द हेग नाटो सम्मेलन 2025

द हेग नाटो सम्मेलन 2025  


The Hague NATO Summit 2025 


    परिचय और प्रमुख परिणाम

    The Hague NATO Summit 2025, 24-25 जून 2025 को नीदरलैंड्स के हेग में आयोजित हुआ। इस शिखर सम्मेलन में NATO के 32 सदस्य राज्यों के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के प्रमुख शामिल हुए, साथ ही कई रक्षा मंत्रियों, उद्योग प्रतिनिधियों और साझेदार देशों ने भाग लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य आज की बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना, शक्ति संतुलन बनाए रखना, और देशों की रक्षा-क्षमता में सुधार करना था। इसने नए रक्षा-व्यय लक्ष्य, उद्योग सहयोग, और सामूहिक रक्षा की पुनः पुष्टि करने जैसे महत्वपूर्ण फैसलों को जन्म दिया।


    सम्मेलन का समय, स्थान और भागीदारी

    यह सम्मेलन नीदरलैंड्स की राजधानी हेग में 24 और 25 जून 2025 को हुआ। आयोजन स्थल की सुरक्षा और कूटनीतिक महत्व को देखते हुए इसे यूरोपीय राजनीति का सबसे बड़ा आयोजन माना गया। इस अवसर पर 32 NATO सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार प्रमुखों के अलावा यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। रक्षा मंत्रियों, उद्योग प्रतिनिधियों और मीडिया की व्यापक भागीदारी ने इसे और महत्वपूर्ण बना दिया। आयोजन से पहले नीदरलैंड्स सरकार ने “ऑपरेशन ऑरेंज शील्ड” के तहत कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए।
    • कहाँ और कब: हेग, नीदरलैंड्स में, 24-25 जून 2025 को।
    • भागीदार: 32 NATO सदस्य देश, साझेदार देश, यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि, उद्योग और रक्षा संगठन, पत्रकारों की विस्तृत संख्या।
    • सुरक्षा तैयारियाँ: सम्मेलन से पहले सुरक्षा तैयारियाँ बेहद कड़ी थीं, Operation Orange Shield जैसे सुरक्षा अभियान चलाए गए।


    नया 5% GDP रक्षा व्यय लक्ष्य

    सम्मेलन का सबसे चर्चित निर्णय यह रहा कि सभी NATO सदस्य देश 2035 तक अपनी रक्षा और सुरक्षा से संबंधित खर्च को GDP का कम से कम 5% करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे। यह निर्णय मौजूदा वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए बेहद साहसिक कदम माना जा रहा है। पहले की तुलना में यह लक्ष्य कहीं अधिक ऊँचा है और इससे सदस्य देशों को अपनी सेनाओं का आधुनिकीकरण, हथियारों का उत्पादन और तकनीकी विकास तेज़ी से करना होगा। इसका उद्देश्य सामूहिक सुरक्षा को मज़बूत करना और किसी भी संभावित खतरे का सामूहिक जवाब देने की तैयारी करना है।

    NATO सदस्यों ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए निर्णय लिया कि 2035 तक प्रत्येक सदस्य देश अपनी रक्षा एवं सुरक्षा-संबंधित व्यय को GDP का कम से कम 5% करेगा।

    यह नया लक्ष्य सुरक्षा की बदलती चुनौतियों के मद्देनज़र जरूरी माना गया है — जैसे रूस के साथ सीमा तनाव, साइबर और हाइब्रिड खतरे, और पश्चिमी देशों के बीच रक्षा उत्पादन की कमी।


    नया व्यय विभाजन: Core vs Related Defence Expenditure

    NATO ने सिर्फ लक्ष्य ही तय नहीं किया बल्कि व्यय का स्पष्ट ढांचा भी प्रस्तुत किया। इस 5% GDP में से कम से कम 3.5% मुख्य रक्षा जरूरतों — जैसे सेना की संख्या, हथियार, गोला-बारूद और त्वरित युद्ध तैयारियों पर खर्च किया जाएगा। शेष 1.5% का उपयोग अन्य रक्षा-संबंधित कार्यों में किया जाएगा, जिसमें रक्षा उद्योग का विस्तार, साइबर सुरक्षा, नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर, नागरिक सुरक्षा और वैज्ञानिक शोध शामिल हैं। यह विभाजन यह सुनिश्चित करता है कि सुरक्षा केवल सैन्य दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि व्यापक स्तर पर भी मज़बूत हो।

    • 5% के भीतर कम से कम 3.5% GDP core रक्षा आवश्यकताओं — अर्थात् सैनिकों, हथियारों, लड़ाकू readiness इत्यादि पर खर्च किया जाएगा।
    • बाकी 1.5% GDP अन्य रक्षा-संबंधित क्षेत्र जैसे कि रक्षा उद्योग, नेटवर्क Resilience, Critical Infrastructure, इनोवेशन और नागरिक तैयारी आदि में खर्च किया जाएगा।


    सुधारित रक्षा उद्योग सहयोग (Defence Industrial Cooperation)

    सम्मेलन का एक और बड़ा निष्कर्ष यह रहा कि रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी। कई देशों के पास उन्नत तकनीक और अनुसंधान की क्षमता है, जबकि कुछ देशों के पास उत्पादन के संसाधन हैं। NATO ने यह तय किया कि सदस्य देश मिलकर नए हथियार, रक्षा उपकरण और निगरानी प्रणालियाँ विकसित करेंगे। इससे लागत घटेगी और उत्पादन की गति बढ़ेगी। इसके लिए बहुराष्ट्रीय “Task Force X” जैसी पहलों की घोषणा की गई, जो ऑटोनॉमस सिस्टम और ड्रोन निगरानी पर विशेष फोकस करेगी। यह सामूहिक प्रयास NATO को दीर्घकालिक सामरिक लाभ देगा।

    सम्मेलन ने रक्षा उद्योग को मज़बूत करने की योजना बनाई है ताकि सदस्य देश मिलकर नए हथियारों, उपकरणों व उत्पादन लाइनों को साझा कर सकें। यह सहयोग उद्योगों, नवाचार केंद्रों और सरकारों के बीच बढ़ेगा।

    Task Force X नामक पहल बाल्टिक समुद्री क्षेत्र में unmanned/autonomous प्रणालियों, दृष्टि-ग्रहण (surveillance) और सीमापार निगरानी पर केंद्रित है।


    समर्थन यूक्रेन को — संघर्ष और सहायता

    रूस-यूक्रेन संघर्ष ने यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया है। इस पृष्ठभूमि में NATO ने स्पष्ट कहा कि वह यूक्रेन के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा। सम्मेलन में सैन्य सहायता, आर्थिक सहयोग और मानवीय मदद जारी रखने का निर्णय हुआ। NATO ने यूक्रेन को हथियार, प्रशिक्षण और खुफिया सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। इसके अलावा, ऊर्जा और पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए भी समर्थन देने पर बल दिया गया। यह संदेश रूस के लिए सीधी चेतावनी है कि NATO अपने सहयोगी देशों को अकेला नहीं छोड़ेगा।

    NATO ने यूक्रेन को वर्तमान संघर्ष में मजबूती से समर्थन देने की प्रतिबद्धता दोहराई। वित्तीय, सैन्य और मानवीय सहायता जारी रखने के इरादे जताए गए।

    युद्ध की स्थितियाँ और आगे की बढ़ती चुनौतियों के मद्देनज़र NATO ने यह घोषणा की कि सहायता योजना निरंतर, अनुमानित और समन्वित होगी।


    नाटो की सामूहिक रक्षा (Article 5) की पुन: पुष्टि

    NATO का आधार Article 5 है, जिसके अनुसार किसी एक सदस्य पर हमला सभी सदस्यों पर हमला माना जाएगा। इस सम्मेलन में एक बार फिर इसकी पुष्टि की गई। सदस्य देशों ने स्पष्ट संदेश दिया कि किसी भी आक्रामक कार्रवाई का जवाब सामूहिक रूप से दिया जाएगा। यह घोषणा विशेष रूप से पूर्वी यूरोपीय देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें रूस से सुरक्षा खतरे की आशंका रहती है। Article 5 की पुनः पुष्टि ने न केवल NATO की एकता को दिखाया बल्कि विश्व को यह संदेश दिया कि संगठन की सुरक्षा गारंटी आज भी अटूट है।

    सम्मेलन में सदस्य देशों ने Article 5 — “एक पर हमला, सब पर हमला” — की पूंजीकरण और उसकी दृढ़ता से रक्षा करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

    यह संदेश रूस और अन्य संभावित खतरों को भेजा गया कि NATO की सुरक्षा गारंटी अडिग है।


    ज़रूरत पुनर्रचना (Deterrence & Defence)

    NATO ने अपने रक्षा ढांचे की पुनः समीक्षा करते हुए पूर्वी सीमाओं पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया। पोलैंड, बाल्टिक देशों और काला सागर क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने की योजनाएँ बनाई गईं। इसमें हवाई सुरक्षा प्रणाली, ड्रोन रोधी तकनीक, मिसाइल डिफेंस और निगरानी नेटवर्क का विस्तार शामिल है। इसका मकसद संभावित हमलों को रोकना और दुश्मनों को पहले ही चेतावनी देना है। NATO ने कहा कि केवल सैन्य बल ही नहीं बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता और रणनीतिक तैनाती भी उनकी प्राथमिकता होगी। यह कदम संगठन की रोकथाम रणनीति को मज़बूत बनाएगा।

    पूर्वी यूरोपीय सीमाओं — बाल्टिक राज्यों और पोलैंड आदि — में रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने का निर्णय हुआ। सीमाओं की सुरक्षा, हवाई सुरक्षा, ड्रोन से खतरे, और निगरानी तंत्रों को मजबूत करने पर बल दिया गया।


    रक्षा-नवाचार और नई टेक्नोलॉजीज़

    सम्मेलन में यह मान्यता दी गई कि भविष्य के युद्ध केवल परंपरागत हथियारों से नहीं लड़े जाएँगे। इसलिए NATO ने स्वचालित प्रणालियों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन, और साइबर रक्षा तकनीकों में निवेश करने का संकल्प लिया। “Task Force X” जैसी पहलें ऑटोनॉमस सिस्टम, निगरानी, और सीमा सुरक्षा के लिए प्रयोग होंगी। इसके अलावा, शोध और विकास (R&D) के लिए भी सदस्य देशों को सहयोग करने के लिए प्रेरित किया गया। रक्षा उद्योग को आधुनिक तकनीक से लैस करने की यह योजना आने वाले वर्षों में NATO को तकनीकी रूप से अग्रणी बनाएगी।

    • स्वचालित और ऑटोनॉमस प्रणालियों का उपयोग — Task Force X जैसे प्रयोगशील पहलों से आधुनिक खतरे जैसे ड्रोन या साइबर हमले से निपटना शामिल है।
    • रक्षा उद्योग में अनुसंधान-विकास, आपूर्ति श्रृंखला की लचीलापन और नवाचार को बढ़ावा देना।


    नागरिक सुरक्षा, नेटवर्क सुरक्षा और हाइब्रिड खतरों पर फोकस

    आज की दुनिया में खतरे केवल हथियारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि साइबर हमले, फेक न्यूज़ और हाइब्रिड युद्ध भी बड़ी चुनौती बन चुके हैं। NATO ने यह निर्णय लिया कि नागरिक सुरक्षा और नेटवर्क सुरक्षा को रक्षा रणनीति का हिस्सा बनाया जाएगा। सदस्य देशों को अपने क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ऊर्जा संयंत्र, परिवहन नेटवर्क और स्वास्थ्य प्रणालियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। इसके अलावा, सूचना युद्ध और दुष्प्रचार से निपटने के लिए भी समन्वित योजनाएँ बनाई गईं। यह कदम आधुनिक खतरों से लड़ने की तैयारी को मजबूत करता है।

    साइबर हमलों, सूचना युद्ध, क्रुप्टो और नेटवर्क बुनियादी तंत्रों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया गया। Critical infrastructure की रक्षा के लिए नीति प्रस्तावित।


    वार्षिक रिपोर्टिंग और प्रगति समीक्षा

    यह तय हुआ कि सभी सदस्य देश अपनी प्रगति की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। वर्ष 2029 तक एक व्यापक समीक्षा होगी, जिसमें देखा जाएगा कि सदस्य देश 5% लक्ष्य की ओर किस गति से बढ़ रहे हैं। यह समीक्षा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। साथ ही, यह देशों को समय रहते अपनी नीतियाँ और बजट सुधारने का अवसर भी देगी। सम्मेलन में यह भी कहा गया कि रक्षा खर्च का यह लक्ष्य अचानक नहीं बल्कि क्रमिक रूप से पूरा किया जाएगा, ताकि सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था पर बोझ न पड़े।

    • सदस्य देशों को 2029 तक अपनी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होंगी।
    • रक्षा व्यय-लक्ष्य को क्रमिक रूप से बढ़ाया जाना है, ताकि अचानक बोझ न हो।


    Netherlands की भूमिका और मेजबानी रणनीति

    नीदरलैंड्स ने पहली बार NATO शिखर सम्मेलन की मेजबानी की और इसे ऐतिहासिक अवसर माना। हेग शहर को इसलिए चुना गया क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय न्याय और कूटनीति का प्रतीक है। नीदरलैंड्स सरकार ने सम्मेलन के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए। Operation Orange Shield नामक योजना के तहत साइबर, वायु और जमीनी सुरक्षा की निगरानी की गई। मेजबान देश की इस भूमिका ने साबित किया कि छोटे देश भी वैश्विक कूटनीति और सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इस सम्मेलन ने नीदरलैंड्स की अंतरराष्ट्रीय छवि को और मज़बूत किया।

    • यह पहला मौका है जब नीदरलैंड्स ने NATO शिखर सम्मेलन की मेजबानी की है।
    • सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रही: अहम प्रतिनिधियों की सुरक्षा, ऑपरेशन Orange Shield जैसी तैनाती, सीमाएँ और नेटवर्क निगरानी।


    विवाद, विरोध और चुनौतियाँ

    हालाँकि सम्मेलन सफल रहा, लेकिन चुनौतियाँ भी सामने आईं। कुछ सदस्य देशों ने 5% लक्ष्य पर आपत्ति जताई, उनका कहना था कि यह उनकी अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डाल सकता है। खासकर वे देश जिनकी GDP अपेक्षाकृत कम है, उनके लिए इस लक्ष्य तक पहुँचना कठिन हो सकता है। इसके अलावा, रक्षा उद्योग की सीमित उत्पादन क्षमता, कुशल श्रमिकों की कमी और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएँ भी बड़ी चुनौती हैं। साथ ही, यह सवाल भी उठता है कि क्या जनता इतनी बड़ी रक्षा बजट वृद्धि का समर्थन करेगी।
    • कुछ देशों ने 5% लक्ष्य को लेकर आपत्तियाँ जताईं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह लक्ष्य उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।
    • संसाधनों की कमी, रक्षा उद्योग की क्षमता, मजदूर, सामग्री एवं उत्पादन जटिलताओं को दूर करना होगा।
    • राजनीतिक इच्छाशक्ति और सदस्य देशों की जनता की सहमति भी एक चुनौती है।


    भविष्य की योजनाएँ और अगले शिखर सम्मेलन

    NATO ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका ध्यान केवल वर्तमान पर नहीं बल्कि भविष्य पर भी है। अगले वर्ष यानी 2026 का NATO शिखर सम्मेलन तुर्की में आयोजित किया जाएगा। वहाँ रक्षा उद्योग सहयोग और 5% लक्ष्य की प्रारंभिक प्रगति पर चर्चा होगी। इसके अलावा, साइबर सुरक्षा, ड्रोन रोधी तकनीक और पूर्वी यूरोप की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी। NATO यह भी देखेगा कि सदस्य देश अपने बजट और उद्योग ढांचे में किस प्रकार बदलाव ला रहे हैं। यह निरंतरता संगठन की लंबी रणनीति का हिस्सा है।
    • अगला NATO शिखर सम्मेलन तुर्की में 2026 में होगा।
    • रक्षा उत्पादन व नवाचार पहलें और व्यापक होंगी, सदस्य राज्यों को उद्योग-संघ और निजी क्षेत्र से मिलकर कार्य करना होगा।
    • रक्षा रणनीतियों में पूर्वी सीमा, साइबर सुरक्षा, ड्रोन और हाइब्रिड युद्ध को ध्यान में रखते ध्यान बढ़ेगा।


    निष्कर्ष(Conclusion)

    The Hague NATO Summit 2025 ने सुरक्षा, रक्षा-उद्योग, और वर्तमान भू-राजनीतिक चुनौतियों को देखते हुए अभूतपूर्व निर्णय लिए। 5% GDP रक्षा व्यय लक्ष्य, नवाचार बढ़ाने की पहल, और यूक्रेन के लिए दृढ़ समर्थन यह दिखाते हैं कि NATO सिर्फ प्रतीक नहीं, बल्कि कार्रवाई में विश्वस्त है। भविष्य की चुनौतियाँ बड़ी होंगी — साइबर हमले, हाइब्रिड युद्ध, आर्थिक अस्थिरताएँ — पर इस सम्मेलन ने यह विश्वास जगाया है कि सदस्य राष्ट्र मिलकर और साझा जिम्मेदारी से उपाय कर सकते हैं।


    FAQs

    प्रश्न: The Hague NATO Summit 2025 कब और कहाँ हुआ?

    उत्तर: यह सम्मेलन 24-25 जून 2025 को हेग, नीदरलैंड्स में आयोजित हुआ।

    प्रश्न: नया रक्षा खर्च लक्ष्य क्या है?

    उत्तर: सदस्य देशों ने सहमति दी कि 2035 तक रक्षा एवं सुरक्षा-संबंधित व्यय को GDP का 5% सालाना करना है।

    प्रश्न: 5% खर्च का विभाजन कैसे किया गया है?

    उत्तर: 3.5% core defence और बाकी 1.5% अन्य रक्षा-सम्बंधित क्षेत्र जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर, नेटवर्क सुरक्षा, नवाचार व नागरिक तैयारी।

    प्रश्न: समर्थन किसे मिला है?

    उत्तर: सम्मिलित देशों ने यूक्रेन को व्यापक सैन्य, आर्थिक, और मानवीय सहायता जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई।

    प्रश्न: Article 5 की स्थिति क्या है?

    उत्तर: सभी सदस्य देशों ने Article 5 की रक्षा की पुनः पुष्टि की — यानी किसी सदस्य पर हमला होने पर सभी मिलकर रक्षा करेंगे।

    प्रश्न: रक्षा उद्योग सहयोग में क्या परिवर्तन हुआ है?

    उत्तर: रक्षा उद्योग के उत्पादन, नवाचार और उद्योग-सरकार साझेदारियों को बढ़ावा देने का निर्णय हुआ है।

    प्रश्न: रक्षा और नागरिक सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बिठाया जायेगा?

    उत्तर: 1.5% खर्च को नागरिक तैयारी, इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षा, साइबर और नेटवर्क सुरक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए रखा गया है।

    प्रश्न: क्या सभी सदस्य देश 5% लक्ष्य पूरा कर पाएँगे?

    उत्तर: यह चुनौती है — कई देशों ने संसाधन और क्षमता बढ़ाने के लिए योजना तैयार की है। समीक्षा 2029 में की जाएगी।

    प्रश्न: सुरक्षा उपाय कैसे थे सम्मेलन के लिए?

    उत्तर: मेजबान देश नीदरलैंड्स ने Operation Orange Shield जैसी तगड़ी सुरक्षा तैनाती की; एयर और साइबर सुरक्षा के प्रबंध किए गए।

    प्रश्न: 2026 में सम्मेलन कहाँ होगा और क्या उम्मीदें हैं?

    उत्तर: अगले NATO शिखर सम्मेलन 2026 में तुर्की में होगा। उम्मीद है कि रक्षा-उद्योग और सदस्य देशों की तैयारियों की गति बढ़ जाएगी।

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