AI Action Summit 2025
परिचय(AI Action Summit 2025)
AI Action Summit 2025 का आयोजन 10–11 फरवरी 2025 को पेरिस के Grand Palais में हुआ। यह सम्मेलन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जिम्मेदार गवर्नेंस, नैतिकता, और सार्वजनिक हित के मुद्दों पर केंद्रित रहा।
AI Action Summit 2025 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्रित एक ऐतिहासिक आयोजन है, जो 10–11 फरवरी 2025 को पेरिस के ग्रैंड पैलेस में हुआ। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य AI के जिम्मेदार उपयोग, नैतिकता और वैश्विक गवर्नेंस के लिए साझा दृष्टिकोण तैयार करना था। इसमें दुनिया भर के नीति निर्माता, तकनीकी कंपनियाँ, शोध संस्थान और नागरिक समाज शामिल हुए। यह आयोजन इसलिए भी खास रहा क्योंकि इसमें उत्तर और दक्षिण दोनों की साझेदारी को बराबरी का दर्जा दिया गया।
पेरिस का चयन क्यों हुआ(Why Paris)
पेरिस को AI Summit 2025 के लिए चुनना एक रणनीतिक फैसला था। फ्रांस लंबे समय से डिजिटल कूटनीति और तकनीकी नीति निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाता आ रहा है। यूरोप में पेरिस को टेक्नोलॉजी और इनोवेशन हब माना जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के लिए आदर्श स्थान है। साथ ही, पेरिस ऐतिहासिक रूप से वैश्विक सहयोग का केंद्र रहा है। यहाँ आयोजित सम्मेलन ने यह संदेश दिया कि AI केवल विकसित देशों का विषय नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की साझा जिम्मेदारी है।
पेरिस को AI Summit 2025 के लिए चुनने के पीछे कई कारण थे:
- यूरोप का टेक्नोलॉजी हब होने के कारण।
- फ्रांस की डिजिटल डिप्लोमेसी में सक्रिय भूमिका।
- वैश्विक स्तर पर AI नीति निर्माण में फ्रांस का नेतृत्व।
सम्मेलन के सह-अध्यक्ष(Co Chairperson)
AI Summit 2025 की एक बड़ी विशेषता यह रही कि इसे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सह-अध्यक्षता दी। इस संयुक्त नेतृत्व ने यह स्पष्ट किया कि AI केवल पश्चिम का नहीं बल्कि वैश्विक दक्षिण का भी मुद्दा है। दोनों नेताओं ने मिलकर एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जहाँ तकनीकी उन्नति के साथ-साथ मानवता की भलाई पर भी जोर दिया गया। भारत और फ्रांस का सहयोग यह दर्शाता है कि जिम्मेदार AI गवर्नेंस एक वैश्विक साझेदारी के बिना संभव नहीं है।
इस सम्मेलन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त रूप से सह-अध्यक्षता की। यह उत्तर और दक्षिण के बीच सहयोग का प्रतीक माना गया।
मुख्य उद्देश्य(Main Target)
AI Summit 2025 का उद्देश्य केवल चर्चा तक सीमित नहीं था, बल्कि यह ठोस कार्य योजना बनाने का मंच था। इसमें AI को सार्वजनिक हित (Public Good) के लिए उपयोग करने, डेटा प्राइवेसी की सुरक्षा, पारदर्शी और नैतिक गवर्नेंस सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया गया। साथ ही, स्टार्टअप्स और नवाचार को प्रोत्साहन देकर यह संदेश दिया गया कि AI का भविष्य केवल बड़ी कंपनियों के हाथ में नहीं रहना चाहिए। सम्मेलन ने AI के लिए वैश्विक नीति ढांचे की नींव रखी, ताकि हर देश इसका जिम्मेदारी से लाभ उठा सके।
AI Summit 2025 का लक्ष्य था:
- AI के लिए वैश्विक नीति ढांचा तैयार करना।
- सार्वजनिक हित में तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करना।
- AI गवर्नेंस को अधिक जिम्मेदार और पारदर्शी बनाना।
प्रतिभागियों की भागीदारी(Participent Engagement)
AI Summit 2025 को व्यापक प्रतिनिधित्व मिला। इसमें विश्वभर से सरकारों के प्रतिनिधि, नीति निर्माता, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्र की तकनीकी कंपनियों, स्टार्टअप्स, अकादमिक जगत और नागरिक समाज संगठनों ने भाग लिया। इस विविध भागीदारी ने सम्मेलन को एक समग्र स्वरूप दिया। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि AI की नीतियाँ केवल कुछ देशों या कंपनियों तक सीमित न रहें, बल्कि पूरे विश्व की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार हों। इस सम्मेलन ने सामूहिक निर्णय लेने की मिसाल पेश की।
सम्मेलन में विविध प्रतिभागी शामिल हुए:
- सरकारें और नीति-निर्माता
- निजी क्षेत्र के बड़े तकनीकी दिग्गज
- शैक्षणिक संस्थान और शोध केंद्र
- नागरिक समाज संगठन
चर्चा के मुख्य विषय(Highlights of Subject)
AI Summit 2025 में पाँच प्रमुख विषयों पर गहन चर्चा हुई—AI गवर्नेंस, नैतिकता और पारदर्शिता, सार्वजनिक हित में AI, डेटा सुरक्षा, और नवाचार। इन चर्चाओं का उद्देश्य यह था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को केवल तकनीकी प्रगति तक सीमित न रखते हुए, मानवता की भलाई और सामाजिक जिम्मेदारी के दायरे में भी रखा जाए। हर विषय पर अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया। इन विषयों पर बनी सहमति आने वाले वर्षों में AI नीति निर्माण का आधार बनेगी।
- AI के लिए वैश्विक शासन
- नैतिकता और पारदर्शिता
- सार्वजनिक हित के लिए AI
- डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी
- स्टार्टअप्स और नवाचार
AI के लिए वैश्विक गवर्नेंस(Wrold Gorvernance)
सम्मेलन का सबसे बड़ा मुद्दा था—AI गवर्नेंस के लिए वैश्विक ढांचा तैयार करना। तकनीक की तेज़ी से बढ़ती शक्ति को देखते हुए यह ज़रूरी है कि इसका उपयोग जिम्मेदारी और पारदर्शिता से हो। सभी देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि एक साझा अंतरराष्ट्रीय चार्टर बनाया जाए, ताकि AI का उपयोग विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के लिए हो। साथ ही, इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि AI का दुरुपयोग न हो और यह पूरी मानवता के लिए लाभकारी बने।
सम्मेलन ने तय किया कि दुनिया भर के देशों के लिए एक साझा ढांचा तैयार होगा, जिससे AI का दुरुपयोग रोका जा सके और इसका उपयोग जिम्मेदार तरीके से हो।
नैतिकता और पारदर्शिता(Morality and Transparency)
AI के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती है—नैतिकता और ट्रस्ट। सम्मेलन ने स्पष्ट किया कि AI को हमेशा मानव-केंद्रित (Human-Centric) होना चाहिए। इसका मतलब है कि तकनीक इंसानों की भलाई के लिए काम करे, न कि उनके खिलाफ। पारदर्शी एल्गोरिदम, निष्पक्ष निर्णय और जिम्मेदार उपयोग पर बल दिया गया। यह भी चर्चा हुई कि AI से जुड़ी नीतियाँ केवल तकनीकी विशेषज्ञों तक सीमित नहीं रहें, बल्कि इसमें समाज के सभी वर्गों की भागीदारी हो।
AI के उपयोग में विश्वास (Trust) सबसे बड़ा मुद्दा है। सम्मेलन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि AI को मानव-केंद्रित और नैतिक होना चाहिए।
सार्वजनिक हित में AI का उपयोग(Public Benefit)
AI Summit 2025 में यह तय हुआ कि AI को केवल निजी लाभ के लिए नहीं, बल्कि पब्लिक गुड के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाओं में तेज़ और सटीक निदान, शिक्षा में डिजिटल लर्निंग, कृषि में उत्पादन बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय शामिल हैं। साथ ही, आपदा प्रबंधन और शहरी विकास में भी AI की अहम भूमिका होगी। यह कदम साबित करता है कि AI को यदि सही दिशा में प्रयोग किया जाए, तो यह समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
- स्वास्थ्य सेवाएँ: रोगों की पहचान और उपचार।
- शिक्षा: स्मार्ट लर्निंग और डिजिटल क्लासरूम।
- कृषि: उत्पादकता और जलवायु अनुकूल खेती।
- आपदा प्रबंधन: तेज़ और सटीक प्रतिक्रिया।
डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी(Data Security and Privacy)
AI के विकास के साथ सबसे बड़ी चिंता है—डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता। सम्मेलन में यह स्पष्ट किया गया कि व्यक्तिगत और सामूहिक डेटा की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। बिना उचित सुरक्षा तंत्र के AI का उपयोग लोगों के लिए खतरा साबित हो सकता है। इसलिए, डेटा प्रोटेक्शन कानून, साइबर सुरक्षा उपाय और पारदर्शी नीतियाँ अनिवार्य होंगी। इस सम्मेलन ने यह तय किया कि भविष्य की सभी AI नीतियों में प्राइवेसी बाई डिज़ाइन (Privacy by Design) का सिद्धांत लागू किया जाएगा।
AI के युग में डेटा ही नया तेल है। सम्मेलन ने स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत और सामूहिक डेटा की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
स्टार्टअप्स और नवाचार(Startups and Innovation)
AI का भविष्य केवल बड़ी कंपनियों पर निर्भर नहीं है। स्टार्टअप्स और नई प्रतिभाएँ इसमें बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। सम्मेलन ने स्पष्ट किया कि नवाचार को बढ़ावा देना बेहद ज़रूरी है। इसके लिए वित्तीय सहयोग, अनुसंधान में निवेश और वैश्विक स्तर पर साझेदारी की ज़रूरत होगी। AI Summit 2025 ने स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित कर यह संदेश दिया कि नई सोच और क्रिएटिविटी ही AI को सही दिशा में ले जाएगी।
AI केवल बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं है। सम्मेलन ने स्टार्टअप्स और नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने पर बल दिया।
प्रमुख घोषणाएँ और चार्टर(Declaration and Charter)
सम्मेलन से कई बड़े नतीजे निकले। सबसे अहम रहा AI अंतरराष्ट्रीय चार्टर की नींव रखना। यह चार्टर आने वाले वर्षों में AI के उपयोग और गवर्नेंस को परिभाषित करेगा। साथ ही, AI सहयोग मंच बनाने पर सहमति बनी, ताकि सभी देश मिलकर AI से जुड़ी नीतियाँ साझा कर सकें। सार्वजनिक हित वाले AI अनुप्रयोगों को प्राथमिकता दी गई, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि तकनीक हर व्यक्ति तक पहुँचे और केवल अमीर देशों या कंपनियों तक सीमित न रहे।
- AI अंतरराष्ट्रीय चार्टर की नींव।
- AI सहयोग मंच की स्थापना।
- सार्वजनिक हित के AI अनुप्रयोगों को प्राथमिकता।
सम्मेलन का वैश्विक महत्व(World Prospect of Summit)
AI Summit 2025 ने इतिहास रच दिया। यह पहला अवसर था जब विकसित और विकासशील दोनों देशों ने मिलकर AI के लिए एक साझा रोडमैप तैयार किया। इससे यह संदेश गया कि AI का भविष्य किसी एक देश या क्षेत्र पर निर्भर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर है। सम्मेलन ने यह सुनिश्चित किया कि AI गवर्नेंस केवल नीति तक सीमित न रहे, बल्कि वास्तविक जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाए। यह एक वैश्विक मील का पत्थर साबित हुआ।
- ऐतिहासिक रोडमैप तैयार हुआ।
- विकसित और विकासशील देशों की साझेदारी।
- तकनीक को मानवता की भलाई के लिए जोड़ना।
भारत और फ्रांस की भूमिका(India and France Role)
भारत और फ्रांस का संयुक्त नेतृत्व इस सम्मेलन की सबसे बड़ी उपलब्धि रहा। भारत ने विकासशील देशों की आवाज़ को वैश्विक मंच पर उठाया, जबकि फ्रांस ने तकनीकी नीति और कूटनीति में अपनी विशेषज्ञता दिखाई। दोनों देशों ने मिलकर एक संतुलित मॉडल प्रस्तुत किया, जहाँ तकनीकी प्रगति और सामाजिक जिम्मेदारी साथ-साथ चलें। यह साझेदारी इस बात का प्रमाण है कि उत्तर और दक्षिण की एकजुटता के बिना AI का भविष्य अधूरा रहेगा।
भारत और फ्रांस ने मिलकर इस सम्मेलन को एक समान भागीदारी का मंच बनाया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि AI का भविष्य केवल पश्चिम तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक है।
भविष्य की संभावनाएँ(Future Expectancy)
AI Summit 2025 के बाद भविष्य की दिशा साफ है। आने वाले वर्षों में एक अंतरराष्ट्रीय AI सहयोग मंच सक्रिय होगा, जो वैश्विक नीतियों और मानकों को लागू करेगा। स्टार्टअप्स, शोध संस्थानों और सरकारों के बीच सहयोग बढ़ेगा। साथ ही, AI का इस्तेमाल सार्वजनिक सेवाओं को मजबूत करने, असमानताओं को कम करने और स्थायी विकास लक्ष्यों को पूरा करने में होगा। यह सम्मेलन AI के लिए एक नया युग लेकर आया है।
AI Summit 2025 के बाद अब:
- AI के जिम्मेदार उपयोग पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी होगी।
- ग्लोबल नीतियाँ लागू होंगी।
- आने वाले वर्षों में AI का संतुलित विकास होगा।
FAQs
Q1. AI Action Summit 2025 कब हुआ?
यह सम्मेलन 10–11 फरवरी 2025 को पेरिस में आयोजित हुआ।
Q2. इस सम्मेलन का सह-अध्यक्ष कौन था?
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
Q3. इसका मुख्य उद्देश्य क्या था?
जिम्मेदार AI गवर्नेंस और सार्वजनिक हित में AI का उपयोग।
Q4. इसमें कौन-कौन शामिल हुए?
सरकारें, निजी क्षेत्र, अकादमिक संस्थान और नागरिक समाज।
Q5. इसमें किस विषय पर सबसे ज्यादा ज़ोर दिया गया?
नैतिकता, पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा।
Q6. क्या इसमें स्टार्टअप्स पर भी चर्चा हुई?
हाँ, स्टार्टअप्स और नवाचार पर विशेष बल दिया गया।
Q7. क्या कोई चार्टर जारी हुआ?
हाँ, अंतरराष्ट्रीय AI चार्टर की नींव रखी गई।
Q8. भारत की क्या भूमिका रही?
भारत ने सह-अध्यक्षता कर विकासशील देशों की आवाज़ को मजबूत किया।
Q9. इस सम्मेलन का वैश्विक महत्व क्या है?
AI गवर्नेंस का ऐतिहासिक रोडमैप तय हुआ।
Q10. आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?
AI सहयोग मंच की स्थापना और नीतिगत ढांचा लागू होगा।
निष्कर्ष(Conclusion)
AI Action Summit 2025 पेरिस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को केवल तकनीकी दृष्टि से नहीं, बल्कि मानवता की भलाई और वैश्विक साझेदारी के दृष्टिकोण से देखा। यह सम्मेलन इतिहास में एक ऐसे मील के पत्थर के रूप में दर्ज होगा जिसने भविष्य की AI नीति और दिशा तय की।
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