माउंटबेटन योजना

📝 माउंटबेटन योजना(Mountbatten Yojana)

माउंटबेटन योजना



📊 आउटलाइन टेबल

क्रमांक शीर्षक विवरण
1 परिचय माउंटबेटन योजना का ऐतिहासिक संदर्भ
2 पृष्ठभूमि विभाजन की ओर बढ़ते हालात
3 योजना की घोषणा 3 जून 1947 का ऐतिहासिक प्रसंग
4 योजना के मुख्य बिंदु विभाजन, सीमा आयोग, सत्ता हस्तांतरण
5 कांग्रेस का दृष्टिकोण विभाजन पर प्रतिक्रिया
6 मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया पाकिस्तान की स्थापना का मार्ग
7 सीमा आयोग की भूमिका पंजाब और बंगाल का विभाजन
8 योजना के परिणाम भारत और पाकिस्तान का गठन
9 स्वतंत्रता अधिनियम 1947 कानूनी आधार
10 ऐतिहासिक महत्व भारतीय इतिहास में माउंटबेटन योजना की भूमिका
11 आलोचना और सीमाएँ योजना की कमज़ोरियाँ
12 निष्कर्ष सारांश और विरासत
13 FAQs सामान्य प्रश्नोत्तर

    1. परिचय

    माउंटबेटन योजना 3 जून 1947 को भारत के आखिरी ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा प्रस्तुत की गई। यह योजना भारत की स्वतंत्रता प्रक्रिया का अंतिम और निर्णायक चरण साबित हुई। इसका उद्देश्य सत्ता हस्तांतरण की स्पष्ट रूपरेखा और हिंदू-मुस्लिम विवाद का समाधान था।

    मुख्य बिंदु:

    • भारत के अंतिम वायसराय: लॉर्ड माउंटबेटन
    • 3 जून 1947 को योजना की घोषणा
    • विभाजन को आधिकारिक स्वीकृति


    2. पृष्ठभूमि

    द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत में स्वतंत्रता की मांग तेज हो गई थी। 1946 की कैबिनेट मिशन योजना असफल हो चुकी थी। सांप्रदायिक दंगे, डायरेक्ट एक्शन डे, और पंजाब-बंगाल की स्थिति ने ब्रिटेन को सत्ता हस्तांतरण में जल्दी करने पर मजबूर किया।

    मुख्य बिंदु:

    • कैबिनेट मिशन की विफलता
    • सांप्रदायिक हिंसा का बढ़ना
    • पाकिस्तान की मांग का जोर


    3. योजना की घोषणा

    3 जून 1947 को रेडियो प्रसारण के माध्यम से लॉर्ड माउंटबेटन ने योजना की घोषणा की। इसमें भारत को दो स्वतंत्र देशों — भारत और पाकिस्तान — में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा गया। इस घोषणा को ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली और भारतीय नेताओं ने स्वीकार किया।

    मुख्य बिंदु:

    • 3 जून 1947 को सार्वजनिक घोषणा
    • विभाजन का औपचारिक प्रस्ताव
    • सभी प्रमुख नेताओं की प्रतिक्रिया


    4. योजना के मुख्य बिंदु

    माउंटबेटन योजना में सत्ता हस्तांतरण, सीमांकन, और स्वतंत्रता की तारीख तय की गई।

    मुख्य बिंदु:

    • भारत और पाकिस्तान में विभाजन
    • सीमा आयोग का गठन
    • 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता
    • रियासतों को भारत या पाकिस्तान में विलय का विकल्प


    5. कांग्रेस का दृष्टिकोण

    कांग्रेस ने अनिच्छा से विभाजन को स्वीकार किया, यह मानते हुए कि इससे आगे के रक्तपात को रोका जा सकेगा। हालांकि गांधीजी विभाजन के विरोध में थे।

    मुख्य बिंदु:

    • विभाजन को मजबूरी में स्वीकारना
    • गांधीजी का कड़ा विरोध
    • नेहरू और पटेल की व्यावहारिक सोच


    6. मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया

    मुस्लिम लीग ने माउंटबेटन योजना का स्वागत किया क्योंकि इससे पाकिस्तान की स्थापना का रास्ता साफ हो गया। मोहम्मद अली जिन्ना ने इसे “मुसलमानों की जीत” कहा।

    मुख्य बिंदु:

    • पाकिस्तान की स्थापना की मंजूरी
    • जिन्ना की संतुष्टि
    • मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर जोर


    7. सीमा आयोग की भूमिका

    सीमा आयोग की अध्यक्षता रेडक्लिफ ने की, जिसका कार्य पंजाब और बंगाल की नई सीमाएं तय करना था। जल्दबाजी और गुप्त तरीके से हुई सीमांकन प्रक्रिया ने भारी विवाद और विस्थापन को जन्म दिया।

    मुख्य बिंदु:

    • रेडक्लिफ आयोग का गठन
    • पंजाब और बंगाल का विभाजन
    • लाखों लोगों का विस्थापन


    8. योजना के परिणाम

    माउंटबेटन योजना का सीधा परिणाम भारत और पाकिस्तान का गठन था। विभाजन के साथ ही बड़े पैमाने पर दंगे, विस्थापन और जनहानि हुई।

    मुख्य बिंदु:

    • 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता
    • दो राष्ट्रों का जन्म
    • सांप्रदायिक हिंसा


    9. स्वतंत्रता अधिनियम 1947

    ब्रिटिश संसद ने माउंटबेटन योजना के आधार पर भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 पारित किया। इससे भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र बने।

    मुख्य बिंदु:

    • कानूनी आधार प्रदान करना
    • 15 अगस्त को सत्ता हस्तांतरण
    • ब्रिटिश शासन का अंत


    10. ऐतिहासिक महत्व

    माउंटबेटन योजना भारतीय इतिहास में निर्णायक मोड़ थी। इसने स्वतंत्रता दिलाई, लेकिन विभाजन की पीड़ा भी दी।

    मुख्य बिंदु:

    • स्वतंत्रता का मार्ग
    • विभाजन का दर्द
    • नए युग की शुरुआत


    11. आलोचना और सीमाएँ

    जल्दबाजी में तैयार की गई योजना ने विस्थापन और हिंसा को बढ़ावा दिया। सीमांकन की अस्पष्टता और समय की कमी इसकी सबसे बड़ी कमजोरी रही।

    मुख्य बिंदु:

    • हिंसा की रोकथाम में विफल
    • सीमाओं पर विवाद
    • मानवीय संकट


    12. निष्कर्ष

    माउंटबेटन योजना भारत की स्वतंत्रता की राह में अंतिम कदम थी। यह स्वतंत्रता और विभाजन दोनों की कहानी कहती है।


    13. FAQs

    माउंटबेटन योजना कब घोषित हुई?

    3 जून 1947 को।

    इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?

    सत्ता हस्तांतरण और विभाजन की रूपरेखा तय करना।

    सीमा आयोग का अध्यक्ष कौन था?

    सर रेडक्लिफ।

    कांग्रेस ने विभाजन क्यों स्वीकार किया?

    आगे के रक्तपात को रोकने के लिए।

    मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया क्या थी?

    योजना का स्वागत किया गया।

    स्वतंत्रता अधिनियम कब पारित हुआ?

    जुलाई 1947 में।

    इस योजना के परिणाम क्या थे?

    भारत और पाकिस्तान का गठन, हिंसा और विस्थापन।

    गांधीजी का रुख क्या था?

    विभाजन का विरोध।

    इस योजना की सबसे बड़ी कमजोरी क्या थी?

    जल्दबाजी और सीमांकन की अस्पष्टता।

    ऐतिहासिक महत्व क्या है?

    स्वतंत्रता दिलाने वाली अंतिम योजना।

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