भारत के ऊर्जा संसाधन
भारत एक तेजी से विकसित हो रहा देश है, जिसकी आर्थिक प्रगति और औद्योगिक विकास का आधार उसके ऊर्जा संसाधन हैं। ऊर्जा संसाधन न केवल कृषि, उद्योग, परिवहन और संचार के लिए आवश्यक हैं बल्कि यह हमारे सामाजिक जीवन और जीवनशैली को भी प्रभावित करते हैं। भारत में पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों प्रकार के ऊर्जा स्रोत प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।
भारत के ऊर्जा संसाधनों का महत्व
- कृषि क्षेत्र में सिंचाई पंप, खाद्य प्रसंस्करण और मशीनरी के लिए ऊर्जा आवश्यक है।
- औद्योगिक उत्पादन पूरी तरह ऊर्जा आपूर्ति पर निर्भर है।
- परिवहन और संचार प्रणाली को ऊर्जा से ही गति मिलती है।
- विद्युत उत्पादन से सामाजिक और शैक्षिक विकास को बल मिलता है।
भारत के ऊर्जा संसाधनों का वर्गीकरण
भारत में ऊर्जा संसाधनों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है:
1. पारंपरिक ऊर्जा संसाधन (Conventional Energy Resources)
कोयला (Coal)
- भारत कोयले के भंडार में विश्व में अग्रणी है।
- प्रमुख क्षेत्र: झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश।
- भारत की कुल विद्युत उत्पादन का लगभग 55% हिस्सा कोयले से प्राप्त होता है।
पेट्रोलियम (Petroleum)
- यह आधुनिक अर्थव्यवस्था का आधार है।
- प्रमुख उत्पादन क्षेत्र: असम, गुजरात, मुंबई हाई, आंध्र प्रदेश।
- पेट्रोलियम से पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, एलपीजी और विभिन्न रसायन तैयार किए जाते हैं।
प्राकृतिक गैस (Natural Gas)
- मुख्य स्रोत: मुंबई हाई, असम, गुजरात और त्रिपुरा।
- इसका प्रयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक उद्योग और रसोई गैस के रूप में किया जाता है।
विद्युत ऊर्जा (Thermal & Hydro Power)
- थर्मल पावर प्लांट कोयले, पेट्रोलियम और गैस पर आधारित हैं।
- भाखड़ा नांगल, टिहरी, हीराकुंड, सरदार सरोवर प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएँ हैं।
परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy)
- यूरेनियम और थोरियम से प्राप्त।
- प्रमुख परमाणु ऊर्जा केंद्र: तरापुर (महाराष्ट्र), कलपक्कम (तमिलनाडु), नारोरा (उत्तर प्रदेश), कैगा (कर्नाटक)।
- भारत के पास थोरियम के विशाल भंडार हैं, विशेषकर केरल के तटीय क्षेत्रों में।
2. अपारंपरिक ऊर्जा संसाधन (Non-Conventional Energy Resources)
सौर ऊर्जा (Solar Energy)
- भारत उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है, जिससे यहाँ सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं।
- राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश में बड़े सौर पार्क स्थापित किए गए हैं।
पवन ऊर्जा (Wind Energy)
- प्रमुख क्षेत्र: तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान।
- भारत पवन ऊर्जा उत्पादन में विश्व के शीर्ष देशों में शामिल है।
जैव ऊर्जा (Biomass Energy)
- ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी, गोबर गैस और कृषि अपशिष्ट से ऊर्जा प्राप्त होती है।
- गोबर गैस संयंत्र ग्रामीण स्वावलंबन का आधार हैं।
भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)
- भारत में हिमालयी क्षेत्र और लद्दाख में इसकी संभावनाएँ हैं।
ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy)
- गुजरात के कच्छ और पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र में इसकी संभावनाएँ पाई जाती हैं।
भारत में ऊर्जा संसाधनों का भौगोलिक वितरण
- पूर्वी भारत (झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़): कोयला और लौह आधारित थर्मल पावर।
- पश्चिमी भारत (गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र): पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, सौर और पवन ऊर्जा।
- उत्तर भारत (हिमालयी क्षेत्र): जल विद्युत और भू-तापीय ऊर्जा।
- दक्षिण भारत (तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक): परमाणु ऊर्जा, पवन और सौर ऊर्जा।
भारत के ऊर्जा संसाधनों से संबंधित चुनौतियाँ
1. बढ़ती ऊर्जा मांग
तेजी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकरण के कारण ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है।
2. जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता
कोयला और पेट्रोलियम जैसे संसाधन सीमित हैं और इनके अत्यधिक उपयोग से प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ती है।
3. आयात पर निर्भरता
भारत अपनी पेट्रोलियम आवश्यकता का लगभग 85% आयात करता है, जिससे विदेशी मुद्रा पर दबाव बढ़ता है।
4. पर्यावरणीय क्षति
थर्मल पावर और कोयला खनन से वायु, जल और भूमि प्रदूषण बढ़ता है।
ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन
- ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency): बिजली की बचत और ऊर्जा कुशल उपकरणों का उपयोग।
- नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर: सौर, पवन और जैव ऊर्जा को बढ़ावा देना।
- जलविद्युत परियोजनाओं का विस्तार।
- राष्ट्रीय सौर मिशन और पवन ऊर्जा कार्यक्रम को और मजबूत करना।
- परमाणु ऊर्जा में निवेश बढ़ाना।
- जनजागरूकता अभियान के माध्यम से ऊर्जा बचत की संस्कृति विकसित करना।
निष्कर्ष
भारत के ऊर्जा संसाधन हमारी आर्थिक वृद्धि, औद्योगिक समृद्धि और सामाजिक स्थिरता के लिए अनिवार्य हैं। सतत विकास के लिए हमें पारंपरिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना होगा और अपारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना होगा। यदि सही दिशा में कदम उठाए जाएँ, तो भारत आत्मनिर्भर ऊर्जा राष्ट्र बन सकता है।
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