उत्तर प्रदेश का लोक-नृत्य (Folk Dance) भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उत्तर प्रदेश की लोक-नृत्य शैलियाँ विविधतापूर्ण और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध हैं, जो राज्य की सांस्कृतिक विविधता, धार्मिक परंपराओं, और ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करती हैं। इन नृत्य शैलियों में ग्रामीण जीवन, धार्मिकता, परंपराएं, और लोककथाओं का सुंदर समागम देखने को मिलता है। यहाँ कुछ प्रमुख लोक-नृत्यों की सूची दी गई है:
1. कठक (Kathak)
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स्थान: लखनऊ, वाराणसी
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विशेषता: कथक उत्तर प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य की आठ प्रमुख शैलियों में से एक है। यह नृत्य शैली कहानी सुनाने के रूप में होती है, जिसमें नृत्य के माध्यम से भावनाओं, कथाओं और घटनाओं का चित्रण किया जाता है। इसमें खासतौर पर आंचल का उपयोग, तेज़ी से घुंमना, और पैरों के ताल पर ध्यान दिया जाता है।
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उदाहरण: प्रसिद्ध कथक नृत्यकार पं. बिरजू महाराज और सुरेश यादव हैं।
2. रासलीला (Raas Leela)
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स्थान: मथुरा, वृंदावन
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विशेषता: रासलीला भगवान श्री कृष्ण और राधा के बीच प्रेम संबंधों का चित्रण करती है। यह नृत्य आमतौर पर मथुरा और वृंदावन में विशेष रूप से होली के दौरान आयोजित होता है। इसमें नृत्य, संगीत और अभिनय का सुंदर संयोजन होता है।
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उदाहरण: रासलीला का आयोजन विशेष रूप से नृत्य, संगीत और भाव-भव्यता से होता है, और श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।
3. द्रुम (Dhamar)
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स्थान: कानपुर, लखनऊ
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विशेषता: द्रुम उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख लोक नृत्य है, जिसमें तेज़ गति के संगीत और कदमों का इस्तेमाल होता है। यह नृत्य ग़ज़ल और भक्ति संगीत से जुड़ा हुआ होता है।
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उदाहरण: इस नृत्य में नर्तक राग और ताल का विशेष ध्यान रखते हैं और संगीत के तालों पर यह नृत्य अद्भुत रूप से अनुकूलित होता है।
4. झुमर (Jhumar)
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स्थान: मिर्जापुर, वाराणसी
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विशेषता: झुमर उत्तर प्रदेश का एक बहुत ही प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जो मुख्य रूप से विशेष अवसरों और सामाजिक समागमों में किया जाता है। इसे महिलाएं और पुरुष दोनों मिलकर करते हैं।
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उदाहरण: इस नृत्य में प्रतिभागी हाथों में छड़ी लेकर नृत्य करते हैं और झुमर के संगीत पर ताल मिलाते हैं।
5. कौशल (Kauwa)
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स्थान: बुंदेलखंड क्षेत्र
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विशेषता: कौशल एक प्रकार का पारंपरिक लोक नृत्य है, जिसे विशेष रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र में किया जाता है। यह नृत्य कुछ कथाओं और धार्मिक धरोहरों से जुड़ा होता है, और इसे आमतौर पर भक्ति संगीत और काव्य रचनाओं के साथ किया जाता है।
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उदाहरण: इस नृत्य में सटीक ताल और हाथों की गति के साथ आस्था और भक्तिपूर्ण संगीत का मिश्रण होता है।
6. चौथी (Chauthi)
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स्थान: गोरखपुर, अलीगढ़
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विशेषता: यह एक खास लोक नृत्य है, जिसमें नर्तकियों और नर्तकों के समूह, हाथों में एक विशेष प्रकार का चांदी या कांसा का वाद्ययंत्र पकड़कर नृत्य करते हैं। इसे खासतौर पर धार्मिक पर्वों और विशेष अवसरों पर किया जाता है।
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उदाहरण: इस नृत्य में भक्तिपूर्ण गीतों के साथ तेज़ गति से नृत्य किया जाता है।
7. लावणी (Lavani)
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स्थान: कौशांबी, आगरा
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विशेषता: लावणी एक प्रकार का लोक नृत्य है, जिसे मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा गाया और नृत्य किया जाता है। यह नृत्य संगीत के साथ होता है और इसमें महिला कलाकार अपने आंचल का सुंदर उपयोग करती हैं।
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उदाहरण: लावणी नृत्य में अक्सर लोकगीत और सांस्कृतिक काव्य प्रस्तुत किए जाते हैं।
8. नटुआ (Natua)
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स्थान: गोंडा, रायबरेली
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विशेषता: नटुआ एक लोक नृत्य है, जिसमें पुरुष अपने शरीर के विभिन्न अंगों का उपयोग करते हुए नृत्य करते हैं। इस नृत्य में ज्यादा तेज़ गति और शारीरिक कौशल का योगदान होता है।
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उदाहरण: इसमें नर्तक ऊर्जावान तरीके से नृत्य करते हैं और उनके कदम और मुद्राएं बहुत ही प्रभावशाली होती हैं।
9. बरेली की नृत्य शैली (Bareilly Ki Dance Style)
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स्थान: बरेली
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विशेषता: यह नृत्य शैली लोक संगीत और काव्य के साथ की जाती है। यह नृत्य संस्कृति की परंपरा को बनाए रखते हुए होती है, जहां कलाकार शरीर के विभिन्न अंगों का उपयोग करते हैं।
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उदाहरण: इसमें खासतौर पर लोक संगीत पर नृत्य किया जाता है और यह परंपरागत पर्वों और समारोहों का हिस्सा होता है।
10. रसिया (Rasiya)
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स्थान: आगरा, कन्नौज
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विशेषता: रसिया उत्तर प्रदेश का एक लोक नृत्य है जो विशेष रूप से होलाष्टक (होली से पहले के सात दिन) के दौरान होता है। इस नृत्य में कलाकार संगीत के ताल पर प्रेम, हास्य और उल्लास से भरे होते हैं।
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उदाहरण: रसिया नृत्य के दौरान गाने और नृत्य का संगम होता है और लोग एक साथ मिलकर ताल और गीतों का आनंद लेते हैं।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश का लोक-नृत्य न केवल राज्य की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करता है, बल्कि भारतीय नृत्य परंपरा के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करता है। इन नृत्य शैलियों में धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक गतिविधियों का मिश्रण होता है, जो न केवल दर्शकों का मनोरंजन करते हैं, बल्कि उन्हें राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित कराते हैं।
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