भारत में जल परिवहन
भारत का जल परिवहन (Water Transport in India) देश की प्राचीनतम परिवहन प्रणाली है। प्राचीन काल से ही नदियाँ, समुद्र और जलमार्ग व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और संपर्क का प्रमुख साधन रहे हैं। आज भी यह व्यवस्था भारत की आर्थिक प्रगति, व्यापारिक गतिविधियों और पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
जल परिवहन का महत्व
- सबसे सस्ता परिवहन साधन – सड़क और रेल की तुलना में कम खर्चीला।
- पर्यावरण अनुकूल – कम प्रदूषण और ऊर्जा की बचत।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार – लगभग 95% विदेशी व्यापार (वजन के अनुसार) समुद्री मार्ग से होता है।
- भारी और थोक माल के लिए उपयुक्त – जैसे कोयला, पेट्रोलियम, लोहा, स्टील, खाद्यान्न आदि।
भारत में जल परिवहन के प्रकार
1. अंतर्देशीय जल परिवहन (Inland Water Transport)
- नदियाँ, नहरें, झीलें और बैकवॉटर।
- कुल लंबाई: लगभग 14,500 किमी जलमार्ग, जिनमें से 5,200 किमी नौगम्य नदियाँ और 4,000 किमी नौगम्य नहरें।
- राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के अनुसार भारत में 111 राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways) घोषित किए गए हैं।
मुख्य राष्ट्रीय जलमार्ग
| राष्ट्रीय जलमार्ग | मार्ग | लंबाई (किमी) | राज्य |
|---|---|---|---|
| NW-1 | इलाहाबाद (प्रयागराज) – हल्दिया (गंगा नदी) | 1620 | उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल |
| NW-2 | सदिया – धुबरी (ब्रह्मपुत्र नदी) | 891 | असम |
| NW-3 | कोल्लम – कोट्टपुरम (केरल बैकवॉटर) | 205 | केरल |
| NW-4 | कृष्णा-गोदावरी डेल्टा | 1078 | आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु |
| NW-5 | ब्राह्मणी और महानदी डेल्टा | 588 | ओडिशा, पश्चिम बंगाल |
2. समुद्री जल परिवहन (Sea Transport)
भारत का समुद्रतट लगभग 7,516 किमी लंबा है जिसमें 13 प्रमुख बंदरगाह और 200+ लघु/मध्यम बंदरगाह हैं।
प्रमुख बंदरगाह
| बंदरगाह का नाम | राज्य | विशेषता |
|---|---|---|
| मुंबई | महाराष्ट्र | भारत का सबसे बड़ा प्राकृतिक बंदरगाह |
| जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (Nhava Sheva) | महाराष्ट्र | कंटेनर यातायात का सबसे बड़ा केंद्र |
| कांडला (देendayal Port) | गुजरात | खाड़ी देशों से व्यापार का केंद्र |
| मर्मगांव | गोवा | लौह अयस्क निर्यात |
| कोचीन | केरल | मसाले और समुद्री उत्पाद निर्यात |
| चेन्नई | तमिलनाडु | औद्योगिक और कंटेनर यातायात |
| विशाखापट्टनम | आंध्र प्रदेश | लौह और इस्पात उद्योग के लिए प्रमुख |
| कोलकाता और हल्दिया | पश्चिम बंगाल | पूर्वी भारत का व्यापारिक प्रवेशद्वार |
| पारादीप | ओडिशा | खनिज निर्यात |
| तुतिकोरिन (VOC पोर्ट) | तमिलनाडु | कोयला और उर्वरक आयात |
| एन्नोर (Kamarajar Port) | तमिलनाडु | ऊर्जा उत्पादों का परिवहन |
जल परिवहन में आधुनिक विकास
- सागरमाला परियोजना – बंदरगाहों और समुद्री अवसंरचना का आधुनिकीकरण।
- जलमार्ग विकास परियोजना (Jal Marg Vikas Project) – गंगा नदी पर बड़े जलमार्ग का निर्माण।
- रो-रो फेरी सेवा – गुजरात और अन्य राज्यों में माल और यात्रियों के लिए।
- क्रूज़ पर्यटन – गोवा, कोचीन, मुंबई और अंडमान-निकोबार में क्रूज़ सेवाएँ।
- डिजिटल पोर्ट मैनेजमेंट – बंदरगाहों में स्मार्ट तकनीक का उपयोग।
जल परिवहन से जुड़ी चुनौतियाँ
- नदियों में जल की कमी और गाद जमना।
- आधुनिक जहाजरानी सुविधाओं की कमी।
- मौसमी निर्भरता (बाढ़ और सूखे का प्रभाव)।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और उच्च तकनीक का अभाव।
निष्कर्ष
भारत में जल परिवहन देश की आर्थिक प्रगति और व्यापारिक गतिविधियों का आधार है। अंतर्देशीय जलमार्ग और समुद्री परिवहन दोनों ही कम लागत, ऊर्जा की बचत और पर्यावरणीय दृष्टि से लाभकारी हैं। सागरमाला और राष्ट्रीय जलमार्ग परियोजनाओं के कारण भविष्य में भारत का जल परिवहन और अधिक आधुनिक, सुरक्षित और विश्वस्तरीय बनेगा।
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