भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल-सेल पोत

भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल-सेल पोत

भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल-सेल पोत

India’s First Indigenous Hydrogen Fuel-Cell Vessel

    परिचय(Introduction)

    भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल-सेल पोत स्वच्छ और टिकाऊ जल परिवहन की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह पोत पारंपरिक ईंधन के बजाय हाइड्रोजन से बिजली उत्पन्न कर संचालित होता है और शून्य-उत्सर्जन तकनीक का उपयोग करता है।
    • भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल-सेल यात्री पोत
    • शून्य-उत्सर्जन (Zero Emission) तकनीक पर आधारित
    • स्वच्छ और हरित जल परिवहन की दिशा में बड़ा कदम
    • अंतर्देशीय जल परिवहन के लिए विकसित
    • भारत की ग्रीन एनर्जी प्रतिबद्धता का प्रतीक


    लॉन्च एवं उद्घाटन

    इस पोत को 11 दिसंबर 2025 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित नमो घाट से लॉन्च किया गया। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसका उद्घाटन किया, जिससे गंगा नदी पर हरित जल परिवहन की शुरुआत हुई।
    • 11 दिसंबर 2025 को लॉन्च
    • स्थान: नमो घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
    • केंद्रीय मंत्री: सर्बानंद सोनोवाल द्वारा उद्घाटन
    • गंगा नदी (राष्ट्रीय जलमार्ग-1) पर संचालन
    • वाणिज्यिक सेवा की शुरुआत


    निर्माण एवं विकास

    इस स्वदेशी पोत का डिज़ाइन और निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा Inland Waterways Authority of India के लिए किया गया है। यह पूरी तरह भारतीय तकनीक और संसाधनों से विकसित किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत पहल को सशक्त करता है।
    • निर्माणकर्ता: कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL)
    • ग्राहक संस्था: Inland Waterways Authority of India (IWAI)
    • पूर्णतः स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण
    • भारतीय समुद्री उद्योग की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन
    • इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग से प्रमाणित


    प्रौद्योगिकी (Technology)

    यह पोत Low-Temperature Proton Exchange Membrane आधारित हाइड्रोजन फ्यूल-सेल तकनीक पर कार्य करता है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रक्रिया से बिजली उत्पन्न होती है, जिससे पोत चलता है और उप-उत्पाद के रूप में केवल पानी निकलता है।
    • हाइड्रोजन फ्यूल-सेल आधारित प्रणोदन प्रणाली
    • Low-Temperature Proton Exchange Membrane (LT-PEM)
    • हाइड्रोजन से बिजली उत्पादन
    • उप-उत्पाद: केवल पानी और ऊष्मा
    • कार्बन डाइऑक्साइड का शून्य उत्सर्जन


    डिज़ाइन एवं क्षमता

    लगभग 24 मीटर लंबे इस कैटामरैन पोत में 50 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। इसमें वातानुकूलित केबिन, आधुनिक नेविगेशन प्रणाली और सुरक्षा उपकरण लगाए गए हैं, जिससे यह शहरी परिवहन और पर्यटन दोनों उद्देश्यों के लिए उपयुक्त बनता है।
    • 24 मीटर लंबा कैटामरैन पोत
    • यात्री क्षमता: 50 लोग
    • वातानुकूलित केबिन सुविधा
    • सेवा गति: लगभग 6.5 नॉट
    • एक बार ईंधन भरने पर लगभग 8 घंटे संचालन


    मार्ग एवं संचालन

    यह पोत गंगा नदी पर नमो घाट से ललिता घाट के बीच संचालित होता है, जो राष्ट्रीय जलमार्ग-1 का हिस्सा है। यह मार्ग वाराणसी जैसे व्यस्त शहर में स्वच्छ, शांत और प्रदूषण-मुक्त परिवहन का विकल्प प्रदान करता है।
    • मार्ग: नमो घाट से ललिता घाट
    • गंगा नदी पर पायलट परियोजना
    • शहरी जल परिवहन को बढ़ावा
    • पर्यटन एवं स्थानीय आवागमन के लिए उपयोगी
    • अंतर्देशीय जल परिवहन का हरित मॉडल


    पर्यावरणीय महत्व

    हाइड्रोजन फ्यूल-सेल पोत किसी भी प्रकार का कार्बन उत्सर्जन नहीं करता। इसके उपयोग से वायु और जल प्रदूषण में कमी आती है तथा यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायक है, जिससे सतत और हरित परिवहन को बढ़ावा मिलता है।
    • पूर्णतः शून्य-कार्बन उत्सर्जन
    • वायु एवं जल प्रदूषण में कमी
    • जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटेगी
    • जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहायक
    • सतत परिवहन को बढ़ावा


    राष्ट्रीय महत्व

    यह परियोजना भारत के Net Zero 2070 लक्ष्य, हरित नौका पहल और राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से जुड़ी है। यह अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा अपनाने और तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करती है।
    • भारत के Net Zero 2070 लक्ष्य में योगदान
    • Harit Nauka (ग्रीन बोट) पहल के अनुरूप
    • स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा
    • भविष्य के हाइड्रोजन पोतों का मार्ग प्रशस्त
    • वैश्विक हरित समुद्री तकनीक में भारत की भागीदारी


    निष्कर्ष

    भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल-सेल पोत देश के हरित परिवहन भविष्य की मजबूत नींव रखता है। यह परियोजना न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि भारत को वैश्विक स्वच्छ समुद्री तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की क्षमता रखती है।
    • भारत के स्वच्छ परिवहन भविष्य की मजबूत शुरुआत
    • हाइड्रोजन तकनीक की व्यावहारिक सफलता
    • अंतर्देशीय जल परिवहन में क्रांति
    • पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन
    • आत्मनिर्भर भारत का उत्कृष्ट उदाहरण


    10 FAQs

    1. भारत का पहला स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल-सेल पोत क्या है?

    यह एक शून्य-उत्सर्जन यात्री पोत है, जो हाइड्रोजन फ्यूल-सेल तकनीक से बिजली उत्पन्न कर संचालित होता है और पर्यावरण के लिए सुरक्षित जल परिवहन प्रदान करता है।


    2. यह पोत कब और कहाँ लॉन्च किया गया?

    इस पोत को 11 दिसंबर 2025 को नमो घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में गंगा नदी पर लॉन्च किया गया।


    3. इस पोत का निर्माण किसने किया है?

    इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने किया है और इसे Inland Waterways Authority of India (IWAI) के लिए विकसित किया गया है।


    4. यह पोत किस तकनीक पर आधारित है?

    यह पोत Low-Temperature Proton Exchange Membrane (LT-PEM) हाइड्रोजन फ्यूल-सेल तकनीक पर आधारित है, जो हाइड्रोजन से बिजली बनाती है।


    5. इस पोत की यात्री क्षमता कितनी है?

    यह पोत एक बार में लगभग 50 यात्रियों को ले जाने में सक्षम है और इसमें वातानुकूलित केबिन की सुविधा है।


    6. यह पोत कितना समय चल सकता है?

    एक बार हाइड्रोजन ईंधन भरने पर यह पोत लगभग 8 घंटे तक लगातार संचालित हो सकता है।


    7. यह पोत किस मार्ग पर चलता है?

    यह पोत गंगा नदी के नमो घाट से ललिता घाट तक के मार्ग पर संचालित होता है, जो राष्ट्रीय जलमार्ग-1 का हिस्सा है।


    8. यह पोत पर्यावरण के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

    क्योंकि यह पोत कार्बन डाइऑक्साइड, धुआँ या प्रदूषक गैसें उत्सर्जित नहीं करता और केवल पानी व ऊष्मा उत्पन्न करता है।


    9. यह परियोजना भारत के किस लक्ष्य से जुड़ी है?

    यह परियोजना भारत के Net Zero 2070, हरित नौका (Harit Nauka) और स्वच्छ ऊर्जा मिशनों से जुड़ी है।


    10. इस पोत का भविष्य में क्या महत्व है?

    यह पोत भारत में हाइड्रोजन आधारित समुद्री एवं अंतर्देशीय परिवहन के विस्तार का मार्ग प्रशस्त करेगा और भविष्य के ग्रीन शिप्स के लिए मॉडल बनेगा।


    स्रोत

    PIB

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