🌊 भारतीय महासागर सम्मेलन 2025
Indian Ocean Summit 2025
📝 प्रस्तावना(Introduciton)
भारतीय महासागर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है और इसका भौगोलिक व आर्थिक महत्व अत्यधिक है। इसमें 30 से अधिक देश शामिल हैं जो व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा के लिए इस पर निर्भर हैं। वर्ष 2025 में आयोजित Indian Ocean Summit का उद्देश्य क्षेत्रीय देशों को एक साझा मंच पर लाना था ताकि वे समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग, सुरक्षा सहयोग और आर्थिक साझेदारी पर मिलकर रणनीति बना सकें।
सम्मेलन की मेज़बानी और आयोजन विवरण
8वाँ Indian Ocean Conference फरवरी 2025 में मस्कट, ओमान में हुआ, जबकि पहला Indian Ocean Summit जून 2025 को कोलम्बो, श्रीलंका में World Oceans Day पर आयोजित किया गया। दोनों सम्मेलनों में भारत, ओमान, श्रीलंका, सिंगापुर, मालदीव और अन्य क्षेत्रीय देशों की सक्रिय भागीदारी रही। इन आयोजनों ने दिखाया कि कैसे Indian Ocean Rim क्षेत्रीय सहयोग का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- 8वाँ Indian Ocean Conference फरवरी 2025 में मस्कट, ओमान में हुआ।
- पहला Indian Ocean Summit जून 2025 को कोलम्बो, श्रीलंका में हुआ।
- World Oceans Day (7 जून) पर विशेष आयोजन।
- भारत, ओमान, श्रीलंका, सिंगापुर, मालदीव समेत कई देशों की सक्रिय भागीदारी।
थीम(Theme)
Voyage to New Horizons of Maritime Partnership
सम्मेलन की थीम “Voyage to New Horizons of Maritime Partnership” रखी गई। यह संदेश देती है कि महासागर केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं बल्कि साझा अवसरों का केंद्र है। इस थीम ने ब्लू इकॉनमी, सुरक्षा सहयोग, समुद्री मार्गों की सुरक्षा, और पर्यावरणीय संतुलन पर विशेष ध्यान आकर्षित किया।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- मुख्य थीम: “Voyage to New Horizons of Maritime Partnership”।
- साझेदारी और सहयोग के नए आयाम खोलने का संदेश।
- ब्लू इकॉनमी और समुद्री सुरक्षा पर विशेष जोर।
- पर्यावरणीय संतुलन और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को प्राथमिकता।
भारत की भूमिका और रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत ने सम्मेलन में मुख्य भाषण दिया और “सागर” (Security and Growth for All in the Region) सिद्धांत को आगे बढ़ाया। विदेश मंत्री ने समुद्री सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, और डिजिटल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता बताते हुए नई पहलें प्रस्तुत कीं। भारत ने UPI और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को साझा करने का प्रस्ताव भी रखा, ताकि क्षेत्रीय व्यापार को गति दी जा सके।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- विदेश मंत्री का मुख्य भाषण — "सागर" सिद्धांत पर ज़ोर।
- समुद्री सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता।
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर साझा करने का प्रस्ताव।
- UPI और डिजिटल ट्रेड नेटवर्क से व्यापार को बढ़ावा देने की पेशकश।
ब्लू इकॉनमी और सतत विकास
सम्मेलन का एक मुख्य आकर्षण ब्लू इकॉनमी रहा। यह अवधारणा समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देती है। इसमें मछली पालन, समुद्री खनिज, अक्षय ऊर्जा, और पर्यटन को संतुलित तरीके से विकसित करने की योजनाएँ शामिल थीं। सदस्य देशों ने सहमति जताई कि यदि ब्लू इकॉनमी का प्रबंधन सही ढंग से किया जाए तो यह क्षेत्र की GDP में 2-3% अतिरिक्त वृद्धि ला सकता है।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- ब्लू इकॉनमी = समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग।
- मछली पालन, समुद्री खनिज और अक्षय ऊर्जा पर चर्चा।
- GDP में 2-3% अतिरिक्त वृद्धि की संभावना।
- सभी देशों ने सतत प्रबंधन की सहमति जताई।
समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग
समुद्री सुरक्षा सम्मेलन का सबसे बड़ा विषय था। सदस्य देशों ने पाइरेसी, अवैध मछली पकड़ने, ड्रग्स और हथियार तस्करी पर चिंता व्यक्त की। भारत ने प्रस्ताव रखा कि एक Regional Maritime Security Framework बनाया जाए ताकि संयुक्त गश्ती और सूचना साझेदारी संभव हो सके।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- पाइरेसी, अवैध मछली पकड़ना और तस्करी प्रमुख मुद्दे।
- संयुक्त गश्ती और इंटेलिजेंस शेयरिंग का प्रस्ताव।
- भारत ने Regional Maritime Security Framework का सुझाव दिया।
- सुरक्षा सहयोग को मजबूती देने पर सहमति।
समुद्री पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण
कोलम्बो सम्मेलन विशेष रूप से समुद्री पर्यटन पर केंद्रित रहा। इसमें डाइविंग, क्रूज़ टूरिज्म, तटीय पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण पर चर्चा हुई। आयोजकों ने बताया कि यदि सतत पर्यटन मॉडल अपनाए जाएँ तो क्षेत्र में 20% तक रोजगार वृद्धि संभव है। साथ ही, समुद्री जैव विविधता को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता भी जताई गई।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- कोलम्बो सम्मेलन विशेष रूप से पर्यटन पर केंद्रित।
- डाइविंग, क्रूज़ और तटीय पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना।
- सतत पर्यटन मॉडल अपनाने पर ज़ोर।
- जैव विविधता और प्रवाल भित्तियों का संरक्षण प्राथमिकता।
जलवायु परिवर्तन और महासागरीय चुनौतियाँ
जलवायु परिवर्तन ने Indian Ocean क्षेत्र को गंभीर संकट में डाल दिया है। बढ़ते समुद्री स्तर, चक्रवातों की तीव्रता और प्रवाल भित्तियों का नष्ट होना प्रमुख चुनौतियाँ हैं। सम्मेलन ने निर्णय लिया कि ग्रीन टेक्नोलॉजी, रिन्यूएबल एनर्जी और तटीय प्रबंधन योजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- समुद्री स्तर बढ़ने की समस्या पर चर्चा।
- चक्रवातों और तूफानों की तीव्रता में वृद्धि।
- प्रवाल भित्तियों का क्षरण और जैव विविधता संकट।
- ग्रीन टेक्नोलॉजी और तटीय प्रबंधन योजनाएँ प्रस्तावित।
प्रौद्योगिकी और डिजिटल कनेक्टिविटी
सम्मेलन में तकनीकी सहयोग पर भी ज़ोर दिया गया। भारत और सिंगापुर ने प्रस्ताव रखा कि डिजिटल ट्रेड नेटवर्क, ब्लॉकचेन आधारित लॉजिस्टिक्स, और समुद्री डेटा शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म विकसित किए जाएँ। इससे व्यापार दक्षता और पारदर्शिता बढ़ेगी।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- डिजिटल ट्रेड नेटवर्क पर जोर।
- ब्लॉकचेन आधारित लॉजिस्टिक्स का सुझाव।
- समुद्री डेटा शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म की आवश्यकता।
- व्यापार में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने का लक्ष्य।
व्यापार मार्ग और आपूर्ति शृंखला
भारतीय महासागर क्षेत्र वैश्विक व्यापार का 60% संचालित करता है। सम्मेलन में चोक पॉइंट्स (Straits of Malacca, Hormuz आदि) की सुरक्षा और सप्लाई चेन रेज़िलिएंस पर चर्चा हुई। सभी देशों ने सहमति जताई कि व्यापार मार्गों की सुरक्षा वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अनिवार्य है।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- Indian Ocean से होकर वैश्विक व्यापार का 60% गुजरता है।
- Malacca और Hormuz जैसे chokepoints की सुरक्षा ज़रूरी।
- सप्लाई चेन रेज़िलिएंस को प्राथमिकता दी गई।
- व्यापार मार्गों की सुरक्षा = वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुरक्षा।
ओमान और श्रीलंका का योगदान
ओमान ने मस्कट सम्मेलन में मेज़बानी करते हुए सामुद्रिक सहयोग को आगे बढ़ाया। वहीं श्रीलंका ने कोलम्बो समिट के माध्यम से पर्यटन और संरक्षण पर वैश्विक संवाद को बढ़ावा दिया। इन दोनों देशों ने दिखाया कि कैसे छोटे और मध्यम देश भी वैश्विक समुद्री कूटनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- ओमान ने मस्कट सम्मेलन की मेज़बानी की।
- श्रीलंका ने कोलम्बो समिट में पर्यटन और संरक्षण को बढ़ावा दिया।
- छोटे देशों ने भी वैश्विक समुद्री कूटनीति में योगदान दिया।
- दोनों देशों की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय सराहना मिली।
बहुपक्षीय संस्थानों की भूमिका
सम्मेलन में UN, IORA (Indian Ocean Rim Association), और World Bank जैसे संस्थानों ने भाग लिया। इन संस्थाओं ने वित्तीय सहायता और तकनीकी सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। इससे स्पष्ट है कि Indian Ocean Summit केवल क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक महत्व का आयोजन है।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- UN, IORA और World Bank ने सक्रिय भागीदारी की।
- तकनीकी और वित्तीय सहयोग का आश्वासन दिया।
- वैश्विक महत्व के मुद्दों को एजेंडा में रखा गया।
- साझेदारियों को मजबूत बनाने पर सहमति बनी।
चुनौतियाँ और बाधाएँ
सम्मेलन ने यह भी स्वीकार किया कि सहयोग की राह आसान नहीं है। राजनीतिक अस्थिरता, संसाधनों की कमी, और आपसी अविश्वास प्रमुख बाधाएँ हैं। साथ ही, कई देशों के बीच सीमा विवाद और नीति-गत असंगतियाँ भी साझेदारी को कठिन बनाती हैं।
मुख्य बिन्दु (Main Points)
- राजनीतिक अस्थिरता और आपसी अविश्वास।
- संसाधनों की कमी प्रमुख बाधा।
- सीमा विवाद और नीति असंगतियाँ मौजूद।
- सहयोग की राह आसान नहीं है।
भविष्य की प्राथमिकताएँ और रोडमैप
भविष्य की दिशा तय करते हुए, सम्मेलन ने सुझाव दिया कि:
- वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित हो।
- क्षेत्रीय फंड बनाया जाए ताकि ब्लू इकॉनमी परियोजनाओं को समर्थन मिले।
- संयुक्त प्रशिक्षण और शोध केंद्र स्थापित किए जाएँ।
- महिलाओं और युवाओं की भागीदारी बढ़ाई जाए।
निष्कर्ष(Conclusion)
Indian Ocean Summit 2025 ने यह साबित किया कि महासागर केवल भौगोलिक सीमा नहीं बल्कि साझा भविष्य का पुल है। यदि क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग को मजबूती मिले, तो यह क्षेत्र सुरक्षा, व्यापार और सतत विकास का वैश्विक मॉडल बन सकता है।

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