Uttar Pradesh History

 

उत्तर प्रदेश का इतिहास

उत्तर प्रदेश भारत के सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक राज्यों में से एक है, जिसका इतिहास अत्यंत प्राचीन, गौरवशाली और विविधताओं से भरा हुआ है। यह राज्य गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों की भूमि है और आर्यों, मौर्यों, गुप्तों, मुगलों, नवाबों और ब्रिटिश शासन तक अनेक शासकों का साक्षी रहा है।

प्राचीन काल में उत्तर प्रदेश क्षेत्र आर्य सभ्यता का केंद्र था। वैदिक संस्कृति का विकास यहीं हुआ, और यही भूमि रामायण व महाभारत जैसे महान ग्रंथों की पृष्ठभूमि बनी। अयोध्या, श्रीराम की जन्मभूमि, तथा मथुरा, भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली, इस राज्य में स्थित हैं। काशी (वाराणसी) को विश्व की सबसे प्राचीन जीवित नगरी माना जाता है।

बौद्ध युग में यह क्षेत्र और भी महत्वपूर्ण हो गया। सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया। मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाई। बाद में गुप्त वंश के काल में उत्तर प्रदेश ने कला, विज्ञान और संस्कृति में अभूतपूर्व प्रगति की।

मध्यकाल में यह क्षेत्र दिल्ली सल्तनत और फिर मुगल साम्राज्य के अधीन रहा। अकबर ने अपने शासन के लिए इलाहाबाद (प्रयागराज) को एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाया। मुगलों ने यहाँ कई अद्भुत स्मारक और इमारतें बनाईं, जैसे फतेहपुर सीकरी

अवध (लखनऊ) क्षेत्र मुगल शासन के पतन के बाद नवाबों के अधीन आया, जो कला, संस्कृति और तहज़ीब के लिए प्रसिद्ध रहा। नवाब वाजिद अली शाह जैसे शासकों ने शायरी, संगीत और स्थापत्य को बहुत बढ़ावा दिया।

1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, जिसे सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश की धरती पर ही भड़का। मेरठ, कानपुर (नाना साहेब), लखनऊ (बेगम हज़रत महल), और झाँसी (रानी लक्ष्मीबाई) इसके प्रमुख केंद्र थे।

ब्रिटिश शासन के दौरान उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रांत (United Provinces) कहा जाता था। 1937 में इसे सीमित स्वायत्तता दी गई और स्वतंत्रता के बाद 1950 में इसका नाम बदलकर उत्तर प्रदेश रखा गया।

आधुनिक काल में उत्तर प्रदेश भारतीय राजनीति का केंद्र बन गया। यह देश को सर्वाधिक प्रधानमंत्री देने वाला राज्य रहा है – जैसे पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, और नरेन्द्र मोदी (निर्वाचित सांसद वाराणसी से)

यहाँ की संस्कृति, धार्मिक स्थलों, कुंभ मेला, हिंदी साहित्य और भोजपुरी संस्कृति ने इसे राष्ट्रीय पहचान दी है। यह राज्य आज भी भारत की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक धुरी बना हुआ है।



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