भारत के अन्य प्राकृतिक संसाधन

भारत के अन्य प्राकृतिक संसाधन

भारत एक प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण देश है। यहाँ जल, खनिज और ऊर्जा संसाधनों के अलावा भी कई ऐसे संसाधन उपलब्ध हैं जो हमारे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं। इनमें वन, मृदा, जैव विविधता, मत्स्य संसाधन, वन्यजीव और जलवायु आधारित संपदाएँ प्रमुख हैं। ये संसाधन न केवल हमारी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, बल्कि सतत विकास और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।


भारत के अन्य प्राकृतिक संसाधनों का महत्व

  • खाद्य और कच्चे माल की आपूर्ति।
  • पर्यावरणीय संतुलन और जलवायु नियंत्रण
  • औद्योगिक और औषधीय उपयोग
  • जैव विविधता का संरक्षण और पर्यटन
  • ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की आजीविका।


1. वन संसाधन (Forest Resources)

भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 21% भाग वनों से आच्छादित है।

  • वनों का महत्व:

लकड़ी, रेज़िन, गोंद, औषधियाँ और अन्य वानिकी उत्पाद।
जलवायु संतुलन, मिट्टी संरक्षण और वर्षा चक्र को नियंत्रित करना।
वन्यजीवों का आवास और जैव विविधता का संरक्षण।

प्रमुख वन क्षेत्र: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर-पूर्वी राज्य, झारखंड और ओडिशा

2. मृदा संसाधन (Soil Resources)

भारत में विभिन्न प्रकार की उपजाऊ मिट्टियाँ पाई जाती हैं, जो कृषि उत्पादन का आधार हैं।

  • जलोढ़ मिट्टी (जलोढ़): गंगा-ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी घाटी में।
  • काली मिट्टी (रेगुर): महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात में कपास उत्पादन के लिए उपयुक्त।
  • लाल मिट्टी: दक्षिण भारत और दक्कन पठार में।
  • पर्वतीय मिट्टी: हिमालय और उत्तर-पूर्वी राज्यों में।
  • जलोढ़ मिट्टी भारत के खाद्य उत्पादन का सबसे बड़ा आधार है।


3. जैव विविधता (Biodiversity)

भारत विश्व के 17 मेगा जैव विविधता देशों में से एक है।

  • यहाँ लगभग 45,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ और 90,000 से अधिक पशु प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य जैसे जिम कॉर्बेट, काजीरंगा, गिर, रणथंभौर, सुंदरबन जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण हैं।
  • औषधीय पौधे और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ भी इसी पर आधारित हैं।


4. मत्स्य संसाधन (Fisheries Resources)

भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है।

  • समुद्री मत्स्य उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र: पश्चिमी तट (गुजरात, महाराष्ट्र, केरल) और पूर्वी तट (आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु)
  • अंतर्देशीय मत्स्य पालन: झीलों, नदियों और तालाबों से।
  • मत्स्य संसाधन रोजगार, पोषण और निर्यात में अहम योगदान करते हैं।


5. वन्यजीव संसाधन (Wildlife Resources)

भारत में समृद्ध वन्यजीव पाए जाते हैं।

  • बाघ, हाथी, गैंडा, शेर, चीता, भालू और बारहसिंगा यहाँ की पहचान हैं।
  • पक्षियों में मोर, सारस, हॉर्नबिल और साइबेरियन क्रेन प्रमुख हैं।
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत कई अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना की गई।


6. जलवायु और प्राकृतिक सौंदर्य

भारत की जलवायु और प्राकृतिक विविधता भी महत्वपूर्ण संसाधन हैं।

  • हिमालय की बर्फीली चोटियाँ, उत्तर भारत की उपजाऊ मैदान, दक्कन का पठार, मरुस्थल और तटीय क्षेत्र।
  • यह विविधता पर्यटन उद्योग का आधार है।


भारत के अन्य प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित चुनौतियाँ

  • वनों की कटाई और भूमि क्षरण
  • जैव विविधता का ह्रास और वन्यजीव शिकार
  • मृदा अपरदन और उर्वरता में कमी
  • मत्स्य संसाधनों का अत्यधिक दोहन
  • जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण।


संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन

  • वन संरक्षण: सामाजिक वानिकी और वृक्षारोपण कार्यक्रम।
  • मृदा संरक्षण: कंटूर बंध, वर्षा जल संचयन और उर्वरक प्रबंधन।
  • जैव विविधता संरक्षण: राष्ट्रीय उद्यान, बायोस्फीयर रिज़र्व और संरक्षित क्षेत्र।
  • मत्स्य प्रबंधन: वैज्ञानिक पालन, कृत्रिम झीलें और बंदी प्रजनन।
  • वन्यजीव संरक्षण: सख्त कानून और जागरूकता अभियान।


निष्कर्ष

भारत के अन्य प्राकृतिक संसाधन हमारी आर्थिक प्रगति, सांस्कृतिक धरोहर और पारिस्थितिक संतुलन के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने जल, खनिज और ऊर्जा संसाधन। इनका सतत और विवेकपूर्ण उपयोग करके हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं।



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