होमरूल आंदोलन

📝 होमरूल आंदोलन 1916-1918

होमरूल आंदोलन
होमरूल आंदोलन

होमरूल आंदोलन 1916-1918 का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अभियान था, जिसका नेतृत्व एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने किया। इसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर भारत को स्वशासन दिलाना और जनता में राष्ट्रीय चेतना फैलाना था।


📊 आउटलाइन टेबल

क्रमांक शीर्षक विवरण
1 परिचय होमरूल आंदोलन का संक्षिप्त परिचय
2 पृष्ठभूमि आंदोलन से पहले की परिस्थितियाँ
3 नाम और अर्थ "होमरूल" का अर्थ
4 प्रमुख नेता आंदोलन के मुख्य नेतृत्वकर्ता
5 एनी बेसेंट की भूमिका महिला नेतृत्व का योगदान
6 बाल गंगाधर तिलक की भूमिका राष्ट्रवाद और स्वशासन की मांग
7 होमरूल लीग की स्थापना दो अलग लीग का गठन
8 उद्देश्यों आंदोलन के प्रमुख लक्ष्य
9 गतिविधियाँ और प्रचार जनता को जोड़ने के तरीके
10 ब्रिटिश प्रतिक्रिया सरकार का रुख
11 आंदोलन का प्रभाव समाज और राजनीति पर असर
12 आंदोलन का पतन किन कारणों से समाप्त हुआ
13 आलोचनाएँ आंदोलन की सीमाएँ
14 स्वतंत्रता संग्राम में योगदान आगे की लड़ाई में इसकी भूमिका
15 निष्कर्ष सारांश और महत्व
16 FAQs सामान्य प्रश्नोत्तर

    1. परिचय

    होमरूल आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ था। यह आंदोलन 1916 में शुरू हुआ और 1918 तक चला। इसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर भारत को स्वशासन (Home Rule) दिलाना था। एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक इसके प्रमुख नेता थे।

    मुख्य बिंदु:

    • 1916-1918 का अभियान
    • स्वशासन की मांग
    • राष्ट्रीय जागरूकता का प्रसार


    2. पृष्ठभूमि

    प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान भारत से भारी आर्थिक और मानव संसाधन लिया गया। ब्रिटिश सरकार ने युद्ध में मदद के बदले सुधारों का आश्वासन दिया, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए। इस निराशा ने होमरूल आंदोलन को जन्म दिया।

    मुख्य बिंदु:

    • प्रथम विश्व युद्ध का समय
    • ब्रिटिश वादाखिलाफी
    • राष्ट्रीय असंतोष का माहौल


    3. नाम और अर्थ

    "होमरूल" शब्द का अर्थ है अपने घर में शासन करना। यह विचार आयरलैंड के होमरूल आंदोलन से प्रेरित था, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर स्वशासन की मांग की थी।

    मुख्य बिंदु:

    • "होमरूल" = घर में शासन
    • आयरलैंड आंदोलन से प्रेरणा
    • भारतीय संदर्भ में स्वशासन


    4. प्रमुख नेता

    होमरूल आंदोलन के दो बड़े नेता थे — एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक। दोनों ने अलग-अलग क्षेत्रों में लीग की स्थापना की और आंदोलन को फैलाया।

    मुख्य बिंदु:

    • एनी बेसेंट (दक्षिण भारत में प्रभाव)
    • तिलक (महाराष्ट्र और मध्य भारत में प्रभाव)
    • अन्य समर्थक: मोहम्मद अली जिन्ना, बी.पी. वाडिया


    5. एनी बेसेंट की भूमिका

    एनी बेसेंट एक आयरिश मूल की महिला थीं, जिन्होंने भारत आकर शिक्षा और राजनीति में योगदान दिया। उन्होंने होमरूल लीग की स्थापना की और अख़बारों के माध्यम से आंदोलन को प्रचारित किया।

    मुख्य बिंदु:

    • महिला नेतृत्व का प्रतीक
    • शिक्षा और प्रेस का उपयोग
    • ब्रिटिश सरकार से सीधा टकराव


    6. बाल गंगाधर तिलक की भूमिका

    तिलक ने पुणे में अपनी लीग बनाई और "स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है" का नारा दिया। उन्होंने युवाओं और किसानों को आंदोलन में जोड़ा।

    मुख्य बिंदु:

    • राष्ट्रवादी विचारधारा
    • जनसंपर्क और भाषण
    • स्वराज्य का प्रबल समर्थन


    7. होमरूल लीग की स्थापना

    1916 में दो लीग बनीं — एक तिलक द्वारा और दूसरी एनी बेसेंट द्वारा। तिलक की लीग महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बर्मा में सक्रिय थी, जबकि बेसेंट की लीग दक्षिण भारत में केंद्रित थी।

    मुख्य बिंदु:

    • दो अलग-अलग लीग
    • क्षेत्रीय फोकस
    • जनसंपर्क अभियान


    8. उद्देश्यों

    आंदोलन का उद्देश्य स्वशासन, नागरिक अधिकारों की रक्षा और जनता में राजनीतिक चेतना जगाना था।

    मुख्य बिंदु:

    • स्वशासन की मांग
    • जनता को संगठित करना
    • ब्रिटिश नीति पर दबाव डालना


    9. गतिविधियाँ और प्रचार

    सभा, भाषण, अख़बार, पर्चे और जनसभा के माध्यम से आंदोलन चलाया गया।

    मुख्य बिंदु:

    • जनसभाएँ
    • अख़बारों का प्रकाशन
    • युवाओं की भागीदारी


    10. ब्रिटिश प्रतिक्रिया

    सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए नेताओं को गिरफ्तार किया और प्रेस पर सेंसरशिप लगाई।

    मुख्य बिंदु:

    • एनी बेसेंट की गिरफ्तारी
    • भाषणों पर प्रतिबंध
    • पुलिस दमन


    11. आंदोलन का प्रभाव

    आंदोलन ने स्वराज्य की मांग को जन-जन तक पहुंचा दिया और कांग्रेस में उग्र राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।

    मुख्य बिंदु:

    • राष्ट्रीय जागरूकता में वृद्धि
    • कांग्रेस में गरम दल का प्रभाव
    • स्वतंत्रता संग्राम में नई ऊर्जा


    12. आंदोलन का पतन

    1918 में मॉन्टेग-चेम्सफोर्ड सुधार आने के बाद आंदोलन धीमा पड़ गया। एनी बेसेंट और तिलक के बीच मतभेद भी इसके पतन का कारण बने।

    मुख्य बिंदु:

    • सुधारों से आंदोलन कमजोर
    • नेतृत्व में मतभेद
    • जनता का ध्यान अन्य मुद्दों पर


    13. आलोचनाएँ

    आंदोलन को केवल शिक्षित वर्ग तक सीमित रहने और ग्रामीण क्षेत्रों में कम प्रभावी होने के लिए आलोचना मिली।

    मुख्य बिंदु:

    • सीमित जनाधार
    • ग्रामीण भागीदारी की कमी
    • आंतरिक मतभेद


    14. स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

    होमरूल आंदोलन ने आगे के असहयोग आंदोलन और स्वराज्य की मांग की नींव रखी।

    मुख्य बिंदु:

    • गांधी आंदोलन की पृष्ठभूमि
    • स्वराज्य की लोकप्रियता
    • राजनीतिक संगठन का अनुभव


    15. निष्कर्ष

    होमरूल आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय था जिसने स्वशासन के विचार को पूरे देश में फैलाया।


    16. FAQs

    होमरूल आंदोलन कब शुरू हुआ?

    1916 में।

    इसके प्रमुख नेता कौन थे?

    एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक।

    इसका उद्देश्य क्या था?

    ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर भारत को स्वशासन दिलाना।

    आंदोलन कितने समय तक चला?

    लगभग 2 साल (1916-1918)।

    एनी बेसेंट की क्या भूमिका थी?

    दक्षिण भारत में आंदोलन को फैलाना और अख़बारों से प्रचार करना।

    तिलक का नारा क्या था?

    "स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।"

    ब्रिटिश सरकार ने क्या कदम उठाए?

    नेताओं की गिरफ्तारी, प्रेस सेंसरशिप, भाषणों पर प्रतिबंध।

    आंदोलन का पतन क्यों हुआ?

    सुधारों का आगमन और नेताओं के मतभेद।

    इस आंदोलन से क्या फायदा हुआ?

    राष्ट्रीय चेतना में वृद्धि और भविष्य के आंदोलनों की नींव।

    क्या यह आंदोलन सफल था?

    आंशिक रूप से — उद्देश्य पूरी तरह नहीं मिला, लेकिन जनजागरण हुआ।


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