Uttar Pradesh Mela Fair

 

उत्तर प्रदेश के मेलों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। ये मेले न केवल धार्मिक होते हैं, बल्कि समाजिक और सांस्कृतिक समागम के भी महत्वपूर्ण अवसर होते हैं। यहाँ पर हर वर्ष बड़े धूमधाम से मेलों का आयोजन होता है, जो राज्य की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करते हैं।

1. कुंभ मेला (Kumbh Mela)

  • स्थान: प्रयागराज (इलाहाबाद)

  • महत्व: कुंभ मेला हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा मेला है। यह मेला हर 12 साल में प्रयागराज में आयोजित होता है और लाखों श्रद्धालु यहां स्नान करने के लिए आते हैं। यह मेला स्नान, पूजा और धार्मिक समागम के लिए प्रसिद्ध है।

  • उत्सव: श्रद्धालु गंगा, यमुना और संगम के संगम स्थल पर स्नान करते हैं, जिससे उनके पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

2. मथुरा और वृंदावन में होली (Mathura and Vrindavan Holi)

  • स्थान: मथुरा, वृंदावन

  • महत्व: मथुरा और वृंदावन में होली एक विशेष प्रकार से मनाई जाती है, जिसे लठमार होली कहा जाता है। यह त्यौहार राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक रूप में मनाया जाता है।

  • उत्सव: यहां के लोग रंगों के साथ एक-दूसरे पर गुलाल लगाते हैं और सांस्कृतिक नृत्य व संगीत का आयोजन करते हैं। विशेष रूप से वृंदावन में होली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

3. रामनवमी मेला (Ram Navami Mela)

  • स्थान: अयोध्या

  • महत्व: रामनवमी अयोध्या में भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस अवसर पर राम का जन्म मनाने के लिए अयोध्या में विशाल मेला लगता है।

  • उत्सव: यहां लोग रामायण के पाठ, रामलीला का मंचन करते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा आयोजित होती है।

4. गंगा महोत्सव (Ganga Mahotsav)

  • स्थान: वाराणसी

  • महत्व: गंगा महोत्सव काशी (वाराणसी) में गंगा नदी के महत्व और संस्कृति को मनाने के लिए आयोजित किया जाता है।

  • उत्सव: इस महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, धार्मिक पूजा और गंगा आरती का आयोजन होता है। लोग गंगा के तट पर आकर श्रद्धा और आस्था से पानी में दीप छोड़ते हैं।

5. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami)

  • स्थान: वृंदावन, मथुरा

  • महत्व: कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। यह विशेष रूप से वृंदावन और मथुरा में मनाई जाती है, जो कृष्ण की जन्मभूमि मानी जाती है।

  • उत्सव: इस दिन मंदिरों में भजन-कीर्तन, रासलीला का आयोजन किया जाता है और श्रद्धालु कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

6. चंद्रोदयन मेला (Chandrodhayna Mela)

  • स्थान: संतकबीरनगर

  • महत्व: यह मेला संत कबीर के सम्मान में आयोजित किया जाता है, जो एक प्रसिद्ध संत और कवि थे। यह मेला हर वर्ष संत कबीर की जयंती के मौके पर आयोजित होता है।

  • उत्सव: इस मेले में संत कबीर की कविताओं का पाठ और उनकी शिक्षाओं पर चर्चा होती है। यहाँ दूर-दूर से लोग संत कबीर की काव्य-धारा और उपदेशों का अनुसरण करने के लिए आते हैं।

7. संगम मेला (Sangam Mela)

  • स्थान: प्रयागराज (इलाहाबाद)

  • महत्व: यह मेला कुंभ मेला का एक हिस्सा है, जिसे संगम पर आयोजित किया जाता है। कुंभ मेला के दौरान संगम तट पर लाखों श्रद्धालु आते हैं।

  • उत्सव: संगम मेला का मुख्य आकर्षण स्नान होता है, जिसे पुण्य की प्राप्ति के लिए माना जाता है। मेला के दौरान धर्म, सांस्कृतिक कार्यक्रम और साधु-संतों के प्रवचन होते हैं।

8. कौशांबी मेला (Kaushambi Mela)

  • स्थान: कौशांबी

  • महत्व: यह मेला विशेष रूप से कौशांबी जिले में आयोजित होता है। यह मेला ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

  • उत्सव: यहां लोग मेला क्षेत्र में आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों, सांस्कृतिक नृत्यों और संगीत समारोहों में भाग लेते हैं।

9. पंखा मेला (Pankha Mela)

  • स्थान: बरेली

  • महत्व: यह मेला बरेली में हर साल नवरात्रि के समय आयोजित होता है, जिसमें विशेष रूप से घरों में हवा करने के पंखे सजाने की परंपरा है।

  • उत्सव: पंखा मेला में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, और लोग नवरात्रि की पूजा करते हैं।

10. सरस्वती पूजा मेला (Saraswati Puja Mela)

  • स्थान: लखनऊ, इलाहाबाद, और अन्य प्रमुख शहरों

  • महत्व: सरस्वती पूजा विद्या और कला की देवी की पूजा का मेला है। यह मेला खासकर विद्यार्थियों और शैक्षिक संस्थाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

  • उत्सव: इस दिन लोग अपने किताबों और पंस्तकों की पूजा करते हैं और सरस्वती देवी की पूजा अर्चना करते हैं।

11. गंगा दशहरा मेला (Ganga Dussehra Mela)

  • स्थान: वाराणसी और इलाहाबाद

  • महत्व: यह मेला गंगा नदी के दशहरा के दौरान आयोजित होता है, जब गंगा का पूजन और जल तर्पण किया जाता है।

  • उत्सव: इस मेले में गंगा के किनारे पूजा अर्चना, स्नान, और गंगा आरती होती है। यह मेले गंगा की पवित्रता को मनाने के लिए होते हैं।

निष्कर्ष:

उत्तर प्रदेश में आयोजित होने वाले ये मेले न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक विरासत और विविधता को भी प्रदर्शित करते हैं। इन मेलों में हजारों श्रद्धालु और पर्यटक भाग लेते हैं, जो इस क्षेत्र की परंपराओं और संस्कृति को और मजबूत बनाते हैं।

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