निसार सेटेलाईट 2025
NISAR Satellite 2025
पृथ्वी निगरानी का भविष्य बदलने वाला मिशन
NISAR Satellite क्या है?
NISAR (NASA–ISRO Synthetic Aperture Radar) दुनिया का पहला डुअल-फ्रीक्वेंसी रडार सैटेलाइट है, जिसे संयुक्त रूप से भारत की ISRO और अमेरिका की NASA ने विकसित किया। यह पृथ्वी की सतह को बेहद उच्च-रिज़ॉल्यूशन में स्कैन करता है, वो भी दिन-रात, हर मौसम में, बादलों के बीच से भी।
इसका काम है—धरती में होने वाले सूक्ष्म बदलावों को पकड़ना—जैसे:
- हिमनद पिघलना
- जंगलों में बदलाव
- भूमि धंसना
- भूकंप या ज्वालामुखी से पहले की गतिविधियाँ
- कृषि पैटर्न
- जलवायु बदलाव
इसलिए NISAR को “Earth’s Guardian Eye” भी कहा जाता है।
NISAR 2025 क्यों इतना महत्वपूर्ण है?
यह मिशन मौसम विज्ञान, भूविज्ञान, पर्यावरण, कृषि, आपदा प्रबंधन और जलवायु अनुसंधान का सबसे सक्षम वैज्ञानिक उपकरण बनने जा रहा है।
इसकी खासियतें:
- हर 12 दिन में पृथ्वी का पूरा स्कैन
- 1 सेंटीमीटर तक की सतह के परिवर्तन का पता
- दो अलग रडार–L Band (NASA) और S Band (ISRO)
- ग्लेशियर, समुद्र, जंगल, भूमि—सबका रियल-टाइम डेटा
NISAR जैसा सैटेलाइट आज तक दुनिया में कभी नहीं बना।
मिशन की तकनीकी विशेषताएँ
L-Band और S-Band रडार तकनीक
- L-Band गहराई में प्रवेश कर जमीन के भीतर तक बदलाव पकड़ता है।
- S-Band सतह की बारीकियों को उच्च-रिज़ॉल्यूशन में कैप्चर करता है।
दोनों मिलकर धरती का त्रि-आयामी (3D) डेटा देते हैं—यह यूनिक क्षमता है।
12-मीटर गोल्ड एंटेना
NISAR का 12-मीटर गोल्ड-कोटेड एंटेना बेहद हल्का लेकिन अत्यंत शक्तिशाली है। यह विशाल रडार बीम बनाता है, जिससे बड़ी सतहों का स्कैन तुरंत संभव होता है।
कक्षा और संचालन
-
NISAR सूर्य-सिंक्रोनस कक्षा में घूमता है।
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ऊँचाई: लगभग 747 किमी
-
हर 12 दिन में पृथ्वी को एक बार पूरा स्कैन करता है।
NISAR के प्रमुख उद्देश्य
1. आपदा प्रबंधन
- भूकंप से पहले जमीन में बदलाव
- भूस्खलन का खतरा
- नदी के रुख में बदलाव
- बाढ़ संभावनाएँ
NISAR वैज्ञानिकों को पहले से चेतावनी दे सकता है।
2. जलवायु परिवर्तन शोध
यह ग्लेशियर पिघलने, समुद्री स्तर में वृद्धि, जंगलों के क्षरण और आइस-शीट की मोटाई में कमी जैसे संकेतों का सबसे विश्वसनीय डेटा देगा।
3. कृषि और भूमि उपयोग
- फसल की सेहत
- मिट्टी की नमी
- भूमिगत परिवर्तन
- खेतों का विस्तार या क्षरण
भारतीय किसानों को इससे बड़ा फायदा होगा।
4. हिमनद और बर्फ मॉनिटरिंग
हिमालय—दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है।
NISAR ग्लेशियर टूटने, पिघलने और बर्फ खिसकने के सटीक डेटा देगा।
भारत के लिए NISAR क्यों गेम-चेंजर है?
- आपदा प्रबंधन मजबूत होगा
- कृषि उत्पादकता बढ़ेगी
- जलवायु नीति डेटा-आधारित होगी
- पर्यावरण संरक्षण आसान होगा
- वैज्ञानिक अनुसंधान में भारत अग्रणी बनेगा
ISRO और NASA की जॉइंट तकनीक भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में नई पहचान दिलाएगी।
NASA–ISRO सहयोग का इतिहास
NASA और ISRO कई दशकों से साथ काम कर रहे हैं, लेकिन NISAR सबसे उन्नत और बड़ा सहयोग है।
यह पहला मिशन है जहाँ दोनों एजेंसियों ने हार्डवेयर, तकनीक, रडार सिस्टम और लॉन्च—सबमें भागीदारी निभाई।
NISAR 2025 लॉन्च कब और कैसे हुआ?
NISAR को
📍 श्रीहरिकोटा (भारत) से
📍 GSLV-F16 रॉकेट द्वारा
📅 30 जुलाई 2025 में लॉन्च किया गया।
यह दुनिया का सबसे महंगा Earth-Observation मिशन है—लगभग $1.3–1.5 बिलियन डॉलर।
NISAR के लाभ – सरकार, वैज्ञानिक और आम जनता के लिए
सरकार के लिए
- बाढ़, भूकंप, तूफ़ानों की अग्रिम चेतावनी
- नदियों और जलस्रोतों का प्रबंधन
- पर्यावरण संरक्षण नीति
वैज्ञानिकों के लिए
- तीन-आयामी पृथ्वी अध्ययन
- जलवायु डेटा की सटीकता
- शोध में नए आयाम
आम जनता के लिए
- सुरक्षित जीवन
- बेहतर कृषि
- कम आपदाएँ
- जलवायु जागरूकता
FAQs
1. NISAR किसके द्वारा बनाया गया है?
NASA और ISRO ने मिलकर इसे विकसित किया है।
2. यह सैटेलाइट किस काम आता है?
पृथ्वी की सतह, जलवायु, बर्फ, जंगल और आपदा-स्थितियों का उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा देता है।
3. NISAR कब लॉन्च हुआ?
30 जुलाई 2025 को श्रीहरिकोटा से।
4. इसमें किस प्रकार के रडार लगे हैं?
L-Band (NASA) और S-Band (ISRO)—दुनिया में पहली बार एक साथ।
5. क्या NISAR का डेटा सार्वजनिक होगा?
कुछ डेटा जनता के लिए उपलब्ध होगा; शोध डेटा वैज्ञानिक संस्थानों को मिलेगा।
6. NISAR से भारत को क्या लाभ होगा?
आपदा प्रबंधन, कृषि सुधार, जलवायु अनुसंधान और पर्यावरण सुरक्षा में क्रांतिकारी लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष
NISAR Satellite 2025 सिर्फ एक उपग्रह नहीं—यह पृथ्वी को समझने का भविष्य है।
यह दुनिया में होने वाले परिवर्तनों को अभूतपूर्व स्पष्टता से दिखाएगा और भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
NASA और ISRO का यह संयुक्त प्रयास आने वाले दशकों तक मानवता को लाभ पहुंचाएगा।

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