ज्ञान भारतम् मिशन 2025
Gyan Bharatam Mission 2025
परिचय(Introduction)
Gyan Bharatam Mission भारत सरकार का एक नवीन और महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य देश की प्राचीन पांडुलिपियों (manuscripts) की पहचान, संरक्षण, डिजिटलकरण, शोध एवं शिक्षा में उनका उपयोग करना है। यह मिशन सिर्फ पुराने दस्तावेज़ों को बचाने का काम नहीं है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और बौद्धिक विरासत को ज़िंदा रखने का माध्यम है। यह पहल डिजिटल युग में पारंपरिक ज्ञान (traditional knowledge) को सुलभ बनाने और वैश्विक स्तर पर साझा करने की दिशा में एक अमूल्य कदम है।
इस लेख में हम जानेंगे कि Gyan Bharatam Mission क्या है, इसके उद्देश्य क्या हैं, बजट-विन्यास, चुनौतियाँ, संभावनाएँ और इससे आम नागरिक को कैसे लाभ होगा।
मिशन का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि(Historical Background of Mission)
- Gyan Bharatam Mission “National Mission for Manuscripts” (NMM) को पुनः नाम देते हुए शुरू किया गया है।
- NMM की शुरुआत 2003 में हुई थी और उसने Kriti Sampada नामक डिजिटल रिपॉजिटरी में लाखों पांडुलिपियाँ डिजिटाइज की थीं।
- बजट 2025-26 में इस मिशन के लिए विशेष घोषणा की गई।
मुख्य उद्देश्य(Main Objective)
Gyan Bharatam Mission के उद्देश्य बहुआयामी हैं। ये देश की पांडुलिपियों (manuscripts) को सिर्फ संरक्षित करने तक सीमित नहीं, बल्कि उन्हें आधुनिक शिक्षा, शोध, और तकनीक के माध्यम से उपयोगी बनाएँ:
पहचान और दस्तावेजीकरण (Identification & Documentation)
संरक्षण और बहाली (Conservation & Restoration)
Manuscript Conservation Centres (MCCs) को सशक्त करना, जलवायु नियंत्रण, कीट-नाशक उपचार, पुनरुत्थान (restoration) की प्रक्रियाएँ लागू करना।डिजिटलीकरण और रिपॉजिटरी निर्माण (Digitization & Repository Creation)
लाखों पांडुलिपियों को हाई-रेज़ोल्यूशन सॉफ़्टवेयर, क्लाउड स्टोरेज, AI-आधारित OCR (Optical Character Recognition) और हस्तलिपि पाठ पहचान (HTR) तकनीकों से डिजिटाइज करना, और एक राष्ट्रीय डिजिटल संग्रह (National Digital Repository) तैयार करना।शोध, अनुवाद और प्रकाशन (Research, Translation & Publication)
दुर्लभ, अदृश्य या कम प्रसिद्ध पांडुलिपियों का प्रकाशन, उन्हें विभिन्न भाषाओं में अनुवादित करना, facsimiles या critical editions तैयार करना।क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण (Capacity Building & Training)
पांडुलिपि अध्ययन, पेलिओग्राफी, संरक्षण विज्ञान, लेखन व लिपियों की समझ के क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम चले जाना।प्रौद्योगिकी विकास (Technology Development)
मोबाइल ऐप्लिकेशन, बड़े डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, AI-टूल्स, ब्लॉकचेन जैसे प्रौद्योगिकी घटकों का इस्तेमाल, IIIF या समान मानकों पर कार्य करना।सहभागिता और प्रोत्साहन (Engagement & Incentivization)
निजी संग्रहकर्ताओं, संस्थानों, संग्रहालयों को उनके पांडुलिपियों को साझा करने के लिए उत्साहित करना, साझेदारी मॉडल बनाना, मान्यता देना, लाभ-वितरण आदि।वैश्विक सहयोग और शिक्षा एकीकरण (Global Collaboration & Integration into Education)
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ साझेदारी; राष्ट्रीय शिक्षा नीति NEP-2020 के अंतर्गत पारंपरिक ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करना।बजट और संसाधन (Budget and Sources)
- कुल वर्षों 2024-31 के लिए कुल बजट ₹482.85 करोड़ निर्धारित किया गया है।
- वर्ष 2025-26 के लिए लगभग ₹60 करोड़ की राशि आवंटित है।
- बजट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, पहले मात्र ₹3.5 करोड़ का आवंटन था।
कार्यक्रम और क्रियान्वयन(Programme and Execution)
- Gyan Bharatam Mission के शुभारंभ के उपलक्ष्य में “Gyan Bharatam International Conference on ‘Reclaiming India’s Knowledge Legacy through Manuscript Heritage’” का आयोजन 11-13 सितम्बर 2025 को Vigyan Bhawan, नई दिल्ली में हुआ।
- इस कार्यक्रम में विद्वानों, शोधकर्ताओं, छात्रों, सांस्कृतिक प्रतिनिधियों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों आदि की भागीदारी हुई।
- Gyan-Setu AI Innovation Challenge जैसी प्रतियोगिताएँ शुरू की गई हैं, जिसमें AI-उपकरणों के ज़रिये पांडुलिपियों को सुलभ बनाने की कोशिश हो रही है।
चुनौतियाँ(Challenges)
यह मिशन कई चुनौतियों से जूझेगा, जिनसे निपटना ज़रूरी है:
- पांडुलिपियाँ अक्सर निजी संग्रहों में हों, जहाँ उनके स्वामी साझा करने पर सहमत नहीं होते।
- लिपियाँ और भाषाएँ बहुत विविध हैं; कुछ भाषा और लिपियाँ अब सीखने वालों के तंग दायरे में हैं, विशेषज्ञों की कमी है।
- संरक्षण सम्बन्धी लागत, पर्यावरणीय प्रभाव, भौतिक ख़राबी (damage, deterioration) जैसे कि कीट, नमी आदि।
- डिजिटल अवसंरचना, विश्वसनीय सॉफ़्टवेयर टूल्स और सुरक्षित क्लाउड स्टोरेज की आवश्यकता।
- सामाजिक जागरूकता और लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना, ताकि लोग पुरानी पांडुलिपियों को नष्ट न करें या उन्हें छुपायें।
संभावनाएँ और लाभ(Possibilites and Benefit)
- भारत की प्राचीन ज्ञान परम्परा को पुनर्जीवित करना, जिससे स्वाभिमान और सांस्कृतिक पहचान मजबूत होगी।
- शोध, शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में नई सामग्री उपलब्ध होगी। शोधकर्ता, छात्र और सामान्य जनता इस ज्ञान का उपयोग कर पाएँगे।
- तकनीकी Innovation को बढ़ावा मिलेगा — AI, OCR, HTR आदि तकनीकों को और विकसित करने का अवसर।
- भारतीय भाषा, लिपि तथा संस्कृति-विज्ञान क्षेत्र में रोजगार के अवसर बनेंगे, विशेषज्ञ तैयार होंगे।
- वैश्विक स्तर पर भारत के ज्ञान संसाधनों की पहुँच बढ़ेगी, इस तरह भारत की संस्कृति-कूटनीति (cultural diplomacy) मजबूत होगी।
निष्कर्ष(Introduction)
Gyan Bharatam Mission 2025 सिर्फ़ एक सरकारी योजना नहीं है; यह भारत की आत्मा, उसके ज्ञान, उसकी संस्कृति और उसकी विरासत को सुरक्षित रखने की कोशिश है। यह मिशन हमें भुलायी हुई पांडुलिपियों से जोड़ता है — जिनमें हमारी विज्ञान, चिकित्सा, दर्शन, साहित्य और कला का खज़ाना छुपा है।
भविष्य की पीढ़ियाँ इस ज्ञान का आनंद ले सकें, इससे सीख सकें और आगे बढ़ें — यही Gyan Bharatam Mission की सच्ची सफलता होगी।
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