वैश्विक पर्यावरण परिदृश्य 2025

वैश्विक पर्यावरण परिदृश्य 2025

वैश्विक पर्यावरण परिदृश्य 2025

Global Environment Outlook 2025

वैश्विक पर्यावरण स्थिति का समग्र विश्लेषण

    परिचय

    Global Environment Outlook (GEO) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा प्रकाशित विश्व की सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मूल्यांकन रिपोर्टों में से एक है। यह वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, जैव विविधता, ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधनों और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्रगति पर डेटा-आधारित विश्लेषण प्रदान करती है।

    हालाँकि “GEO 2025” नाम से कोई आधिकारिक रिपोर्ट जारी नहीं हुई, पर 2025 तक उपलब्ध वैज्ञानिक अध्ययनों, UNEP आकलनों और पूर्व GEO रिपोर्टों की प्रवृत्तियों का सार नीचे प्रस्तुत है।


    जलवायु परिवर्तन: वैश्विक तापन में निरंतर वृद्धि

    2025 तक वैश्विक तापमान में लगभग 1.2°C वृद्धि दर्ज की गई, जिससे भीषण गर्मी, अनियमित वर्षा और तीव्र तूफानों जैसी चरम मौसम घटनाओं में बढ़ोतरी हुई। आर्कटिक बर्फ तेजी से पिघल रही है और समुद्र-स्तर बढ़ने की गति चेतावनी स्तर पर पहुँच चुकी है।

    2025 तक पृथ्वी का औसत तापमान औद्योगिक युग से लगभग 1.2°C अधिक पाया गया है।

    • चरम मौसम घटनाओं जैसे—भीषण गर्मी, अतिवृष्टि, सूखा—की आवृत्ति बढ़ी है।
    • आर्कटिक बर्फ पिघलाव तेज हुआ है।
    • वर्ष 2023–2024 सबसे गर्म वर्षों में शामिल रहे।


    प्रदूषण: वायु, जल और प्लास्टिक बढ़ती चुनौती

    विश्व के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुँच चुकी है। प्लास्टिक कचरा समुद्री जीवन को गंभीर क्षति पहुँचा रहा है। औद्योगिक अपशिष्ट और रसायन नदी-झीलों को प्रदूषित कर रहे हैं, जबकि माइक्रोप्लास्टिक मानव स्वास्थ्य तक प्रभावित करने लगे हैं।

    UNEP के अनुसार—

    • वायु प्रदूषण विश्व में सबसे बड़ी पर्यावरणीय मृत्यु-कारणों में शीर्ष पर है।
    • प्लास्टिक प्रदूषण 2040 तक तीन गुना होने का अनुमान है यदि तत्काल वैश्विक नीति लागू नहीं होती।
    • तटीय प्रदूषण और समुद्री माइक्रोप्लास्टिक गंभीर स्तर तक पहुँच चुके हैं।


    जैव विविधता संकट: प्रजातियों का तेज़ी से नुकसान

    लगभग 10 लाख प्रजातियाँ विलुप्ति के जोखिम में हैं। वनों की कटाई, प्रदूषण, शिकार और जलवायु परिवर्तन इसके प्रमुख कारण हैं। कोरल रीफ्स तेजी से नष्ट हो रहे हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर खतरे में है।

    IPBES और UNEP के नवीनतम आकलन बताते हैं कि—

    • लगभग 10 लाख प्रजातियाँ विलुप्ति के जोखिम में हैं।
    • वनों की कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन प्रमुख कारण हैं।
    • कोरल रीफ्स का 50% नुकसान दर्ज किया गया।


    ऊर्जा और कार्बन उत्सर्जन

    नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ रही है, लेकिन कुल कार्बन उत्सर्जन अब भी 1.5°C लक्ष्य के अनुरूप नहीं है। कई देशों में स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण धीमी गति से हो रहा है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग के खतरे बने हुए हैं।
    • नवीकरणीय ऊर्जा की वैश्विक हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।
    • लेकिन कुल कार्बन उत्सर्जन अभी भी 1.5°C लक्ष्य के अनुरूप नहीं हैं।
    • ऊर्जा संक्रमण धीमी गति से क्षेत्रों और देशों में असमान रूप से बढ़ रहा है।


    जल सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधन

    दुनिया की 40% आबादी जल-संकट वाले क्षेत्रों में रह रही है। भूजल का दोहन बढ़ने से कई क्षेत्रों में पानी का स्तर तेजी से गिरा है। भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर रहे हैं।

    2025 तक:

    • विश्व की 40% जनसंख्या जल-संकट प्रभावित क्षेत्रों में रहती है।
    • भूजल का अत्यधिक दोहन विशेष चिंता का विषय है।
    • भूमि क्षरण (land degradation) वैश्विक स्तर पर बढ़ा है।


    सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर प्रगति

    SDG–13 (Climate Action), SDG–14 (Life Below Water), SDG–15 (Life on Land) जैसे लक्ष्यों पर दुनिया रास्ते से भटक रही है।
    कुछ सकारात्मक पहलू:

    • हरित प्रौद्योगिकी में निवेश
    • स्वच्छ ऊर्जा की तेज़ वृद्धि
    • संरक्षण (Conservation) नीतियों का विस्तार


    GEO रिपोर्टों का महत्व

    GEO रिपोर्ट पर्यावरणीय स्थिति का समग्र आकलन प्रदान करती है और नीति-निर्माताओं को डेटा आधारित निर्णय लेने में मदद करती है। यह वैश्विक पर्यावरणीय जोखिमों, चुनौतियों और संभावित समाधानों को रेखांकित करती है, जिससे सरकारें, शोधकर्ता और संस्थान स्थायी भविष्य के लिए दिशा तय कर सकें।

    GEO रिपोर्टें—

    • नीति-निर्माताओं को वैज्ञानिक डेटा आधारित निर्णय लेने में मदद करती हैं
    • पर्यावरणीय रुझानों और भविष्य के जोखिमों का आकलन प्रस्तुत करती हैं
    • सरकारों, शोधकर्ताओं और NGOs के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती हैं


    निष्कर्ष

    “Global Environment Outlook 2025” भले ही आधिकारिक रूप से उपलब्ध न हो, लेकिन 2025 तक के वैज्ञानिक आंकड़े बताते हैं कि दुनिया जलवायु और पर्यावरणीय संकट के निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। यदि देशों ने सहयोग, हरित नीतियों, तकनीकी नवाचार और सतत विकास की दिशा में तेजी से कदम न उठाए, तो भविष्य की चुनौतियाँ और गंभीर हो सकती हैं।


     FAQs


    1. Global Environment Outlook (GEO) क्या है?

    GEO संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा तैयार की जाने वाली एक व्यापक मूल्यांकन रिपोर्ट है, जो वैश्विक पर्यावरण की स्थिति, रुझान, चुनौतियाँ और संभावित समाधान प्रस्तुत करती है।


    2. क्या GEO 2025 आधिकारिक रूप से जारी हुई है?

    नहीं। GEO-6 (2019) आधिकारिक रूप से जारी की गई थी और GEO-7 पर कार्य जारी है। “GEO 2025” नाम से कोई अलग आधिकारिक रिपोर्ट जारी नहीं की गई है। यह 2025 तक के पर्यावरणीय रुझानों का समेकित विश्लेषण है।


    3. GEO के मुख्य अध्ययन क्षेत्र कौन से हैं?

    GEO जलवायु परिवर्तन, वायु एवं जल प्रदूषण, जैव विविधता, ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन, समुद्री पारिस्थितिकी, और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होती है।


    4. GEO रिपोर्ट क्यों महत्वपूर्ण है?

    यह रिपोर्ट वैज्ञानिक अनुसंधान, डेटा और नीति विश्लेषण पर आधारित होती है, जिससे दुनिया भर की सरकारें पर्यावरण योजनाएँ बनाने, प्रदूषण रोकने और जलवायु नीतियाँ सुधारने में इसका उपयोग करती हैं।


    5. 2025 तक जलवायु परिवर्तन की क्या प्रमुख प्रवृत्तियाँ देखी गईं?

    औसत तापमान 1.2°C तक बढ़ चुका है, चरम मौसम की घटनाएँ बढ़ी हैं, समुद्र स्तर ऊँचा हो रहा है और आर्कटिक बर्फ तेजी से पिघल रही है।


    6. प्रदूषण के कौन से प्रकार सबसे बड़ी चुनौती हैं?

    वायु प्रदूषण, प्लास्टिक कचरा, समुद्री प्रदूषण, औद्योगिक रसायन, माइक्रोप्लास्टिक और शहरी प्रदूषण 2025 तक प्रमुख वैश्विक चुनौतियों में शामिल हैं।


    7. जैव विविधता पर सबसे अधिक प्रभाव किसका है?

    वनों की कटाई, अनियंत्रित शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अत्यधिक मत्स्यन और आवासीय क्षेत्रों का नष्ट होना जैव विविधता पर भारी प्रभाव डालते हैं।


    8. नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में क्या प्रगति हुई है?

    सौर और पवन ऊर्जा की क्षमता तेजी से बढ़ी है, कई देशों ने कोयले पर निर्भरता कम करने की दिशा में कदम उठाए हैं। लेकिन कुल वैश्विक उत्सर्जन अभी भी 1.5°C लक्ष्य से अधिक है।


    9. जल संसाधनों की स्थिति 2025 में कैसी है?

    दुनिया के कई हिस्सों में जल की कमी बढ़ी है। भूजल स्तर तेज़ी से गिर रहा है, और जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे की घटनाएँ बढ़ना शुरू हो गई हैं। 40% से अधिक जनसंख्या जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों में रहती है।


    10. GEO रिपोर्ट से देशों को कैसे लाभ मिलता है?

    यह रिपोर्ट देशों को पर्यावरणीय जोखिमों को समझने, नीति सुधारने, सतत विकास योजनाएँ बनाने और अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौतों के अनुरूप कदम उठाने में सहायक होती है।


    स्रोत

    Official Web

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