान पर कर घटा, खपत बढ़ेगी
- लक्ज़री सेक्टर: उच्च टैक्स से मांग घट सकती है
सरकार का उद्देश्य
सरकार का उद्देश्य इस सुधार से कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना है। 0% स्लैब से गरीब और मध्यम वर्ग को राहत मिली, जबकि 5% और 18% स्लैब ने टैक्स प्रणाली को सरल किया। 40% स्लैब से विलासिता और हानिकारक वस्तुओं की खपत नियंत्रित करने का संदेश दिया गया है। साथ ही कर संग्रह बढ़ाने और आर्थिक विकास को गति देने की कोशिश की गई है। यह सुधार भारत को उपभोक्ता-अनुकूल और निवेशक-अनुकूल बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
- टैक्स प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना
- उपभोक्ता की जेब पर भार कम करना
- आवश्यक वस्तुओं को सस्ता करना
- विलासिता और डिमेरिट वस्तुओं पर उच्च कर लगाना
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: GST 2.0 कब लागू हुआ?
उत्तर: 22 सितंबर 2025 से।
प्रश्न 2: अब कितने स्लैब हैं?
उत्तर: 4 स्लैब — 0%, 5%, 18% और 40%।
प्रश्न 3: क्या बीमा अब GST मुक्त है?
उत्तर: हाँ, जीवन और स्वास्थ्य बीमा दोनों पर 0% GST है।
प्रश्न 4: क्या इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैक्स घटा है?
उत्तर: हाँ, टीवी, एसी, फ्रिज अब 28% की जगह 18% पर मिलेंगे।
प्रश्न 5: लक्ज़री वस्तुओं पर कितना टैक्स है?
उत्तर: लक्ज़री कारें, हाई-एंड बाइक और तंबाकू पर 40%।
प्रश्न 6: उपभोक्ताओं को सबसे बड़ा फायदा किसमें हुआ है?
उत्तर: बीमा, अनाज, दूध, दवा और पैकेज्ड फूड में।
निष्कर्ष
GST 2.0 ने भारत की टैक्स व्यवस्था को सरल और संतुलित बना दिया है। आम जनता को ज़रूरी सामान और बीमा में राहत मिली है, जबकि विलासिता और हानिकारक वस्तुओं पर टैक्स बढ़ा है। यह सुधार मांग बढ़ाने, उद्योग को प्रोत्साहित करने और कर संग्रह बढ़ाने की दिशा में अहम कदम है।
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