Advocate General of Uttar Pradesh



उत्तर प्रदेश के महान्यायवादी (Advocate General of Uttar Pradesh) राज्य सरकार का प्रमुख कानूनी अधिकारी होता है। यह पद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 165 के अंतर्गत स्थापित है। महान्यायवादी राज्य सरकार को विधिक मामलों में सलाह देता है और अदालतों में उसका प्रतिनिधित्व करता है।


⚖️ महान्यायवादी: परिचय

विषय विवरण
पदनाम महान्यायवादी (Advocate General)
कार्यक्षेत्र उत्तर प्रदेश राज्य
संविधानिक आधार अनुच्छेद 165
नियुक्ति राज्यपाल द्वारा
कार्यकाल राज्यपाल की इच्छानुसार (कोई निश्चित अवधि नहीं)
योग्यता उच्च न्यायालय में वकील के रूप में कार्य करने की योग्यता होनी चाहिए

📌 मुख्य कार्य (Functions of Advocate General)

  1. राज्य सरकार को कानूनी सलाह देना

    • राज्य के विधायी, कार्यकारी और प्रशासनिक निर्णयों पर विधिक परामर्श देना।

  2. ⚖️ उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में राज्य का प्रतिनिधित्व करना

    • महत्वपूर्ण मामलों में राज्य सरकार की ओर से पेश होना।

  3. 📑 राज्य विधायिका में विधिक राय देना

    • जब भी राज्यपाल या विधानसभा विधिक राय मांगे।

  4. 🏛️ राजकीय मामलों में विधि विभाग का मार्गदर्शन करना

    • कानून का प्रारूप तैयार करना, अधिनियमों की व्याख्या करना।


🧾 महत्वपूर्ण तथ्य

  • महान्यायवादी की स्थिति राज्य में महाधिवक्ता (Attorney General of India) के समकक्ष होती है।

  • यह एक संवैधानिक पद है, न कि राजनीतिक।

  • महान्यायवादी को राज्य के विधायकों के समान विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार होता है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता।


🧑‍⚖️ उत्तर प्रदेश के वर्तमान महान्यायवादी

(यह विवरण समय के अनुसार बदल सकता है। नवीनतम जानकारी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार या विधि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट देखें।)


🧠 महान्यायवादी की योग्यता

मापदंड विवरण
शैक्षिक योग्यता विधि में स्नातक (LLB)
अनुभव उच्च न्यायालय में वकील के रूप में कार्य करने की योग्यता
पेशेवर क्षमता संवैधानिक, आपराधिक, सिविल और प्रशासनिक कानूनों का अनुभव

🤝 राज्य सरकार के साथ संबंध

  • महान्यायवादी को राज्य सरकार के निर्णयों की रक्षा करनी होती है।

  • हालांकि वह राज्य सरकार का कर्मचारी नहीं होता, परन्तु उसका कार्य न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता के आधार पर होता है।


📌 निष्कर्ष

महान्यायवादी उत्तर प्रदेश की न्यायिक और विधिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह राज्य सरकार को विधिक रूप से मजबूत बनाने और अदालतों में उसकी स्थिति सुदृढ़ करने में सहायक होता है। उनका कार्य निष्पक्ष, विधिक दृष्टिकोण से न्यायसंगत और संविधान के अनुरूप होता है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ