Uttar Pradesh Tribe Janjaati

 

उत्तर प्रदेश में विभिन्न प्रकार की जनजातियाँ पाई जाती हैं, जो अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक, पारंपरिक और सामाजिक जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध हैं। ये जनजातियाँ राज्य के विभिन्न हिस्सों में बसी हुई हैं और अपनी अद्वितीयता बनाए रखते हुए समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नीचे उत्तर प्रदेश की प्रमुख जनजातियों की सूची और उनके बारे में संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

1. संताल (Santal)

  • स्थान: संताल जनजाति मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों जैसे झांसी, कानपुर और ललितपुर जिलों में पाई जाती है।

  • संस्कृति और भाषा: संताल अपनी अनूठी संस्कृति, नृत्य और संगीत के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी भाषा संताली है, जो आदिवासी भाषाओं के अंतर्गत आती है।

  • रिवाज और परंपराएँ: संतालों की पारंपरिक जीवनशैली कृषि पर निर्भर है। वे जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं और खेती, मछली पकड़ने, और शिकार करने की पारंपरिक गतिविधियाँ करते हैं।

2. गोंड (Gond)

  • स्थान: गोंड जनजाति उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, ललितपुर और झांसी जिलों में बसी हुई है।

  • संस्कृति और भाषा: गोंड अपनी पारंपरिक कला, शिल्प, और नृत्य के लिए प्रसिद्ध हैं। गोंडों की गोंडी भाषा है। उनका पारंपरिक नृत्य और संगीत विशेष रूप से उनका सांस्कृतिक धरोहर है।

  • रिवाज और परंपराएँ: गोंड जनजाति में शिकार, जंगलों से लकड़ी इकट्ठा करने, और खेती करना उनकी मुख्य आजीविका है।

3. कोल (Kol)

  • स्थान: कोल जनजाति उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर, चित्रकूट और कानपुर में पाई जाती है।

  • संस्कृति और भाषा: कोल जनजाति की अपनी विशेष भाषा होती है, जिसे कोली कहा जाता है। वे कृषि और हस्तशिल्प में पारंगत होते हैं।

  • रिवाज और परंपराएँ: कोल जनजाति के लोग अक्सर अपने घरों के पास कृषि कार्य करते हैं और जंगलों से लकड़ी, फल, और औषधियां इकट्ठा करते हैं।

4. भील (Bhil)

  • स्थान: भील जनजाति मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर, मऊ, और गाजीपुर में पाई जाती है।

  • संस्कृति और भाषा: भील जनजाति की अपनी एक विशिष्ट भाषा होती है, जिसे भिली कहा जाता है। वे अपनी पारंपरिक कला, संगीत और नृत्य के लिए प्रसिद्ध हैं।

  • रिवाज और परंपराएँ: भील जनजाति के लोग जंगलों में शिकार और कृषि के कार्य करते हैं। वे आदिवासी जीवनशैली को बनाए रखते हुए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं।

5. कुर्मी (Kurmi)

  • स्थान: कुर्मी जनजाति मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में बसी हुई है।

  • संस्कृति और भाषा: कुर्मी लोग मुख्य रूप से हिंदी बोलते हैं, और ये समाज में बहुत सम्मानित माने जाते हैं। वे अपने कृषि कौशल और संस्कृति के लिए जाने जाते हैं।

  • रिवाज और परंपराएँ: कुर्मी लोग मुख्य रूप से कृषि कार्य में संलग्न होते हैं और गांवों में रहते हैं। ये जनजातियाँ खेती के लिए पानी और भूमि के बेहतर उपयोग की जानकार होती हैं।

6. सहिया (Sahariya)

  • स्थान: सहिया जनजाति उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर, और आगरा क्षेत्रों में पाई जाती है।

  • संस्कृति और भाषा: सहिया जनजाति की अपनी भाषा सहिया है। यह जनजाति मुख्य रूप से जंगलों में निवास करती है और उनके जीवन का आधार जंगलों से प्राप्त संसाधन हैं।

  • रिवाज और परंपराएँ: सहिया लोग अक्सर शिकार, मछली पकड़ने और जंगलों से लकड़ी इकट्ठा करने का कार्य करते हैं। वे अपनी पारंपरिक वेशभूषा और आस्थाओं में रहते हैं।

7. कुम्हार (Kumhar)

  • स्थान: कुम्हार जनजाति उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पाई जाती है, विशेषकर कासगंज, अलीगढ़, और गोरखपुर

  • संस्कृति और भाषा: कुम्हार जाति के लोग मुख्य रूप से हिंदी और अन्य स्थानीय भाषाओं का उपयोग करते हैं। यह समुदाय मुख्य रूप से मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करता है और इसे अपनी पारंपरिक कला के रूप में विकसित किया है।

  • रिवाज और परंपराएँ: कुम्हार लोग बर्तन बनाने के अलावा कृषि और पशुपालन में भी संलग्न रहते हैं। इनकी समाज में एक अहम भूमिका है और इनका योगदान कला और शिल्प क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।

8. वनवासी (Vanvasi)

  • स्थान: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड और मध्यवर्ती क्षेत्रों में वनवासी जनजाति पाई जाती है।

  • संस्कृति और भाषा: वनवासी लोग अपनी आदिवासी भाषा बोलते हैं और प्रकृति से गहरे संबंध रखते हैं। उनकी जीवनशैली पूरी तरह से जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होती है।

  • रिवाज और परंपराएँ: वनवासी लोग मुख्य रूप से शिकार, मछली पकड़ने और कृषि कार्यों में संलग्न होते हैं। वे जंगलों से लकड़ी, फल, औषधियां इकट्ठा करके जीवनयापन करते हैं।

9. जाटव (Jatav)

  • स्थान: जाटव जनजाति उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, कानपुर, और मेरठ जिलों में पाई जाती है।

  • संस्कृति और भाषा: जाटव लोग मुख्य रूप से हिंदी बोलते हैं। यह समुदाय मुख्य रूप से मूर्तिकला और बर्तन बनाने का काम करता है।

  • रिवाज और परंपराएँ: जाटव लोग पारंपरिक शिल्पकला में निपुण होते हैं, और इनके द्वारा बनाए गए बर्तन और मूर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध होती हैं।

निष्कर्ष:

उत्तर प्रदेश में विभिन्न जनजातियाँ पाई जाती हैं, जिनका समाज और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान है। ये जनजातियाँ अपनी विविधता, परंपराएँ और आदिवासी जीवनशैली के कारण राज्य की सामाजिक संरचना का अहम हिस्सा हैं। इनकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक कला, और पारिस्थितिकी प्रणालियों का संरक्षण महत्वपूर्ण है।

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