गुप्त साम्राज्य
भारत का स्वर्ण युग
परिचय:
गुप्त साम्राज्य का आरंभ
गुप्त साम्राज्य प्राचीन भारत का एक
अत्यंत समृद्ध और शक्तिशाली साम्राज्य था,
जिसकी स्थापना लगभग 319 ईस्वी में श्रीगुप्त अथवा उनके
उत्तराधिकारी चंद्रगुप्त
प्रथम द्वारा
की गई। यह साम्राज्य भारत के इतिहास में
“स्वर्ण
युग” (Golden Age) के
रूप में प्रसिद्ध है, जब कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, ज्योतिष, धर्म और दर्शन में अद्वितीय प्रगति
हुई।
गुप्त
वंश के प्रमुख शासक
1. चंद्रगुप्त प्रथम
(लगभग 319 – 335 ई.)
- गुप्त वंश के वास्तविक संस्थापक
माने जाते हैं।
- उन्होंने लिच्छवि
कुल की राजकुमारी
कुमारदेवी से विवाह किया,
जिससे उन्हें मगध और आसपास के
क्षेत्रों में प्रभाव मिला।
- उनके शासन में गुप्त साम्राज्य ने
मजबूती से विस्तार प्रारंभ किया।
- चंद्रगुप्त प्रथम ने खुद को महाराजाधिराज
की उपाधि दी।
2. समुद्रगुप्त (लगभग 335 – 380 ई.)
- गुप्त वंश के सबसे महान शासकों में
से एक।
- उन्होंने उत्तर से दक्षिण तक विजय
अभियान चलाया और कई राज्यों को जीतकर गुप्त साम्राज्य को विशाल बनाया।
- उन्हें “भारत का नेपोलियन” भी
कहा जाता है।
- वे एक उत्कृष्ट
कवि, वीणा वादक और कला संरक्षक भी
थे।
- प्रयाग प्रशस्ति (हरिसेन
द्वारा रचित) से उनके जीवन और विजयों की जानकारी मिलती है।
3. चंद्रगुप्त द्वितीय
(विक्रमादित्य) (लगभग 380 – 415 ई.)
- समुद्रगुप्त के पुत्र और
उत्तराधिकारी।
- इन्होंने शकों
को पराजित कर
मालवा, सौराष्ट्र
और गुजरात जैसे क्षेत्रों को जीत लिया।
- उनकी राजधानी उज्जयिनी भी थी।
- उनके शासन काल को गुप्त युग का चरमोत्कर्ष माना
जाता है।
- उनके दरबार में नवरत्न
(जैसे कालिदास, वराहमिहिर, धन्वंतरि) विद्यमान
थे।
4. कुमारगुप्त और
स्कंदगुप्त
- कुमारगुप्त (लगभग
415 – 455 ई.) ने
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की।
- स्कंदगुप्त (लगभग
455 – 467 ई.) ने
हूणों के आक्रमणों का सफलतापूर्वक मुकाबला किया, लेकिन
उसके बाद साम्राज्य में कमजोरी आने लगी।
गुप्त
काल की विशेषताएँ
1. प्रशासनिक व्यवस्था
- राजा को ईश्वर
का प्रतिनिधि माना जाता था।
- साम्राज्य को प्रांतों
(भुक्ति), जिलों (विषय),
गांवों (ग्राम) में विभाजित किया गया।
- अधिकारी वर्ग – उदा. उपरिक,
विक्रमाध्याक्ष, संधिविग्रहिक, नागरश्रेष्ठि आदि।
- कर प्रणाली व्यवस्थित थी – भूमि कर, व्यापार
कर आदि।
2. धर्म और दर्शन
- हिंदू धर्म को राजकीय संरक्षण
प्राप्त था, लेकिन
सहिष्णुता की नीति अपनाई गई।
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म का भी सम्मान बना रहा।
- विष्णु, शिव, दुर्गा, गणेश आदि की उपासना प्रचलित हुई।
- धार्मिक सहिष्णुता और
सांस्कृतिक समरसता गुप्त शासन की पहचान थी।
3. कला, साहित्य और शिक्षा
कला
और स्थापत्य:
- सांची, भरहुत, अजंता-एलोरा की गुफाओं में चित्रकला का अद्वितीय उदाहरण।
- मूर्ति निर्माण में उत्तम तकनीक – विशेषकर बुद्ध
मूर्तियाँ और
हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ।
साहित्य:
- कालिदास – रघुवंश, कुमारसंभव, अभिज्ञान
शाकुंतलम् आदि।
- विशाखदत्त – मुद्राराक्षस।
- भास, सुधाकर, शूद्रक – प्रसिद्ध
नाटककार।
शिक्षा:
- नालंदा विश्वविद्यालय – विश्व
प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र।
- तक्षशिला, विक्रमशिला – अन्य
प्रमुख विश्वविद्यालय।
4. विज्ञान और गणित
- आर्यभट्ट – गणित
और खगोलशास्त्र में क्रांतिकारी खोजें (π
का मान, धरती
की परिक्रमा)।
- वराहमिहिर – ब्रह्मसिद्धांत, खगोल
और ज्योतिष के क्षेत्र में योगदान।
- शून्य और दशमलव पद्धति
का स्पष्ट प्रयोग।
- चिकित्सा, धातु
विज्ञान (आयरन पिलर – कुतुब मीनार परिसर) का उन्नत विकास।
गुप्त
साम्राज्य का पतन
गुप्त साम्राज्य का
पतन निम्न कारणों से हुआ:
- हूणों के आक्रमण और बाहरी आक्रांताओं का दबाव।
- उत्तराधिकार संघर्ष और कमजोर
शासकों की उपस्थिति।
- सामंती व्यवस्था का विस्तार जिससे
केंद्रीय सत्ता कमजोर हुई।
- व्यापार में गिरावट और आर्थिक
संकट।
लगभग 550 ईस्वी तक गुप्त साम्राज्य
का पूर्ण पतन हो गया।
निष्कर्ष:
गुप्त युग की विरासत
गुप्त साम्राज्य भारत के इतिहास का एक ऐसा कालखंड था जिसने भारत को वैज्ञानिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, और दार्शनिक रूप से समृद्ध बनाया। यह वह समय था जब भारत का प्रभाव दक्षिण एशिया से बाहर तक फैला और भारत को विश्व मंच पर ज्ञान और संस्कृति की भूमि के रूप में पहचाना गया।
FAQ (अक्सर
पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. गुप्त
साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
गुप्त साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त
प्रथम ने लगभग 319 ईस्वी में की थी। वे श्रीगुप्त के
उत्तराधिकारी थे और उन्होंने लिच्छवि वंश की राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह कर मगध
क्षेत्र में अपनी सत्ता को मजबूत किया।
2. गुप्त
काल को भारत का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
गुप्त काल को भारत का स्वर्ण
युग इसलिए
कहा जाता है क्योंकि इस समय कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, शिक्षा और धर्म सभी क्षेत्रों में
असाधारण विकास हुआ। इस काल में कालिदास, आर्यभट्ट, और वराहमिहिर जैसे महान विद्वान
हुए।
3. समुद्रगुप्त
को भारत का नेपोलियन क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
समुद्रगुप्त को "भारत का
नेपोलियन" इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने असाधारण सैन्य अभियानों के
माध्यम से भारत के अधिकांश हिस्सों पर विजय प्राप्त की थी। उनकी प्रयाग
प्रशस्ति में उनके 100 से
अधिक विजयों का वर्णन मिलता है।
4. गुप्त
साम्राज्य की राजधानी कौन-सी थी?
उत्तर:
गुप्त साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी, जो आज के पटना (बिहार) में स्थित है। कुछ
समय के लिए उज्जयिनी को भी राजधानी के रूप में प्रयोग किया
गया।
5. गुप्त
साम्राज्य का पतन कैसे हुआ?
उत्तर:
गुप्त साम्राज्य का पतन हूणों
के आक्रमण, कमजोर
उत्तराधिकारियों, सामंतीकरण,
और आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता के कारण हुआ। लगभग 550 ईस्वी के बाद यह साम्राज्य छोटे-छोटे राज्यों
में विभाजित हो गया।
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